जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए लिया जाने वाला कंपनसेशन सेस मोदी सरकार ने 4 साल के लिए बढ़ाया पर राज्यों को क्षतिपूर्ति 1 जुलाई से बंद करने की तैयारी, मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां सहकारी संघवाद और राज्यों के आर्थिक हितों के खिलाफ है – सुरेंद्र वर्मा

जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए लिया जाने वाला कंपनसेशन सेस मोदी सरकार ने 4 साल के लिए बढ़ाया पर राज्यों को क्षतिपूर्ति 1 जुलाई से बंद करने की तैयारी, मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां सहकारी संघवाद और राज्यों के आर्थिक हितों के खिलाफ है – सुरेंद्र वर्मा

June 27, 2022 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि एक ओर मोदी सरकार ने जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर लगाने की समय सीमा करीब 4 साल के लिए बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक वसूलने का आदेश कर दिया है वहीं दूसरी ओर राज्यों को दी जाने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई 1 जुलाई 2022 से खत्म करने जा रही है। सबसे ज्यादा नुकसान उत्पादक राज्य को है। कई राज्यों की आय 20 से 40 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियां सहकारी संघवाद और राज्यों के आर्थिक हितों के खिलाफ है। 2014 के बाद से लगभग सभी केंद्रीय योजनाओं में केन्द्रांश कम करके राज्यांश बढ़ाया जा रहा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में टैक्स कम करके सेस लगाया जा रहा है, ताकि राज्यों को हिस्सेदारी देना ना पड़े। बिना तैयारी के लादे गए जीएसटी के जटिल प्रावधानों के सरलीकरण और विसंगतियों को दूर करने के लिए देशभर के व्यवसायी विगत 5 वर्षों से संघर्षरत हैं, लेकिन सैकड़ो संशोधनों और हजारों नोटिफिकेशन के बावजूद आज तक समस्या यथावत बनी हुई है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि आगामी 28 और 29 जून 2022 को चंडीगढ़ में होने वाली जीएसटी समिति की बैठक में राज्यों को दी जाने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति की समय सीमा आगामी 5 वर्षों के लिए बढाया जाना चाहिए साथ ही प्रक्रिया का सरलीकरण और विसंगतियों को दूर करने के साथ-साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट जीएसटीआर 2 बी के आधार पर मान्य किया जाना चाहिए। मोदी सरकार ने तुगलकी फरमान जारी किया है कि जीएसटी मुआवजे की भरपाई के लिए लगाया जाने वाला जीएसटी कंपनसेशन सेस जो 61 प्रतिशत से 200 प्रतिशत तक लगाया जाता है उसे मार्च 2026 तक वसूला जाएगा लेकिन जो क्षतिपूर्ति राज्यों को दी जाती है उसे एक जुलाई 2022 से ही बंद कर दिया जायेगा, जो कि राज्यों के आर्थिक हितों के खिलाफ है।