परसा कोयला खदान के समर्थन में फिर से ग्रामीणों ने किया धरना प्रदर्शन, रोजगार की मांग को लेकर की नारे बाजी
May 4, 2022परसा खदान को शुरू कराने को लेकर ग्रामीणों के प्रतिनिधि मंडल ने सोमवार को किया आंदोलन, हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर खदान खोलने और नौकरी देने के लिए प्रर्दशन किया।
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, अंबिकापुर
परसा कोयला खदान खोलने के लिए प्रदेश सरकार की अनुमती मिलने के बाद जहाँ ग्रामीण अपने रोजगार के प्रति आशान्वित हो गए हैं, वहीँ बाहरी एनजीओ के लोग पुनः ग्रामीणों की उम्मीदों में पानी फेरने के फिराक में लगे हुए है। परसा कोयला परियोजना के ग्राम जनार्दनपुर, साल्हि, परसा, घाटबर्रा, फत्तेपुर इत्यादि गाँव के हजारों प्रभावित ग्रामीणों द्वारा खदान जल्द से जल्द खोलने के पक्ष में सरगुजा जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया गया था तथा बाहरी एनजीओ और सदस्यों को उनके ग्राम में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए भी अनुरोध किया गया था। इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा मंजूरी की प्रक्रिया में त्वरित कार्यवाही करते हुए परसा खदान को शुरू कराने की अनुमति प्रदान भी कर दी गयी।
किन्तु बाहरी एन जी ओ के सदस्यों को यह बात नागवार गुजारी और इन्होने इस मंजूरी का विरोध करते हुए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इनके इस कृत्य से परेशान भूविस्थापित एक बार फिर एनजीओ का विरोध और कार्यवाही हेतु धरने पर बैठ गए हैं। ग्राम जनार्दनपुर के समयलाल ने बताया कि कोयला खनन के लिए जमीन दे चुकने के बाद उनकी सारी उम्मीद अब इस बात पर है की उन्हे खनन प्रोजेक्ट में नौकरी मिल जाए, अन्यथा मुआवजे के राशि जिसका की कुछ हिस्सा वो पहले ही घर बनाने में खर्च कर चुके हैं, से ही घर चलाना पड़ेगा. गांव घाटबर्रा के संभूदयाल यादव ने कहा की खनन शुरू हो ताकि उन्हे और उनके जैसे बाकी सबकी जल्दी नौकरी मिल सके।
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2020 में उन्होंने अपनी जमीन परसा खदान के विकास के लिए खुशी- खुशी राजस्थान सरकार के विद्युत् उत्पादन निगम को सुपूर्द, इस उम्मीद से की थी कि खदान खुलने से उन्हें रोजगार भी मिलेगा। इसके लिए उन्होंने उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में हुई ग्रामसभा में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए परसा खदान को समर्थन दिया था, किन्तु अब तक खदान न खुलने से वे नौकरी का इंतजार कर रहे है।
अब जब यह मांग दो साल बाद ही सही लेकिन प्रदेश सरकार को माननी ही पड़ी और इसका सभी ग्रामों में हर्ष व्याप्त हो रहा है। तो अब हम खदान को खुलवा कर ही दम लेंगे। आज इस धरना स्थल से खदान के विरोधी एनजीओ और उसके बाहर से लाये हुए लोगों को हम सभी ग्रामवासी विरोध करते हैं। परसा क्षेत्र में सौहार्द्रपूर्ण वातावरण होने के बावजूद, पेशेवर कार्यकर्ता ने बाहरी तत्वों के साथ मिलकर खड़े किये विवादों के कारण ही राजस्थान सरकार परसा खदान समय से शुरू नहीं कर पायी थी। इसके चलते हम स्थानियों को रोजगार नहीं मिलने पर अब तक जमीन के मुआवजे पर ही निर्भर होना पड़ा है. जिससे हमारा भविष्य अंधकारमय हो रहा था। हम सभी जिला प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि इन बाहरी एनजीओ को हमारे ग्राम प्रवेश में प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करते हुए परसा खदान जल्द से जल्द शुरू कराये।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में भारत सरकार द्वारा अन्य राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, आँध्रप्रदेश, राजस्थान इत्यादि को कोल ब्लॉक आवंटित किया गया है। जिसमें राजस्थान सरकार के 4400 मेगावॉट के ताप विद्युत उत्पादन संयंत्रों के लिए सरगुजा जिले में तीन कोयला ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) परसा और केते एक्सटेंशन आवंटित किया गया है। इन तीन में से अभी फिलहाल पीईकेबी में ही कोल खनन का कार्य चल रहा है। जबकि शेष दो में अनुमति की प्रक्रिया राज्य सरकार में पिछले तीन सालों से अटकी हुई थी।