भ्रष्टाचार के प्रतीक बने गौठान : न चारा, न पानी, न सुरक्षा, सड़कों पर घुमने पर मजबूर है मवेशी, कृषकों की फसल को बना रहे निशाना

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किसान और मवेशी सुविधा के लिये भटक रहे हैं, निर्माण एजेंसियों ने भर ली अपनी जेब

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कुनकुरी/जशपुर

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा व बाड़ी के अन्तर्गत निर्मित किये गये गौठान सरकारी राशि को ठिकाने लगाने के प्रतीक के रूप में सामने आ रहे है। करोड़ो रूपये की राशि पशुधन की सुरक्षा एवं कृषकों के विकास के नाम पर खर्च करने के बाद भी अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। इस योजना से न तो पशुओं की देखरेख हुई और न ही किसानों का भला हुआ, आज भी मवेशी सड़कों पर घूम रहे है और कृषकों की फसल को क्षति पहूंचा रहे है।

विकास खण्ड कुनकुरी सहित लगभग पूरे जशपुर जिले में गौठानों की कमोबेश एक ही प्रकार की है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं पशुधन विकास सहित कृषि संरक्षण के उद्देश्य को लेकर स्थापित किये गये ये गौठान सरकारी राशि के अपव्यय के प्रतीक बन गये है। कई गौठान के लिये स्थल चयन भी पशुओं के लिये अनुकूल न होने पर भी निर्माण कार्य में राशि का अपव्यय किया गया है। कागजों में उपलब्धि दिखाने के लिये प्रशासनिक और राजनैतिक दबाव में बने ये गौठान उपयोगिता के मामले में निरर्थक सिद्ध हो रहे है।

दिखावा मात्र रह गयी है गौठान, निर्माण से लेकर कई कार्यों मे लापरवाही, गौठानों से ग्रामीणों का हुआ मोह भंग, मवेशियों के लिए न तो चारा है और न ही पानी

ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाए संचालित किया जा रहा है और इन योजनाओं के अन्तर्गत लाखों करोडों रूपये खर्च किया जा रहा है, लेकिन जिस उददेश्य की पूर्ति के लिए इन योजनाओं को लागू किया जा रहा है उस उददेश्य की पूर्ति नहीं हो पा रही है। कागजों में विभागीय अधिकारियों के निष्क्रीयता के चलते कागजों में कई योजनाए संचालित किया जा रहा है। धरातल पर इसे देखने वाला कोई नहीं है।

सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर लाखों खर्च करने के बावजूद गौठान में व्यवस्था में सुधार होने के बजाय और भी खराब होने लगे है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी गौठान में सारी सुविधा का होने का हवाला देकर पल्ला झाड लेते है और गौठान की बेहतर स्थिति केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गई है। जिससे क्षेत्र के ग्रामीण गौठानो का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्र के कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नरवा,गरूवा, घुरूवा एंव बाड़ी योजना की शुरूआत आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र एवं कृषि प्रधान क्षेत्र से की गई है। योजना के प्रारंभिक दौर में जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय अधिकारी कर्मचारी इस योजना को सफल बनाने कड़ी मेहनत के बावजूद इसके कुछ माह के भीतर जिस उददेश्य से योजना की शुरूआत की गई थी, वह पुरा होता नहीं दिख रहा है। गौठान में मवेशियों की सुविधा के नाम पर कुछ भी नही है, न ही हरा चारा है और न ही पैरा है और तो और गौठानो में मवेशियों के पानी पीने के लिए टंकी बनाया गया है यह टंकी सुखा पड़ा है और इसमें कचरा भरा हुआ हैं।

गौठान पड़े हैं खाली, मवेशी खेतों व सड़कों पर घुम रहे हैं, गौठान में लटक रहे हैं ताले

विकास खण्ड कुनकुरी के अन्तर्गत ग्राम पंचायत गड़ाकटा में निर्मित किये गये गौठान को विकासखण्ड में सबसे आर्दश गौठान बताया जा रहा है और जब भी कोई बडे जनप्रतिनिधि तथा अफसरों का क्षेत्र में दौरा होता तो उन्हें स्थानीय अधिकारी इस गौठान को दिखाने ले जाया करते थे, लेकिन आज इस गौठान में मवेशियों को रखना तो बहुत दुर 24 घंटा ताला लगा रहता है। गौठान के भीतर चारा पानी की कोई व्यवस्था नहीं है और मवेशियों की भीड़ सडक पर है, गांव के भीतर और किसानों के खेतो में ईधर उधर घुमते देखे जा सकते है, जिससे फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है और तो और गौठान खाली पडे़ है। सड़कों पर घुम रहे मवेशी दुर्घटना को अंजाम दे रहे हैं साथ ही कई मवेशी स्वयं भी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। सरकार ने मवेशियों की सुरक्षा के लिए गौठान का निर्माण किया था लेकिन आज गौठानों में मवेशी दिखाई ही नहीं देते है।

लाखों के गौठान, सुविधाओं पर नहीं ध्यान, पड़े हैं विरान

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा व बाड़ी के अंतर्गत आने वाले गौठान प्रोजेक्ट पर पलिता लग रहा है। कई गांवों में लाखों रूपये खर्च किए जा चुके हैं, पर मवेशियों को नसीब है सिर्फ दलदली जमीन। चरवाहे तो परेशान है ही, मवेशी मालिक भी मौजूदा हालत से बेहाल हो रहे हैं। जिले में सर्वाधिक पशुधन गांवों में ही है और कई जगहों में गौठान विकसित किए जा रहे हैं।

महत्वाकांक्षी योजना का हुआ ये बुरा हाल, ना देखरेख, ना चारा की व्यवस्था, सुनिए क्या कहना है ग्रामीणों का..

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गौठान अधर में लटकती नजर आ रही है। जशपुर जिले के कई गौठान खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। दूसरी तरफ देखरेख के अभाव में गौठानों में लगे सामानों, लोहे के एंगलो आदि की चोरी का मामला भी सामने आ रहा है। गौठानों की अच्छी स्थिति को लेकर प्रशासन लाख दावे कर लें। लेकिन गौठान में ना तो कोई देख-रेख करने वाला है, ना ही गाय को चारा खिलाने की किसी तरह की व्यवस्था की गई है।

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