राष्ट्रीय नेता बनने के लिए कितना नीचे गिरंगे भूपेश बघेल, किसी दलित को छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री की कुर्सी सौपे : संजय

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक के मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान उनकी निकृष्ट मानसिकता, दिमाग़ी दीवालिएपन और वैचारिक दरिद्रता का परिचायक है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल द्वारा इसे पंजाब सरकार को गिराने का षड्यंत्र बताना कांग्रेस की पंजाब के चुनावों में तयशुदा हार को लेकर मुख्यमंत्री के भय और चिंता को ज़ाहिर कर रहा है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल में अगर इतनी ही राजनीतिक समझ है तो वे उत्तरप्रदेश के साथ-साथ पंजााब के भी पर्यवेक्षक बन जाएँ, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। मुख्यमंत्री बघेल का यह कहना कि लोगों की सहानुभूति पाने के लिए जान का ख़तरा बताया जा रहा है, तो मुख्यमंत्री बघेल को अपने दिमाग़ की खिड़कियाँ खोलकर सन् 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर ग़ौर फ़रमा लें, जिनमें प्रधानमंत्री श्री मोदी की नेतृत्व कुशलता पर देश की जनता ने मुहर लगाई थी और कांग्रेस दोनों चुनावों में नेताा प्रतिपक्ष चुनने लायक नहीं रह गई है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल पहले अपनी तीन साल की हाँफती सरकार की चिंता करें और देखें कि मुख्यमंत्री पद की लालसा में कांग्रेस में किस-किस तरह के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं? इसलिए ‘ख़ानदान’ की चरणवंदना के बजाय मुख्यमंत्री बघेल को अपने गिरेबाँ में झाँक लेना चाहिए।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री दलित मुख्यमंत्री की जुमलेबाजी न करें और यह बताएँ कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गंभीर चूक के मामले को दलित मुख्यमंत्री की जुमलेबाजी का क्या संबंध है? मुख्यमंत्री बघेल दलित वर्ग को उकसाने की नाकारा और ओछी राजनीति पर उतारू हो चले हैं। जिस भाजपा और प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार ने देश को एक दलित वर्ग के नेता को राष्ट्रपति पद पर चुनकर सबसे बड़ा सम्मान दिया है, उस केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ दलितों को अकारण उकसाने की ओछी मानसिकता को देश की जनता फिर माक़ूल ज़वाब देगी। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल के मन में दलितों को लेकर इतना ही प्रेम और संवेदना है तो पहले वे अपनी कुर्सी छोड़कर किसी दलित को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री पद सौंपने की पहल करें, सिर्फ़ ज़ुबानी जमाख़र्च करके राष्ट्रीय नेता बनने की लालसा में अपने दिमाग़ी फ़ितूर से बाज आएँ।

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