गृहमंत्री ने पूर्व नक्सली को महिमा मंडित कर शहीदों का किया अपमान : गृह मंत्री को नक्सली मुठभेड़ में शहीद सुरक्षा के जवान और आम नागरिकों के बच्चों से बात कर उनका सुख-दुःख समझना था – प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर.

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समदर्शी न्यूज़ – रायपुर : गृहमंत्री विजय शर्मा के द्वारा वीडियो कॉल से पूर्व नक्सली से बात कर उनका महिमा मंडन करना शहीदों का अपमान है, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि गृह मंत्री पूर्व नक्सली से वीडियो कॉल करके उसका महिमा मंडन करते हैं, यह बेहद दुर्भाग्य जनक और निंदनीय है। गृह मंत्री नक्सली के घर लाल भाजी की दावत उड़ाने की इच्छा व्यक्त करते है। यह नक्सली वारदात में मारे गए आम नागरिक और शहीदों के परिजनों के जख्मों पर नमक छिड़कना है। गृह मंत्री विजय शर्मा को चाहिए था कि नक्सली वारदात में शहीद जवान और आम नागरिकों के परिजनों से चर्चा करते उनके बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ, विकास और उनके सुख-दुख को समझते। गृह मंत्री का पूर्व नक्सली से चर्चा करना कहीं ना कहीं नक्सलवाद के प्रति सरकार के नरम रूख को दिखाता है। इससे अन्य प्रकार के अपराध और अपराधियों को बढ़ावा मिलता है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि गृह मंत्री को बस्तर में जिन परिवारों ने अपने परिजनों को नक्सली बताये जाने का विरोध किया है, उन परिजनों से भी गृह मंत्री को बात करना चाहिए। उनकी बात सुननी चाहिए उनको न्याय दिलाना चाहिए। प्रदेश को लाल आतंक से मुक्त करने के लिए हमारे सुरक्षा बल के जवान अपने प्राणों की आहुति दिए हैं, नक्सलियों ने हज़ारों बेकसूर निर्दोष आम नागरिकों की हत्या की है। नक्सली वारदात के चलते कई परिवार अनाथ हो गए हैं। नक्सलियों ने आम नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया है और नक्सलवाद को खत्म करने जो हमारे आम नागरिक और सुरक्षा के जवान लोहा ले रहे हैं, उनके मन में भी नकारात्मकता आती है। दिनभर संघर्ष के बाद जब सरकार नक्सलियों के पक्ष में खड़ी होती है, तो कहीं ना कहीं आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों का मन टूटता है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि 15 साल के रमन सरकार के दौरान भी नक्सलवाद को लेकर सरकार का नरम रूख था, जिसका ही दुष्परिणाम है कि दक्षिण बस्तर के दो विकासखंड तक सीमित नक्सलवाद प्रदेश के 15 जिलों को प्रभावित किया था। कांग्रेस की सरकार ने नक्सलवाद को खत्म करने के लिए मजबूत नीति बनाई थी और छत्तीसगढ़ लाल आतंक से मुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ा है। वर्तमान सरकार को भी नक्सलवाद समाप्त करने के लिए स्पष्ट नीति बनानी चाहिए। नक्सली समाज के मुख्य धारा में जुड़े और बुलेट को छोड़कर बैलेट पर विश्वास करें, भारत के संविधान पर भरोसा करें और नक्सलवाद छोड़कर आये लोगों के उत्थान के लिए भी कार्यक्रम होना चाहिए पर इसका मतलब यह नहीं है कि अपराधी और नक्सलियों का महिमा मंडन किया जाये।

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