केंद्रीय बजट 2022 आम जनता की उम्मीदों, अर्थव्यवस्था, मान्य परंपरा और जनकल्याण के आदर्शों के विपरीत है – सुरेन्द्र वर्मा

केंद्रीय बजट 2022 आम जनता की उम्मीदों, अर्थव्यवस्था, मान्य परंपरा और जनकल्याण के आदर्शों के विपरीत है – सुरेन्द्र वर्मा

February 1, 2022 Off By Samdarshi News

कर संग्रहण बढ़ रहा है, फिर भी राजकोषीय घाटा अधिक? खाद्य सब्सिडी, खाद सब्सिडी, मनरेगा, समाज कल्याण में कटौती, राहत केवल कॉरपोरेट को?

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि मोदी सरकार का बजट, करारोपण के मूल सिद्धांतों और मान्य परंपराओं के खिलाफ है। गरीबों और मध्यम वर्ग को राहत देने के बजाय केवल कॉर्पोरेट का मुनाफा बढ़ाने वाला है। विगत 7 वर्षों से लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए आवंटित बजट में लगातार कटौती की जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज प्रस्तुत बजट में फूड सब्सिडी का बजट पिछले बजट 2.86 लाख से 28 प्रतिशत कम करके 2.06 लाख कर दिया गया है। खाद पर सब्सिडी विगत बजट में 1.40 लाख करोड़ से 25 परसेंट घटाकर 1.05 करोड़ कर दिया गया है, पिछले बजट में भी खाद सब्सिडी पर 39% कटौती की गई थी। महामारी में आम जनता के लिए संजीवनी साबित हो रहे मनरेगा के बजट में 25.5 परसेंट की कटौती कर कर दी गई है, 2020-21 में 111170 करोड़ था जिसे पिछले साल 34.5 परसेंट कटौती कर 98 हजार करोड़ किया गया था और अब पुनः 25 हज़ार करोड़ घटाकर मनरेगा का बजट मात्र 73 हजार करोड़ किया गया है। मोदी राज में देश की अर्थव्यवस्था बिना किसी रोडमैप के उल्टे पांव भाग रही हैं। देश के बहुमूल्य संसाधन बेचने और कर्ज लेने के अलावा आर्थिक नीतियों का कोई फ्रेमवर्क नहीं है। जीएसटी संग्रह में वृद्धि के बावजूद हमारा राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है। ब्याज भुगतान हमारे कुल कर राजस्व संग्रहण का 54.6 प्रतिशत हो गया है। 2014 से 2018 के बीच मोदी सरकार ने देश पर कर्जभार 168 परसेंट बढ़ाया है। इस बजट में भी कुल बजट का लगभग 40% से अधिक उधार द्वारा वित्तपोषित है। मोदी सरकार के पास जमा पर गिरते ब्याज दर, बढ़ती मुद्रास्फीति, महंगाई और बेरोजगारी है का कोई हल नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि वर्ष 2022-23 के लिए प्रस्तुत केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटा 16,61,196 करोड़ रुपये अनुमानित है जो पिछले बजट की तुलना में 1,54,384 करोड़ रुपए अधिक है। कुल खर्च 39.45 करोड़ अनुमानित है और प्राप्तियां 22.84 लाख करोड़। खर्च वादा था राजकोषीय घाटा 4% के नीचे लाने का लेकिन इन्हीं के अनुमानों में यह 6.4% है। केंद्रीय बजट में केवल 7.5 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय का प्रावधान है जो जीडीपी का मात्र 2.9% है। दो करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष का वादा करने वाले अब साठ लाख नौकरियों का नया जुमला परोस रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया केवल विज्ञापनों में ही जिंदा है। पूर्व में किए दावों से उल्टे अब विदेशी मशीनरी को आयात करने प्रोत्साहन देने की बात बजट में कही गई है। मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट असमानता बढ़ाने वाला है, देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करने वाला है, आम जनता की अपेक्षा के विपरीत है।