विधानसभा सचिवालय में आयोजित हुई वित्तीय समितियों की संयुक्त बैठक : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति और निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति के विषयों पर हुई चर्चा.

विधानसभा सचिवालय में आयोजित हुई वित्तीय समितियों की संयुक्त बैठक : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति और निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति के विषयों पर हुई चर्चा.

July 11, 2024 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ रायपुर, 11 जुलाई 2024 | आज छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिवालय में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में वित्तीय समितियों की संयुक्त बैठक आयोजित हुई, जिसमें लोक लेखा समिति के सभापति डॉ. चरणदास महंत, प्राक्कलन समिति के सभापति श्री अजय चन्द्राकर, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति श्री अमर अग्रवाल, स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति के सभापति श्री धरमलाल कौशिक, प्रधान महालेखाकार श्री यशवंत कुमार, वित्त विभाग के सचिव, संचालक, राज्य संपरीक्षा विधान सभा के सचिव श्री दिनेश शर्मा और वित्त सचिव श्री शारदा वर्मा एवं इन वित्तीय समितियों से संबंद्ध अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

सभी वित्तीय समितियों के सभापतियों एवं सदस्यों को वर्ष 2024-25 के लिए सभापति एवं सदस्य चुने जाने पर बधाई देते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस संयुक्त बैठक की शुरुआत की। उन्होंने आगे कहा कि संसदीय समितियों का दायरा अत्यंत विस्तृत और व्यापक स्वरूप का होता है, इनकी इसी महत्ता के कारण संसदीय समितियों को लघु सदन की संज्ञा दी जाती है। अन्तः सत्र काल में विधायिका समितियों के माध्यम से ही कार्यपालिका पर नियंत्रण बनाए रखती है और इस सत्र में सभी वित्तीय समितियों के सभापति अनुभवी और संसदीय ज्ञान से परिपूर्ण हैं, जिससे कि उनके सुदीर्घ संसदीय ज्ञान और अनुभवों से हमारे सदन की वित्तीय समितियां लाभान्वित होंगी साथ ही परिणाम मूलक सिद्ध होंगी।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने वित्तीय समितियों के महत्व और उनकी उपयोगिता पर चर्चा करते हुए कहा कि संसदीय समितियां में वित्तीय समितियों का एक अपना अलग महत्व है, क्योंकि यही वह समितियां होती हैं जो विधानसभा द्वारा पारित बजट की राशि को विभिन्न शासकीय विभागों में किस तरह से व्यय किया जा रहा है, इस पर नजर रखती हैं। उसकी समीक्षा करती हैं और समीक्षा से प्राप्त निष्कर्ष कार्यपालिका पर वित्तीय अनुशासन को बनाये रखने हेतु सुनिश्चित करती है।

जिसके बाद उन्होंने वित्तीय समितियों में लोक लेखा समिति को सबसे महत्वपूर्ण समितियों में से एक बताते हुए कहा कि इस समिति के माध्यम से भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन में प्रस्तुत आर्थिक अंकेक्षण से संबंधित कार्यों की समीक्षा होती है और अगर इसमें अनियमितता सामने आती है तो उस आर्थिक अनियमितता से संबंधित सभी कंडिकाओं का मौखिक परिक्षण तथा शेष अन्य कंडिकाओं पर लिखित जानकारी के आधार पर लोक लेखा समिति परीक्षण करती है।

वित्तीय संसदीय समितियों में प्राक्कलन समिति विभागों के प्राक्कलनों पर विचार तथा बजट एवं अनुदान की मांगों को विधानसभा द्वारा पारित करने के बाद कार्यपालिका द्वारा किये गये खर्च पर सभा का वित्तीय नियंत्रण बनाये रखने का कार्य करती है। इस दौरान प्राक्कलन समिति के सदस्यों से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने विस्तृत चर्चा करते हुए उनके विचार भी प्राप्त किये।

इसके उपरांत विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति को एक और महत्वपूर्ण वित्तीय समिति बताते हुए कहा कि इस समिति के माध्यम से राज्य के विभिन्न निगम अथवा मंडलों के लेखों की जांच महालेखाकार द्वारा की जाती है तथा प्रतिवर्ष प्रतिवेदन तैयार कर विधान सभा में यथासमय प्रस्तुत किया जाता है। सभा में प्रस्तुत सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित महालेखाकार के प्रतिवेदन में ऑडिट आपत्तियों पर विभाग एवं सार्वजनिक उपक्रमों से जानकारी प्राप्त कर आवश्यकतानुसार विभागीय सचिव का मौखिक साक्ष्य लेकर जान की प्रक्रिया को पूर्ण कर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है।

स्थानीय निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं के लेखों की जांच महालेखाकार द्वारा किये जाने के पश्चात् प्रतिवेदन विधान सभा में प्रस्तुत किया जाता है। उसी प्रकार छत्तीसगढ राज्य संपरीक्षा द्वारा भी इन संस्थाओं के लेखों का परीक्षण किया जाकर प्रतिवेदन को विधान सभा में प्रस्तुत किया जाता है। इन प्रतिवेदनों का परीक्षण विधान सभा की स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति द्वारा किया जाकर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है।

इस बैठक में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अनुरोध करते हुए कहा कि वित्तीय समितियों के सभापति एवं सदस्यों को समिति की बैठकों के प्रति अपनी उपस्थिति के प्रति सदैव गंभीर रहना है क्योंकि बैठकों की निरंतरता और सभापति एवं सदस्यों की उपस्थिति ही समितियों की सार्थकता को सिद्ध कर सकेगी। समितियों के सभापति एवं सदस्यों का यह सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि वित्तीय समितियां बेहतर कार्य करने के लिए अग्रसर हो साथ ही अन्य राज्यों की समितियों की तुलनात्मक समीक्षा करते हुए छत्तीसगढ़ विधान सभा की वित्तीय समितियों की उत्कृष्ट कार्यशैली को स्थापित करने में सफल हों।