सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के उद्देश्य और मुख्य प्रावधानों का 15 अगस्त को किया जाएगा वाचन

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा विगत विश्व आदिवासी दिवस के सुअवसर पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के उद्देश्य और मुख्य प्रावधानों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गाँव-गाँव में जागरूकता अभियान चलाये जाने के निर्देश दिए गए है । इस हेतु 09 अगस्त 2022 से 26 जनवरी 2023 तक जागरूकता अभियान  कैलेण्डर जारी किया गया है।

                जागरूकता अभियान कैलेण्डर के अनुसार राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त 2022 को 75वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्रों का ग्राम पंचायत तथा ग्राम सभा में स्वतंत्रता दिवस समारोह में सरपंच, वन अधिकार समिति अध्यक्ष द्वारा वन अधिकार कानून अन्तर्गत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के प्रावधान और विवेचना प्रपत्र का वाचन किया जाएगा।

2006 में संसद ने वन और वन के साथ परम्परागत रूप से जीवन जीने वाले आदिवासी और अन्य परम्परागत वन निवासी समुदायों के वन निवासी और अन्य परम्परागत वन निवासी समुदायों के वन संसाधनों के अधिकार को अधिनियमित किया  है। यह अधिनियम वन अधिकार को सुरक्षित करते हैं।

                सामुदायिक वन अधिकार के तहत् निस्तार के रूप में सामुदायिक अधिकार चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हो, जिसके अन्तर्गत तत्कालीन राजाओं के राज्यों, जमींदारी या ऐसे अन्य मध्यवर्ती शासकों में प्रयुक्त अधिकार सम्मिलित है। गौण वन उत्पादों के, जिनका गांव की सीमा के भीतर या बाहर पांरपरिक संग्रह किया जाता रहा है, स्वामित्व संग्रह करने के लिए पहुंच, उनका उपयोग और व्ययन का अधिकार रहा है। यायावरी या चारागाही समुदायों की मत्स्य और जलाशयों के अन्य उत्पाद, चारागाह (स्थापित और घुम्मकड़ दोनों) के उपयोग या उन पर हकदारी और पारंपरिक मौसमी संसाधन तक पहुंच के अन्य सामुदायिक अधिकार। वे अधिकार, जिनके अन्तर्गत आदिम जनजाति समूहों और कृषि पूर्व समुदायों के लिए गृह और आवास की सामुदायिक भू-धृतियां है। ऐसे किसी सामुदायिक वन संसाधन का संरक्षण, पुनरूजीवित या संरक्षित या प्रबंध करने का अधिकार, जिसकी वे सतत उपयोग के लिए परम्परागत रूप से संरक्षा और संरक्षण कर रहे है। जैव विविधता तक पहुंच का अधिकार और जैव विविधता तथा सांस्कृतिक विविधता से संबंधित बौद्धिक और पारम्परिक ज्ञान का सामुदायिक अधिकार शामिल है।

                सामुदायिक वन संसाधन अधिकार की मान्यता अन्तर्गत ग्राम सभा को वन जीव, वन और जैव विविधता का संरक्षण, जलागम क्षेत्र, जल स्त्रोत और अन्य पारिस्थितकीय संवेदनशील क्षेत्र को पर्याप्त रूप से संरक्षित करना, यह सुनिश्चित करना कि वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातिओं और अन्य परपम्परागत वन निवासियों का पर्यावास किसी प्रकार के विनाशकारी व्यवहारों से संरक्षित है जो उनकी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को प्रभावित करते है, तथा यह भी सुनिश्चित करना कि सामुदायिक वन संसाधनों तक पहुंच को विनियिमित करने और ऐसे किसी क्रियाकलापों को रोकने के लिए जो वन्य जीव, वन और जैव-विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, ग्राम सभा के लिए गए प्रस्तावों का पालन किया जाता है।

                सामुदायिक वन संसाधन के विकास खण्ड-जशपुर में 45 प्रकरण में 3664.053 हेक्टेयर, मनोरा के 82 प्रकरण में 17552.914 हेक्टेयर, बगीचा के 78 प्रकरण में 29986.561 हे., कांसाबेल के 31 प्रकरण में 6189.590 हे., कुनकुरी के 11 प्रकरण में 1634.890 हे., दुलदुला के 18 प्रकरण में 1330.930 हे., फरसाबहार के 75 प्रकरण में 11828.041 हे. एवं पत्थलगाँव के 46 प्रकरण में 5989.269 हे. इस प्रकार जिले में सामुदायिक वन संसाधन के कुल 386 प्रकरण स्वीकृत कर 78176.248 हे. भूमि का अधिकार-पत्र प्रदान किया गया है।

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