जशपुर की अनीता साहू ने फ्लाई ऐश ईंट के कारोबार से रचा इतिहास : स्वयं सहायता समूह से जुड़कर शुरू किया था छोटा सा काम, आज कमा रही हैं महीने की 2.5 लाख रुपये, बन गईं प्रेरणा का स्रोत

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समदर्शी न्यूज़ जशपुर, 4 अक्टूबर / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर जिले में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन ओर जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार के दिशा निर्देश में स्थानीय महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो इसके लिए स्व सहायता समूह गठित कर विविध गतिविधियों से जोड़कर नए नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। और जिले के महिला आर्थिक रूप से मजबूत बनकर लखपति दीदी के रूप में जाने जा रहे है।

यह कहानी एक ऐसी महिला की है जो करोड़पति बनने की राह पर अग्रसर है जिसने एक मिसाल कायम किया है और न जाने कितनों को प्रेरित कर रही है। अनिता साहू काँसाबेल विकासखण्ड की नरियाड़ाँढ ग्राम पंचायत प्रगति महिला ग्राम संगठन में नारी शक्ति स्व सहायता समूह की सदस्य है और कल्पना संकुल संगठन चेतना के अंतर्गत एफएलसीआरपी के पद पर बिहान कार्यक्रम से जुड़ी हुई है। इनके पति शंकर दयाल साहू शिक्षक हैं और इनके दो बच्चे हैं 9 वी तथा 7 वी में पढ़ाई करते हैं। आज उद्यमिता विकास के क्षेत्र में इनका नाम सबसे आगे है, अपनी सोच की बदौलत इस मुकाम में पहुंची है। मूलतः झारखंड से हैं और विवाह होकर 2008 में काँसाबेल आई, 2016 के सी आरपी राउंड मे समूह से जुड़ी और 2017 मे एफएलसीआरपी बनी ।

पति अपने कार्य मे वयस्त रहते थे अनीता ने सोचा क्यों नहीं छोटा छोटा कार्य कर अपनी आय में वृद्धि की जाए, उसने यू ट्यूब देखा और फ्लाई एश ब्रिकक्स बनाने का कार्य शुरू करने की सोची । 2017 में बैंक लिंगकिज के माध्यम से 1 लाख रुपये का लोन लिया एवं सीआइएफ से 60000 की राशि लेकर करीब डेढ़ लाख में फ्लाई एश ब्रिकक्स बनाने का छोटा मशीन खरीदा और बिजनस शुरू किया। आस पास से मांग आने लगी और धीरे धीरे पहचान बनने लगी और लाभ होने लगा। समूह की अन्य 3 दीदियों को कार्य से जोड़ मांग की अधिकता एवं लाभ कमाने लगी और व्यापार मे इनकी सोंच बढ़ने लगी की और ज्यादा उत्पादन किया जाने लगा।

सोंच से दशा दिशा बदल गई अनीता ने pmfme रोजगार से 15 लाख का लोन लिया। 13 लाख का हीपकों फ्लाई एश ब्रिकक्स मशीन खरीदा 1.5 लाख मे 20 केवी का ट्रांसफार्मर लगाया और उत्पादन शुरू कर दिया । आज के दिनों मे 8 समूह सदस्य 3 पुरुष काम कर रहे हैं हैं और प्रतिदिन 10000 ईट का उत्पादन कर प्रतिदिन खर्च काट कर 10000 रु प्रतिदिन शुद्ध लाभ कमा रह है। महीने में 22-25 दिनों के कार्य से 2.2 लाख से लेकर 2.5 लाख की मासिक आमदनी हो रही है। शुद्ध करीब 10000 का मासिक विद्युत खर्च भी वहन कर रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम उनसे हिसाब किताब समझने गई थी।

शासकीय मांग के अनुसार प्रधानमंत्री आवास निर्माण में 8 इंच एवं 9 इंच ईट की आपूर्ति प्रतिदिन की जा रही है । कच्चा माल (एश) खरसिया रायगढ़ से आता है, हाइवा मे करीब 30 टन, 650 रु प्रति टन के हिसाब से खरीदा जाता है, जो मात्र ढुलाई खर्च होता है एश मुफ़्त मे मिलता है । इसके अतिरिक्त रेत एवं सिमेन्ट भी लगता है और केमिकल भी इस्तेमाल होता है। 1 ईट तैयार करने मे 3.20रु लगता है जो 4 रु से 4.25 रु तक बिकता है और भी तकनीकी पहलू हैं। परंतु यह ईट लोकप्रिय है, इसकी मांग पूर्ति पूरी नहीं हो पा रही है इसलिए प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाने की सोंच अनीता साहू ने अपने जहनन मे रखा है।

अनीता साहू की बातों मे मेहनत और आत्मविश्वास की मुस्कान झलक रही थी, बहुत ही शालीनता से अपनी बात मनोरा से भ्रमण करने वाली समूह की दीदियों को बता रही थी । मनोरा की दीदीया भी उत्साहित है और फ्लाई एश ब्रिकक्स का व्यापार करने हेतु उद्योग विभाग से मिलने जा रही है, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जिला दल उनका सहयोग कर रहें हैं। अनीता साहू ने जिस तरह की मिसाल प्रस्तुत किया है उस से सभी बहुत प्रेरित।

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