कुनकुरी : जादू-टोना के शक में हत्या, न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

कुनकुरी : जादू-टोना के शक में हत्या, न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

January 18, 2025 Off By Samdarshi News

कुनकुरी छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कुनकुरी में द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश बलराम कुमार देवांगन ने एक जघन्य हत्याकांड में अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। बोड़ालता गांव में जादू-टोना के अंधविश्वास में अपनी ही रिश्तेदार की हत्या करने वाले आरोपी अनिल कुजूर को आजीवन कारावास सहित कठोर सजाएं सुनाई गई हैं। यह फैसला न केवल न्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में अंधविश्वास के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी देता है।

घटना का क्रूर विवरण

14 नवंबर 2023 की रात बोड़ालता गांव में यह दर्दनाक घटना घटी। आरोपी अनिल कुजूर (46 वर्ष), जो नारायणपुर थाना क्षेत्र का निवासी है, ने अपनी भाभी अल्पमुनी पर जादू-टोना कर अपने बेटे सुमित को गायब करने का आरोप लगाया। घटना के दिन अनिल का बेटा सुमित अपने पिता से विवाद के बाद जंगल की ओर चला गया था और फोन पर सूचना दी कि उसने जहर पी लिया है।

सुमित को जंगल में तलाशने में विफल रहने के बाद अनिल ने अपनी भाभी अल्पमुनी पर जादू-टोना का आरोप लगाते हुए हंसिया लेकर उसके घर में जबरन प्रवेश किया। उसने अल्पमुनी को घसीटकर तालाब के पास ले जाकर धारदार हंसिया से उसकी बेरहमी से हत्या कर दी। यह वीभत्स दृश्य मृतिका की नाबालिग पुत्री स्मृति ने देखा और अपने रिश्तेदारों को घटना की जानकारी दी।

मामले की रिपोर्ट और गिरफ्तारी

हत्या के तुरंत बाद अल्पमुनी के देवर रामप्रसाद ने नारायणपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई। पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान भारतीय दंड संहिता की धारा 450, 364, 302 और छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 की धारा 4 और 5 के तहत मामला दर्ज किया गया।

न्यायालय में सुनवाई

न्यायालय में अभियोजन पक्ष ने सभी आवश्यक साक्ष्य और गवाह प्रस्तुत किए। अपर लोक अभियोजक श्रीमती श्यामा महानंद ने प्रभावी पैरवी करते हुए घटना की गंभीरता को रेखांकित किया। गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार दिया।

आरोपी को सुनाई गई सजा

न्यायालय ने आरोपी अनिल कुजूर को निम्नलिखित सजाएं सुनाई:

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 450: 10 वर्ष का सश्रम कारावास।
  • धारा 364: 10 वर्ष का सश्रम कारावास।
  • धारा 302: आजीवन कारावास।
  • छ.ग. टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम की धारा 4: 2 वर्ष का सश्रम कारावास।
  • धारा 5: 3 वर्ष का सश्रम कारावास।

सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। इसके अतिरिक्त, आरोपी पर आर्थिक दंड भी लगाया गया।

मृतिका के परिवार को मुआवजा

न्यायालय ने मृतिका की नाबालिग पुत्री स्मृति की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, उसे विधि अनुसार क्षतिपूर्ति प्रदान करने का भी आदेश दिया।

अंधविश्वास के खिलाफ सख्त संदेश

यह मामला न केवल जादू-टोना जैसे अंधविश्वासों की भयावहता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे समाज में इन मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। न्यायालय का यह फैसला टोनही प्रताड़ना जैसे अपराधों पर सख्ती से रोक लगाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

अपर लोक अभियोजक का वक्तव्य

अपर लोक अभियोजक श्रीमती श्यामा महानंद ने कहा, “यह निर्णय पीड़ित परिवार के लिए न्याय का प्रतीक है। यह फैसला समाज में अंधविश्वास और टोनही प्रताड़ना जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ चेतावनी है।”

न्यायालय का सराहनीय दृष्टिकोण

द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश बलराम कुमार देवांगन का यह निर्णय समाज में कानून और न्याय की महत्ता को दर्शाता है।