भाजपा के जयपुर की बैठक का संदेश रमन मुक्त होगा प्रदेश, भाजपा नेतृत्व रमन से छुटकारा चाह रहा इसीलिये रमन तिलमिलाये, प्रदेश भाजपा में गुटबाजी रमन ने स्वीकारा – सुशील आनंद शुक्ला

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समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव के संदर्भ में डॉ. रमन सिंह का बयान कि कुछ लोग अध्यक्ष बनने के लिए कपड़ा भी सिलवा लिए है पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि डॉ. रमन सिंह ने यह स्वीकार कर लिया, भाजपा में गुटबाजी चरम पर है तथा रमन के वरदहस्त प्राप्त विष्णु देव साय को हटाए जाने की खबर रमन सिंह को नागवार गुजर रही है इसीलिए वह इस तरह का बयान दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी इस समय नेतृत्व के संकट से जूझ रही है तथा पार्टी में नेता दिन-रात एक दूसरे को नीचा दिखाने की जुगत में लगे रहते हैं। भाजपा का एक धडा पार्टी की दुर्गति के लिए रमन एंड कंपनी को जिम्मेदार मानता है। वर्तमान में पार्टी संगठन पर पूरा कब्जा रमन गुट का है। इसलिए भाजपा के दूसरे गुट के लोग बदलाव की मुहिम में लगे हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी राज्य में भाजपा की दुर्गति के लिए रमन सिंह को ही जिम्मेदार मानता है इसलिए प्रभारी डी पुरंदेश्वरी जब भी प्रदेश के दौरे में आती है रमन सिंह और उनके समर्थक संगठन पर काबिज लोगों से दूरी बना कर चलती है। रमन सिंह के नेतृत्व को नकारने के लिए ही भाजपा की प्रभारी ने बस्तर, रायपुर और दुर्ग में पत्रकारवार्तायें लेकर कहा कि भाजपा मोदी के चेहरे और मोदी सरकार के काम की दम पर 2023 का चुनाव लड़ेगी। पहली बार ऐसा हो रहा है कि, एक दल राज्य का चुनाव प्रधानमंत्री के चेहरे पर लड़ने जा रहा है। यह भाजपा का छत्तीसगढ़ में नेतृत्व के संकट को दर्शाता है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सिर्फ साढ़े तीन साल में विकास, विश्वास और सुरक्षा का चेहरा बन चुके हैं और छत्तीसगढ़ में इस चेहरे के मुकाबला करने भाजपा के पास कोई नेता नहीं है। भाजपा नेतृत्व को अच्छी तरह पता है कि 15 साल के पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में छत्तीसगढ़ भाजपा के हर चेहरे पर कमीशनखोरी, अन्याय, निकम्मेपन और दमन की कालिख पुती है। डॉ रमन सिंह 15 साल मुख्यमंत्री रहे और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं मगर उनका एक भी ऐसा काम नहीं रहा जिसका बखान करके उनके चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए। रमन सिंह के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के बावजूद उनके चेहरे को सामने ना किए जाना इस बात का प्रमाण है कि भाजपा नेतृत्व की निगाह में भी रमन का चेहरा दागदार है।

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