आंदोलन सेनानी स्वर्गीय पंडित गंगा प्रसाद बाजपेयी ने 9 अगस्त 1942 आंदोलन में फहराया था राष्ट्रीय ध्वज.

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समदर्शी न्यूज़ बिलासपुर, 04 अगस्त 2024 / शासकीय बहु उद्देशीय उ. मा. शाला बिलासपुर के विद्यार्थी स्वर्गीय पं. गंगा प्रसाद बाजपेयी ने 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी जी के अव्हान पर अंग्रेजोभारत छोड़ो आंदोलन में अपने दलनायक स्वर्गीय चित्रकांत जायसवाल जी के निर्देश पर नगर स्थित शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक शाला बिलासपुर में अपने दल साथियों के साथ राष्ट्रीय झण्डा फहरा दिया था। प्राचार्य श्री लाला दीनानाथ द्वारा विरोध करने पर दल के साथ सड़क से ही मिटटी, पत्थर, धूल उठाकर मार दिया, जिससे उन्हें चोट पहुँची, सिर से खून निकल गया। पुलिस ने गिरफ़्तार क़र लिया। उम्र कम होने के कारण स्कूल के 12-13 साथियों को सीटी कोतवाली पुलिस ने शाम को छोड़ दिया।

यह जानकारी देते हुये उनके पुत्र पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश बाजपेयी ने बतलाया कि खादी धारण कर गाँधीवादी एवं विनोबा भावे की जीवन पद्धति को जीवन पर्यन्त निभाया। स्वर्गीय डॉ. वासुदेव देवरस, स्वर्गीय बिसाहू दास महंत, स्वर्गीय ठाकुर राजेन्द्र सिंह जी, स्वर्गीय पं. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला जी उनके निकटतम वरिष्ट साथी थे। उन्हें मानस मर्मज्ञ  महाकवि एवं प्रख्यात साहित्यकार डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्रा नानाजी से साहित्य संस्कृति एवं समाजसेवा की प्रेरणा मिली तथा चाचाश्री इन्द्रदत्त बाजपेयी व छोटेलाल बाजपेयी (महान क्रांतिकारी चन्द्र शेखर आज़ाद) के साथी से देशप्रेम व राष्ट्रीयता से अनुप्राणित रहे।

आज से सात वर्ष पूर्व 9 अगस्त 2017 को प्रेस क्लब ईदगाह बिलासपुर में 9 अगस्त 1942 को अंग्रेज़ों भारत छोड़ो करों या मरों” का शंखनाद महात्मा गांधी के आन्दोलन में बिलासपुर की भूमिका को लेकर उस दौर के प्रत्यक्षदर्शी एवं आन्दोलन में भाग लेने वाले 93 वर्षीय आंदोलन सेनानी स्वर्गीय पंडित गंगा प्रसाद बाज़पेयी ने संस्मरण सुना कर भावविहोर कर दिया था, उक्त अवसर पर आयोजक व साक्षी रहे वरिष्ठ पत्रकार नथमल शर्मा, विश्वेश्वर ठाकरे, दिनेश ठक्कर, राजेश दुआ, साहित्यकार रामकुमार तिवारी, मँगला देवरस, डॉक्टर सोम यादव, महेश श्रीवास, समाज सेवी सी.पी. देवरस, सभापति नगर निगम शेख़ नज़रूद्दीन, छोटे भाई पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश बाजपेयी, सुश्री मंगला देवरस, अशोक शुक्ला, सीमा पाण्डेय, डाक्टर उषा किरण बाजपेई, सच्चिदानंद तिवारी, अखिलेश बाजपेई, बाबुआ सिंग, राजा शुक्ला सहित प्रेस क्लब के साथी उपस्थित रहे थे, क्रांति दिवस अमर रहे।

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