कांग्रेस के राज में खेती हुआ फायदे का सौदा -मोहन मरकाम

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर,  छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी  के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी सफलताओं में एक है, छत्तीसगढ़ के युवाओं में खेती के प्रति बढ़ता भरोसा। यह अकारण नहीं है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना, समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी, वनोपज प्रसंस्करण, फूडपार्क की स्थापना किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खेती-किसानी को बेहतर आय और प्रतिभा दिखाने के बेहतर अवसरों से जोड़ दिया है। समर्थन मूल्य पर खरीदने की बेहतर व्यवस्था है वहीं पशुधन पालन को भी लाभ का जरिया बनाया है। इतना ही नहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था, नई उपजों को बढ़ावा, उनकी प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग जैसी व्यवस्थाओं को संस्थागत रूप दिया है।

पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए प्रदेश सरकार योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। कृषि की वैज्ञानिक शिक्षा के साथ ही शोध, अनुसंधान और आविष्कार के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं। इसी तरह पूरे प्रदेश में समान विकास की आवश्यकता को बल देते हुए महज एक जिले या क्षेत्र में नहीं अपितु पूरे छत्तीसगढ़ को लक्षित किया गया है। यही वजह है कि आधा दर्जन कृषि और उद्यानिकी महाविद्यालय बेमेतरा, जशपुर, धमतरी, अर्जुन्दा, लोरमी में खोले गए हैं। इसी तरह महात्मा गांधी के नाम पर दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड के ग्राम सांकरा में उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना किया गया है।

साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों के मौसम व भौगोलिक परिस्थतियों को भी ध्यान में रखा जा रहा है। बस्तर में डेनेक्स रेडिमेड गॉरमेंट फैक्ट्री, काजू प्रसंस्करण इकाई, कॉफी उत्पादन से लेकर बंजर जमीन में पपीता उत्पादन तक हो रहा है। कोदो, कुटकी, रागी जैसी फसलों के लिए कांकेर जिले में और विभिन्न कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग के लिए दुर्ग जिले में प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जा रही है। 200 से अधिक विकासखंडों में फूडपार्क की स्थापना के लिए भूमि आवंटन किया जा चुका है। बंजर जमीन को कृषि के लिए उपयोगी बनाने हेतु डीएमएफ तथा अन्य मदों से सहायता दी जा रही है।

मोहन मरकाम ने कहा कि प्रोसेसिंग और फूड पार्क के जरिए छत्तीसगढ़ विकास की नई ईबारत गढ़ेगा। इसके साथ ही भूपेश सरकार कृषि उत्पादों सहित वनोपज को बाजार उपलब्ध कराने से लेकर ब्रांडिंग तक के लिए कमर कस चुकी है। इसका लाभ छत्तीसगढ़ को मिलने लगा है। प्रदेश की जनता भी यह खुलकर मानने लगी है कि छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी अब लाभ का धंधा है। इसका परिणाम भी सामने आने लगा है। छत्तीसगढ़ के कई युवा उच्च शिक्षित होने के बावजूद अब खेती-किसानी और इससे जुड़े हुए कारोबार अपना रहे हैं। जल्द ही इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देगी।

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