भाजपा हसदेव अरण्य पर घड़ियाली आंसू बहा रही, खदान आबंटन मोदी सरकार ने किया रमन सरकार ने सहमति दिया था – सुशील आनंद शुक्ला
June 7, 2022समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर
हसदेव अरण्य मामलें में पूर्व मंत्री बृजमोहन का बयान भाजपा की अवसरवादी राजनीति को दर्शाता है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि हसदेव में कोल आबंटन मोदी सरकार ने किया है। तत्कालीन रमन सरकार की इसमें सहमति थी। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता यदि वास्तव में यहां पर उत्खनन के विरोधी है तो मोदी सरकार के समक्ष जा कर विरोध प्रदर्शित करे और खदान आबंटन रद्द करने को कहें। हसदेव क्षेत्र में 2014 से 2018 तक केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार थी उसी समय कमर्शियल माइनिंग गतिविधियां आरम्भ किया। हसदेव अरण्य क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग के संदर्भ में राज्य सरकार की आपत्ति सहित 470 ग्राम सभाओं की आपत्ति को पूर्व में ही दरकिनार कर दिया गया था जिस के संदर्भ में केंद्रीय कोयला मंत्री का बयान भी सर्वविदित है कि “कोल खनन एरिया में पांचवी अनुसूची के नियम/प्रावधान लागू नहीं होते“ प्रहलाद जोधी’ ग्रामसभा की सहमति का कोई प्रावधान नहीं है। जब पूरा अधिकार केंद्र सरकार का है फिर भाजपाई राज्य सरकार आरोप लगाना छत्तीसगढ़ के भाजपाईयों की केवल राजनैतिक नौटंकी है। मोदी सरकार ने कमर्शियल माइनिंग की अनुमति के संदर्भ में अध्यादेश जारी करने के दौरान छळज्ए छज्ब्।ए छठॅस् जैसी केंद्रीय एजेंसियों को भी बाईपास किया गया।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 24 अगस्त 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने 214 कोल ब्लाक आवंटन को निरस्त कर दिया था उसके बाद केंद की मोदी सरकार ने अक्टूबर 2014 में अध्यादेश लाकर पहली बार कमर्शियल माइनिंग की अनुमति दी गई। कोल माइनिंग केंद्र सूची का विषय है जिस पर आवेदन की प्रक्रिया से लेकर अंतिम आदेश में केंद्र सरकार के द्वारा ही जारी किया जाता है। नए खदान आवंटन, खदानों का विस्तार या किसी भी स्थिती में निरस्त करने का पूरा अधिकार केंद्र सरकार को है। राज्य सरकारें शर्तों के अनुपालन का काम करती है। 2010-2011 में तत्कालीन यूपीए सरकार के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने देश के साथ स्थानों को “अति महत्वपूर्ण जैव विविधता संपन्न क्षेत्र“ मानते हुए नो गो एरिया घोषित किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ का हसदेव अरण्य, तमोर पिंगला, बादलखोल और सेमरसोत का एरिया शामिल था। नो गो एरिया से तात्पर्य यह है और संबंधित क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर तक माइनिंग की अनुमति नहीं होती है। यदि पर्यावरण की चिंता है तो भाजपाई मोदी सरकार से नो गो एरिया में खनन के की अनुमति को प्रतिबंधित करने की मांग करे जो यूपीए के समय थी। 2014 तक उक्त क्षेत्र में किसी भी तरह की माइनिंग गतिविधियां प्रतिबंधित रही। घडियाली आसू बहाने के बजाएं भाजपाई 2014 से पहले की स्थिति, नो गो एरिया के प्रावधान लागू करने मोदी सरकार से मांग करे। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद उक्त नो गो एरिया को संकुचित करके खनन की अनुमति दी गई। मोदी सरकार ने देश के इतिहास में पहली बार कोल इंडिया लिमिटेड, एनएमडीसी, एसईसीएल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारों को बाईपास करके कमर्शियल माइनिंग की अनुमति दी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आदिवासियों के हितों का संरक्षण राज्य सरकार का संकल्प है, सर्वोच्च प्राथमिकता है। शर्तों का कड़ाई से पालन कराने की बात माननीय मुख्यमंत्री ने कहा है। राज्य का हित सर्वोपरि है। पर्यावरण का संरक्षण भी आवश्यक है। प्राकृतिक संसाधन सार्वजनिक संपत्ति है, इसका तर्कसंगत उपयोग हो। भाजपा को आपत्ति है तो केंद्र सरकार के समक्ष विरोध दर्ज़ कराए। कोल बेयरिंग एक्ट केंद्रीय कानून है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के कोल ब्लॉक जजमेंट, छळज्ए छज्ब्।ए छठॅस् के गाइडलाइन का भी अनुपालन हो।