मोदी बनारस और स्मृति अमेठी से इस्तीफा दें तब भाजपा तुलसी का इस्तीफा मांगे – सुशील आनंद शुक्ला

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा द्वारा राज्यसभा सांसद के.टी.एस तुलसी के इस्तीफे की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा की इस मांग के पीछे गैर छत्तीसगढ़िया कुलपति की नियुक्ति नहीं करवा पाने की खीझ झलक रही है। कुलपति चयन और राज्यसभा चुनाव को आपस में जोड़ने का कोई औचित्य नहीं है। राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर राजनेता देश के विभिन्न स्थानों से चुनाव लड़ते हैं। भाजपा खुद अपने नेताओं को दूसरे राज्यों से राज्यसभा भेजती रही है। गुजरात के मोदी ने बनारस और स्मृति ईरानी ने अमेठी से चुनाव लड़ा है। भाजपा पहले मोदी तथा स्मृति ईरानी से इस्तीफे की मांग करे। उसके बाद  तुलसी के इस्तीफे की अनर्गल मांग करे।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा नहीं चाह रही थी कि स्थानीय योग्यता को उसका स्वाभाविक सम्मान मिले। भाजपा शिक्षा के क्षेत्र में अपना  राजनीतिक एजेंडा चलाना चाहती है और राजनीतिक विचारधारा को पोषित करने के लिए षडयंत्र करती है। कांग्रेस द्वारा स्थानीय योग्यता को अवसर देने की मांग करने में कोई राजनीतिक भावना नहीं थी और राज्यपाल को राज्य की जनभावनाओं से अवगत कराया जाना कहीं से भी गलत नहीं है। जनता द्वारा ठुकराने के बाद राजभवन को बीच में लाकर राज चलाने की कोशिश कर रही है। यह संवैधानिक पद की मर्यादा को विवाद के दायरे में लाने का भाजपाई षडयंत्र है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि स्थानीय कुलपति की नियुक्ति के मामले में भाजपा जिस तरह राज्यसभा सांसद तुलसी के इस्तीफे की मांग कर रही है उससे सवाल उठ रहा है कि क्या राजभवन का निर्णय उसके कहने पर हुआ है जो वह यह जताना चाह रही कि उसने स्थानीय कुलपति नियुक्त करवाया। भाजपा यह अच्छी तरह गांठ बांध ले कि लोकतंत्र में पिछले रास्ते से राज करने की उसकी मंशा छत्तीसगढ़ की जनता कभी पूरी नहीं होने देगी। भाजपा के लिए यही बेहतर होगा कि राजभवन को राजनीति में घसीटने के बजाय जनादेश का सम्मान करे और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए।

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