प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान योजना अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में जशपुर जिले के कुटमा ग्राम पंचायत के सलखाडांड की पहाड़ी कोरवा महिला से किया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संवाद
January 15, 2024हम पहाड़ी कोरवा है एक-दो किमी तक चलकर ढ़ोढी-कुआं का गंदा पानी पीने विवश थे, अब पानी-बिजली-घर सब मिल गए, सारी दिक्कत दूर हो गई
कई लोगों के जो काम 75 सालों में नहीं हुए, वो जनमन योजना से कुछ दिनों में हो गये- प्रधानमंत्री को पहाड़ी कोरवा महिला मनकुवांरी ने दी अपने जीवन में आये बदलाव के लिए बधाई
मनकुंवारी ने बताया समय की सबसे ज्यादा बचत हुई, पहले पानी भरने एक किलोमीटर जाते थे, लकड़ी के लिए जंगल जाते थे, फिर चूल्हे में देर तक समय लगता था हमारे बच्चे रोते रहते थे
समदर्शी न्यूज़, जशपुर/रायपुर : प्रधानमंत्री जी, हम लोग पहाड़ी कोरवा हैं। पहाड़ में रहते हैं। एक दो किलोमीटर चलकर ढ़ोढी-कुआं जाते थे और यहां का गंदा पानी पीने विवश थे। इससे अक्सर उल्टी-दस्त हो जाती थी। अब स्वच्छ पानी मिल रहा है। घर भी बन गया और बिजली भी लग गई। यह बात जशपुर जिले से जनमन संगी और विशेष पिछड़ी पहाड़ी कोरवा जनजाति की महिला श्रीमती मनकुंवारी बाई ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान पीएम जनमन योजना के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग से आयोजित कार्यक्रम के दौरान संवाद में कही।
अपना परिचय देते हुए श्रीमती मनकुंवारी ने कहा कि मैं जशपुर जिले के ग्राम पंचायत कुटमा के गांव सलखाडांड से हूँ। मेरे परिवार में पांच सदस्य रहते हैं। प्रधानमंत्री ने उन्हें पूछा कि आपको किन योजनाओं का लाभ मिला। मनकुंवारी ने बताया कि मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर मिला, बिजली भी लग गई। नलजल आ गया, गैस आ गया। प्रधानमंत्री ने पूछा कि इन योजनाओं से आपके जीवन में किस तरह का बदलाव आया। मनकुंवारी ने बताया कि पहले चूल्हा उपयोग करते थे। लकड़ी के लिए जंगल जाना पड़ता था। फिर चूल्हे में देर तक समय लगता था। समय लगने की वजह से बच्चे खाने के लिए रोते रहते थे।
कौन से व्यंजन बनाती हैं गैस आने के बाद- प्रधानमंत्री ने पूछा कि अब गैस आ गया है तो नई-नई चीजें भी बनाती होंगी। क्या आपने खाने की कुछ नई चीजें सीखी हैं। प्रधानमंत्री ने स्नेहिल मुस्कान के साथ पूछा कि आप बताओ, हम खाने नहीं आयेंगे। मनकुंवारी ने कहा कि धुस्का बना लेती हूँ भजिया बना लेती हूँ।
दोना-पत्तल बनाने का काम करते हैं – प्रधानमंत्री ने पूछा कि आपका स्वयं सहायता समूह किस तरह का काम करता है। क्या इसे किस तरह का प्रशिक्षण मिला है। मनकुंवारी ने बताया कि उनका 12 सदस्यों का एक समूह है। हम लोगों को प्रधानमंत्री वनधन केंद्र में दोना पत्तल का प्रशिक्षण मिला है। हम दोना पत्तल बनाने का काम करते हैं और इसे बेचते हैं।
आप जनमन संगी है आप लोगों को किस तरह से जानकारी देती है – प्रधानमंत्री ने पूछा कि आप जनमन संगी है, बताइए लोगों को किस तरह से योजनाओं की जानकारी देती हैं। श्रीमती मनकुंवारी ने बताया कि मैं लोगों के घर-घर जाती हूँ। आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड आदि बनवाती हूँ। इन्हें शिविर में ले जाती हूँ। जो काम 75 वर्ष में नहीं हुआ, वो 25 दिनों में पीएम जनमन योजना के माध्यम से पूरा हो गया। मैं आपको धन्यवाद देती हूँ। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस धन्यवाद के जवाब में मैं भी आपको धन्यवाद देता हूँ। प्रधानमंत्री ने बच्चों से कहा कि आप लोग खेलकूद में भी खूब ध्यान लगाइये। पढ़ाई के साथ खेलकूद से भी नाता होना चाहिए। आजकल खेलकूद में जो अवार्ड मिलते हैं। उनमें आदिवासी क्षेत्र के बच्चे अधिक होते हैं।
शहर का भी व्यक्ति कागज रखकर पढ़ेगा, आपको तो सब जुबानी याद है – प्रधानमंत्री ने श्रीमती मनकुंवारी से कहा कि आपसे बातकर बहुत अच्छा लगा। शहर का व्यक्ति भी हाथ में कागज रखकर पढ़ेगा, आपको सब जुबानी याद है। आपने लाभ लेने के बाद दूसरों को भी जागरूक करने का काम किया है। जब सब लोग योजनाओं में शामिल होते हैं तो योजनाओं का असर कई गुना बढ़ा जाता है।