जशपुर जिले के दूरस्थ अंचल क्षेत्रों में हैंडपंप सुधार कार्य में महिला तकनीशियनों की भूमिका सराहनीय

May 15, 2022 Off By Samdarshi News

जिले के 5447 बसाहटों में 16586 हैंडपंपों और 101नल जल योजना के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है

अब तक 53103 नग जल परीक्षण फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से किया गया

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, जशपुर

कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल के दिशा निर्देश में जिले के 08 विकासखण्डों के 444 पंचायतों में सभी 756 ग्रामों एवं 5447 बसाहटों में 16586 हैण्डपपों तथा 101 नलजल योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सुलभ कराया जा रहा है। सभी ग्रामवासियों को लगातार पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल सुलभ होता रहे। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा विशेष अभियान चलाकर हैण्डपंप संधारण का कार्य किया जा रहा है। जिले में स्वीकृत 48 हैण्डपंप तकनीशियनों के विरूद्ध मात्र 22 हैण्डपंप तकनीशियन ही कार्यरत हैं। कार्यक्षेत्र विस्तृत होने तथा हैण्डपंपों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के उपरान्त भी हैण्डपंप खराबी की सूचना प्राप्त होने पर हैण्डपंप तकनीशियन सुधार कार्य हेतु तत्काल रवाना हो जाते हैं। हैण्डपंप सुधार कार्य में महिला हैण्डपंप तकनीशियनों का कार्य भी सराहनीय है। सभी तकनीशियन भीषण गर्मी का परवाह न करते हुए लोगों को पीने के पानी की समस्या न हो, का ध्यान रखते हुए लगातार काम कर रहे हैं।

जिले के विभिन्न विकासखण्डों के 109 ग्रामों के 139 बसाइटों में स्थापित 189 नग हैण्डपंपों में ग्रीष्म ऋतु में जल स्तर नीचे जाने के कारण कम पानी आने की शिकायतें आती हैं। वर्तमान में जिले का औसत जल स्तर लगभग 1200k मीटर है। जिले के जशपुर मनोरा तथा पत्थलगांव विकासखण्ड में अन्य विकासखण्डों की तुलना में जल स्तर नीचे जाने की शिकायत अधिक है। जल स्तर नीचे जाने वाले हैण्डपपों में राईजर पाईप की लम्बाई बढ़ाकर चालू किया जा रहा है। ग्रामीण पेयजल व्यवस्था को ठीक रखने में ग्राम पंचायतों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

हैण्डपंप के चारों ओर बनाया गया प्लेटफार्म एवं नाली न टूटे तथा हैण्डपंप के आसपास गन्दे पानी का जमाव न हो ताकि गंदगी न फैले तथा मच्छर मक्खी न हो इसलिए ग्राम पंचायतों को हैण्डपप के चारों ओर तथा गड्ढों में मुरूम डलवाना चाहिए। जिससे कि पेयजल स्त्रोत सुरक्षित हो तथा ग्राम भी साफ सुथरा लगे ।

पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु सभी ग्रामों में 05-05 महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से स्थल पर ही जल परीक्षण किये जाने हेतु प्रशिक्षित किया गया है। अब तक जिले में 53103 नग जल परीक्षण फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से किया जा चुका है। जिले में स्थापित सभी हैण्डपंपों तथा अन्य पेयजल स्त्रोतों का मानसून के पूर्व तथा वर्षा ऋतु के समाप्ति उपरान्त अर्थात वर्ष में दो बार सोडियम हाइपोक्लोराइड द्वारा निर्जीवीकरण किया जाता है। इसी प्रकार वर्ष में एक बार बैक्टिरियोलॉजिकल परीक्षण किया जाता है।

फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से जल परीक्षण में यदि किसी विशेष पैरामीटर का परिणाम अधिक आता है तो पेयजल का नमूना जिला स्तरीय जल परीक्षण प्रयोगशाला में लाकर परीक्षण किया जाता है। जिला स्तरीय जल परीक्षण प्रयोगशाला में सभी पैरामीटर के परीक्षण की सुविधा है तथा कोई भी व्यक्ति निर्धारित राशि का भुगतान कर जल नमूनों की जांच करवा सकता है। शीघ्र ही जिला स्तरीय प्रयोगशाला को एन.ए.बी.एल. मान्यता की सम्भावना है। इस हेतु लगभग सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई है। मात्र एल.ए.बी.एल. टीम के द्वारा मूल्यांकन किया जाना शेष है।