नोटबंदी, जीएसटी के चलते 18 लाख उद्योग बंद हुए वहां काम करने वाले 54 लाख बेरोजगार हो गये – धनंजय सिंह ठाकुर

नोटबंदी, जीएसटी के चलते 18 लाख उद्योग बंद हुए वहां काम करने वाले 54 लाख बेरोजगार हो गये – धनंजय सिंह ठाकुर

June 27, 2024 Off By Samdarshi News

भाजपा सरकार में बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिलता उल्टा जिनके हाथ में रोजगार होती है उन्हें भी छीना जाता

समदर्शी न्यूज़, रायपुर : प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार में बीते 7 साल में 18 लाख से अधिक उद्योग बंद हो गए और वहां काम करने वाले 54 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। भाजपा की सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने में असफल रही है। इनके नीतियों के चलते जिनके हाथ में रोजगार होता है उनसे भी रोजगार छिन जाता है। संगठित और असंगठित क्षेत्र को और सरकारी पदों पर नई भर्ती नहीं होने के कारण बेरोजगारी के मामले में देश 45 साल पुराने स्थिति में खड़ी हुई है देश में 30 लाख से अधिक सरकारी पद रिक्त पड़े हुए हैं सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया गया जिसमें छटनी हुआ है नई भर्तियां नहीं हो रही है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि असंगठित उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण एएसयूएसई और नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस एनएसएसओ के आंकड़ों के खुलासा हो गया कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 9.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 2015-16 में 3करोड़ 60 लाख लोग काम कर रहे थे वह घटकर 2022-23 में 3 करोड़ 6 लाख हो गई। 15 प्रतिशत की गिरावट आयी। इसका मुख्य कारण नोटबंदी,जीएसटी और कोविड महामारी के दौरान केंद्र सरकार का कुप्रबंधन है जिसके चलते असंगठित क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा जो 48 हजार से अधिक सरकारी पदों पर नियमित भर्ती की प्रक्रिया चल रही थी उसको दुर्भावना पूर्वक बाधित कर दिया गया है। 100 दिन में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का वादा था, लेकिन अनियमित कर्मचारियों की छटनी की जा रही है। दैनिक वेतन भोगियों का वेतन रोक दिया गया है। ठेले खोमचे चला कर जीवन यापन करने वालों को बेदखल किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार की अकर्मण्यता और उपेक्षा के चलते उद्योग व्यापार चौपट होने से निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर घट गए हैं।