राज्य महिला आयोग की हुई जनसुनवाई : निराधार शक के आधार पर आयोग किसी महिला को अपमानित नही कर सकती – डॉ नायक

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आवेदिका को ब्याज का लालच देकर ज्वेलर्स ने ज्वेलरी देने से किया इनकार

पीएचई के कार्यपालन अभियंता को प्रकरण की बारीकी से जांच करने आयोग ने दिए निर्देश

स्व सहायता समूह की महिलाएं आयोग के समक्ष एक दूसरे से मांगे माफी

आयोग की समझाइश दिए जाने पर पति पत्नी को बीस हजार रुपये देने तैयार हुआ

जनसुनवाई में 31 प्रकरण रखे गए थे जिसमें 4 प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज शास्त्री चौक स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की।

आज एक प्रकरण की सुनवाई में आवेदिका ने बताया कि लगभग 1 करोड़ रुपये से ऊपर का सोने चांदी का सामान अनावेदक ने लिया है।उसकी एफआईआर जिला राजनांदगांव के कोतवाली थाना में वर्ष 2020 में कराया है।जिसमे अनावेदक न्यायालय में उपस्थित नही होता।मेरे पास अपने जीवन यापन के लिए कोई धनराशि नही है। आयोग के समक्ष अनावेदक ने बताया कि उसकी ज्वेलर्स की दुकान में उसका भाई बैठता था।जो भी लेनदेन है वह मेरे भाई ने किया है।मेरे भाई के खिलाफ मैं कार्यवाही करूंगा क्योंकि मैं डेढ़ साल से कैंसर का इलाज करवाने के कारण बाहर था।इस कारण से मैं किसी प्रकार से भाई के विरुद्ध कार्यवाही नही करा पाया हूँ।आज मेरे पास कोई धनराशि नही है। अनावेदक ने स्वीकार किया कि ज्वेलरी दुकान मेरी जरूर थी।मैं शैक्षणिक संस्थान चलाता था।दुकान पर मेरा भाई बैठता था। आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ लगभग एक करोड़ रुपये के बिस्किट और जेवर दिलाये जाने का निवेदन किया है।जिसमे दस्तावेज भी संलग्न है और इस प्रकरण को महज इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि अनावेदक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है।यह प्रकरण आवेदिका के जीवनभर की जमा पूंजी को धोखे से हड़पने बाबत है।इसके साथ ही अनावेदक के कथन से यह स्पष्ट है कि अनावेदक अपने भाई के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नही किया है।जिसमे दोनो भाई का मिलीभगत होना प्रतीत होता है। आयोग ने आवेदिका को, अनावेदक के भाई  को भी पक्षकार बनाने के निर्देशित किया गया है।साथ ही अगर अन्य कोई आवेदिका इस ज्वेलरी में ठगी का शिकार हुई हो तो वे भी आयोग में शिकायत दर्ज करा सकती है।इस प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने पिछली सुनवाई में पीएचई के कार्यपालन अभियंता  का नाम लिया था, आज की सुनवाई में कार्यपालन अभियंता आयोग में समस्त दस्तावेज लेकर उपस्थित हुए।आज की सुनवाई में अनावेदक ने आने से इंकार किया है। पीएचई अधिकारी ने आयोग को बताया कि अनावेदक ने श्रम न्यायालय के उपादान आदेश दिनांक 16 जुलाई 2021 प्रस्तुत किया था।जिसके पालन में लगभग 7 लाख रूपये उसके खाते में भेज दिया गया था।        चूंकि उनके अभिलेख में यह दर्ज था कि उनके पिता की दो संतान है। न्यायालयीन आदेश के कारण अनावेदक को राशि दी गई थी वर्तमान में जीआईएस और डीपीएफ खाते में लगभग 4 लाख रूपये राशि जमा है। जिसे अब तक नहीं दिया गया है और अनावेदक वर्तमान में अनुकंपा नियुक्ति के तहत प्रोबेशन पिरियड पर है। आयोग के द्वारा अधिकारी कार्यपालन अभियंता पीएचई में कार्यरत है। उन्हें निर्देशित किया जाता है कि वह अनावेदक को शासकीय शोकॉस नोटिस भेजकर 7 लाख रूपये जमा कराने और श्रम न्यायालय के समस्त दस्तावेज और फाइल की प्रमाणित प्रतिलिपि भी जमा कराने के निर्देश दिए हैं।अपने स्तर पर श्रम न्यायालय के अभिलेखों की बारिकी से जांच कर आवेदिका की मदद कर समस्त दस्तावेजों की प्रतिलिपि आयोग की सुनवाई के समक्ष प्रस्तुत करने कहा गया। जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकें।

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका वर्तमान में 8 माह की गर्भवती है।अनावेदक नगर निगम रायपुर में कार्य करता है। जहां उसे 10 हजार प्रतिमाह मिलता है।आयोग द्वारा समझाईश दिये जाने पर 5 हजार रूपये प्रतिमाह देना स्वीकार किया।आगामी दिनांक को उभय पक्ष को उपस्थित होने कहा गया।जिसमे अनावेदक की पहली पत्नी को आयोग से फोन कर सूचना दी जायेगी। जिससे कि इस प्रकरण  में दोनो पक्षों की समस्या का स्थायी निदान किया जा सकेगा।एक अन्य प्रकरण में आवेदिकाओं ने अनावेदिका के विरुद्ध अलग अलग शिकायत किये हैं। दोनो पक्ष स्व सहायता समूह में रोजगार करती हैं।आपसी वर्चस्व की लड़ाई को लेकर दोनो पक्षों को समझाइश दिया गया है।अपने कार्य पर ही ध्यान केंद्रित करें और एक दूसरे के कार्य पर हस्तक्षेप ना करें। पूर्व में किये गए कार्यों के कारण हुए मतभेद को समाप्त करते हुए दोनो पक्षों ने एक दूसरे से आयोग के समक्ष माफी मांगे हैं।भविष्य में एक दूसरे के खिलाफ दुर्व्यवहार बयानबाजी न करने की बात स्वीकार किये हैं।इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपनी बहू को ले जाने के आवेदन आयोग में दिया था। जिसमे अनावेदिका बहु अपने पति के साथ रहने से इंकार कर रही है। आवेदिका के पुत्र और अनावेदिका बहु दोनो आर्य समाज मे विवाह किया। जिसके एक दिन बाद ही अनावेदिका अपने पिता के घर चली गई थी। अब अनावेदिका बहु तलाक चाहती है। आयोग द्वारा दोनो पक्षों को न्यायालय में तलाक की प्रकिया करने के निर्देश के साथ इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में पति पत्नी के मध्य लिखित समझौता हुआ दोनो एक दूसरे के शर्तों को मानने सहमति दी है। आयोग की समझाइश दिए जाने पर पति पत्नी को बीस हजार रुपये देने तैयार हुआ  दोनो के मध्य लिखित समझौता स्टाम्प पर आगामी दिनांक को लिखाया जाएगा प्रकरण को आगामी दिनांक मे इस प्रकरण का निराकरण किया जाएगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका को अपने नशेड़ी पति के ऊपर शक होने के कारण एक अन्य महिला के विरुद्ध आयोग में शिकायत की है। आज सुनवाई में दोनो पक्षो को विस्तार से सुनने पर स्पष्ट हुआ कि अनावेदिका के  पिता और भाई का ऑटो पार्ट्स का व्यवसाय करते हैं जिसमे आवेदिका का पति शॉकब रिपेयर का काम करता है और सामान अनावेदिका के दुकान से लेता है और उस दुकान का उधारी पैसा भी अभी तक नही दिया है। आवेदिका तीन महीने से अपने मायके में रह रही है उसे शक है कि पति का नाजायज संबंध है जो कि पूर्णतः निराधार लगता है। ऐसे निराधार शक के आधार पर किसी महिला को अपमानित करना उचित नहीं है और आयोग किसी महिला को अपमानित नही कर सकती। आयोग में पति पत्नी को समझाइश दिया गया अगर इस प्रकरण पर पुनः शिकायत मिलने पर पुनः सुनवाई किया जा सकेगा इस प्रकरण को 6 माह की निगरानी में रखते हुए नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में उभय पक्षों के मध्य पिछली सुनवाई में 50 हजार देने की बात हुई थी परन्तु 6 माह तक एक भी रूपये आवेदिका को नहीं दिया है। आवेदिका का कथन है कि उसने डेढ़ लाख रूपये की बाइक खरीदकर अनावेदक को दिया है उसकी किस्त भी चुकाई है। अनावेदक की गाड़ी को आयोग में जमा किया गया है। आगामी दिनांक को आवेदिका को 50 हजार रुपये देगा और अपनी गाड़ी वापस ले जायेगा। पैसा नहीं देने पर गाड़ी की चाबी आवेदिका को सुपुर्द कर दिया जायेगा।

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