फादर पौल तिर्की का रजत जयंती समारोह सम्पन्न : कुनकुरी पल्ली के शांतिपारा-बेमताटोली गांव में किया गया आयोजन

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मैं जिन लोंगो के पास तुम्हें भेजूंगा, तुम उनके पास जाओगे और जो कुछ तुम्हें बताऊंगा, तुम उन्हें बताओगे।'(येरेमियस 1:7)

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, जशपुर/कुनकुरी

फादर पौल कुमार तिर्की के पुरोहिताई जीवन का 25 वर्ष पूरा करने के पुनीत अवसर पर रजत जयंती समारोह का आयोजन कुनकुरी पल्ली के शांतिपारा -बेमताटोली गांव में किया गया। इसमें मिस्सा पूजा एवं बधाई समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान स्वयं जुबेलिरियान फादर पौल कुमार ने किया जिनका सहयोग उनके छोटे भाई फादर कंचन तिर्की, फादर संजय कुजूर, फादर महिपाल टोप्पो, फादर एरेनियुस एक्का ने सहनुष्ठाता के रूप में सहयोग दिया। इस समारोह में मुक्तिदाता धर्मसंघ के फादर लौरेंस, ईसाक डुंगडुंग, अपने धर्मसंघ के पुरोहितगण, कुनकुरी पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर सुनील कुजूर, राँची से फादर अजय खलखो, अन्य पुरोहितगण, धर्मबहनें, परिवार, रिश्तेदार, अतिथिगण, ग्रामवासी उपस्थित हुए।

कार्यक्रम का शुभारंभ बेमताटोली ग्रामवासियों के प्रवेश नृत्य तथा फादर कंचन तिर्की द्वारा जुबिलेरियन का जीवनी पठन व स्वागत संबोधन से हुआ। मिस्सा के दौरान बाईबल से पढ़े जाने वाले पाठों को क्रमशः फ्राँसी तिर्की एवं फादर संजय कुजूर  ने पढ़ा।

फादर पौल ने अपने प्रवचन में अपने 25 वर्षीय पुरोहिताई सेवा कार्य का अनुभाव को साझा किया। उन्होंने कहा ईश्वर की कृपा और आशीष उनके जीवन में हमेशा बना रहा। आगे कहा जिस तरह येसु ने अपने शिष्यों को चुना और बुलाया उसी अनुरूप मुझे भी प्रभु ने परोपकारी एवं सेवा कार्य के लिए चुना और पुरोहिताई कार्य को संचालित किया हैं। 

धार्मिक गीतों का संचालन फादर संजय केरकेट्टा की अगवाई में शांतिपारा-बेमताटोली गायन दल द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में बधाई समारोह संपन्न किया गया जिसमें गीत एवं नृतियों की प्रस्तुति दी गयी। कर्यक्रम के अंत में फादर पौल ने आभार प्रकट किया।

जीवन परिचय

फादर पौल कुमार तिर्की मुक्तिदाता धर्मसंघ के बंैगलोर प्रोविंश के पुरोहित है। उनका  जन्म 3 मई 1965 में अपने पैतृक ग्राम लुखी-मधवा में हुआ। वे अपने पिता स्व. जोहान तिर्की तथा माता स्व. करमेला तिर्की के तीसरे संतान है। वे 5 भाई और 1 बहन है। उनकी पर्सम्भिक  शिक्षा सन्ना-सराईटोली मिशन स्कूल तथा हाई स्कूल की पढ़ाई दीपक जानता शाला हर्राड़िप्पा में हुई। उन्होंने हायर सेकेंडरी तथा कॉलेज की पढ़ाई बंैगलोर से की। सन 1984 ई में मुक्तिदाता धर्मसंघ में प्रवेश किया। 27 जून 1987 को उन्होंने प्रथम व्रत तथा अंतिम व्रत 1994 में धारण किया। दर्शनशात्र तथा ईसशात्र की पढ़ाई बंैगलोर में  एंव अन्य प्रशिक्षण संपन्न करने के पशचात 29 मई 1995  को एकम्बा पल्ली में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ। उनकी प्रथम नियुक्ति कोलकाता में हुई। उसके पशचात अरुणाचल प्रदेश, कमताटोली तथा वर्तमान में कालूँगा पल्ली ओडिशा में पल्ली पुरोहित के रूप में सेवा दे रहे हैं।

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