जशपुर जिला जेल में विधिक जागरूकता शिविर का हुआ आयोजन

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

जशपुर. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जशपुर के अध्यक्ष तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अनिता डहरिया के निर्देश पर विगत दिवस को जिला जेल जशपुर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण  के सचिव अमित जिंदल के द्वारा जिला जेल का निरीक्षण कर विधिक जागरूकता शिविर आयोजित की गई। शिविर में बताया गया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार अन्वेषण अनावश्यक विलम्ब के बिना पूरा किया जाएगा, अर्थात चालान यथाशीघ्र पेश किया जाना विधि की बाध्यता है, इसी तारतम्य में माननीय उच्चतम न्यायालय ने पंकज कुमार विरूद्ध महाराष्ट्र राज्य निर्णय 11 जुलाई 2008 के न्यायादृष्टांत में कहा कि अन्वेषण  भी शीघ्र रूप से होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता मंे भी यह प्रावधान है कि यदि मजिस्टेªट द्वारा विचारणीय किसी मामलें में ऐसे व्यक्ति का विचारण, जो कि अजमानतीय अपराध का अभियुक्त है, उस मामले में साक्ष्य देने के लिए नियम प्रथम तारीख से 60 दिन की अवधि के अन्दर पूरा नहीं हो जाता है तो यदि ऐसा व्यक्ति उक्त संपूर्ण अवधि के दौरान अभिरक्षा में रहा है तो, जब तक ऐसे कारणों से लेखबद्ध किए जाएंगे मजिस्ट्रेट अन्यथा निर्देश न दे वह मजिस्टेªट को समाधानप्रद जमानत पर छोड़ दिया जाएगा।

उन्होंने एक अन्य प्रावधान के बारे में बताते हुए कहा कि यदि जमानतीय अपराध में कोई व्यक्ति जमानत नहीं पेश करने के कारण जेल में बंद है तो दंड विधि संसोधन अधिनियम के तहत् जोड़े गए स्पष्टीकरण के तहत् यदि बंद व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी के एक सप्ताह के अंदर जमानत देने में असमर्थ रहता है तो न्यायालय उसे निर्धण व्यक्ति मानकर स्वतः बंध पत्र पर छोड सकता है। विधिक सेवा शिविर में जेल अधीक्षक श्री मनीष संभारकर भी उपस्थित थे।

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