जशपुर जिले की बटईकेला गोठान की चांद स्व-सहायता समूह की महिलाएं प्राकृतिक वनोस्पतियों से हर्बल गुलाल कर रही तैयार, विगत वर्ष भी महिलाओं ने रंगों का विक्रय करके 50 हजार रुपए की कमाई की थी
March 4, 2022गुलाल बनाने के लिए हल्दी, गेंदा, टेशू फूल, गुलाब, चुकंदर, अनार जैसे प्राकृतिक पुष्प-फलों से रंग तैयार किया जा रहा है
हर्बल होने के कारण गुलाल का स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर
जशपुर जिले में होली के पर्व को देखते हुए स्व-सहायता समूह की महिलाएं प्राकृतिक वनोस्पतियों से हर्बल गुलाल बना रही है। रंगों के पर्व होली में खुशियां बिखरने में रंग और गुलाल का विशेष महत्व है। होली के पर्व को सुरक्षित और सेहतमंद बनाने के लिए कलेक्टर श्री रितेश कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में और कासांबेल विकासखंड के जनपद सीईओ श्री एल.एन.सिदार के दिशा निर्देश में कांसाबेल के ग्राम पंचायत बटईकेला की राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत गठित चांद स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा एक अभिनव पहल करते हुए प्राकृतिक वनस्पतियों से विभिन्न रंगों के हर्बल गुलाल बनाने की शुरुवात की गई हैं। विगत वर्ष भी समूह की महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल बनाया गया था। महिलाओं ने रंगों का विक्रय करके 50 हजार रुपए कमाई की थी।
चांद स्व सहायता समूह के महिलाओं ने बताया की इस वर्ष ज्यादा मात्रा में हर्बल गुलाल रंग निर्मित की जा रही है, और जिले भर में इस रंग गुलाल की मांग की जा रही है। उन्होंने बताया की इस हर्बल रंग गुलाल का निर्माण खासकर प्राकृतिक वनस्पति नीम, पालक, चुकंदर, हल्दी, गेंदाफूल, लाल भाजी का उपयोग कर किया जा रहा है।
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के बीपीएम कमलेश श्रीवास ने बताया की जिले कांसाबेल तहसील में इस योजना के तहत 1300 से अधिक स्व सहायता समूह गठित किया गया है। चांद स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा होली पर्व को लेकर खासकर प्राकृतिक वनस्पतियों से हर्बल गुलाल रंग तैयार किया जा रहा है, जिसकी मांग पुरे जिले सहित प्रदेश में भी की जा रही है। उन्होंने बताया की इस हर्बल रंग गुलाल से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। आंखो में चले जाने से कोई जलन नहीं, हल्दी गेंदा टेशू फूल, गुलाब चुकंदर अनार जैसे प्राकृतिक पुष्प फलों से बने जैविक गुलाल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।