डब्ल्यूएचओ ने छत्तीसगढ़ सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं को सराहा, कुपोषण को दूर करने में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों की तारीफ़

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मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना अपने उद्देश्य में सफल

बस्तर में मलेरिया मुक्त अभियान से मिला फायदा

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, स्वच्छता और सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं पर केंद्रित होकर निरंतर कार्य कर रही है। यहां के आदिवासी अंचलों और सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार  द्वारा जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार दुर्गम और दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है, यही कारण है कि जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत और जन-जन के लिए सुलभ हुई हैं। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपने ऑफिशियल वेबसाइट पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलायी जा रही इन जन-स्वास्थ्य योजनाओं का उल्लेख किया है।

डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी लेख में विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में चलाए जा रहे स्वास्थ्य कार्यक्रम और स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न अभियानों का उल्लेख किया गया है। उन्होंने तस्वीरों के साथ जारी रिपोर्ट में बताया है कि दंतेवाड़ा जिले के बारसुर में लगने वाले हाट बाजार क्लिनिक में ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व देखभाल की जा रही है, यहां नियमित रूप से स्वास्थ्य परामर्श, दवाएं और आवश्यक टीकाकरण मुफ्त प्रदान किए जाते हैं। दंतेवाड़ा के साप्ताहिक बाजारों में मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक में दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय समुदायों के लोगों को मलेरिया, एचआईवी, मधुमेह, एनीमिया, तपेदिक, कुष्ठ, उच्च रक्तचाप और नेत्र विकारों के लिए जांच एवं स्क्रीनिंग की सुविधा प्रदान की जाती है।

वहीं डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में बताया गया है कि सुदूर और अंदरूनी इलाकों में हाट-बाजार के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा मिलने से लोगों को अब स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक दंतेवाड़ा जिले के एक अंदरूनी गांव में आयोजित मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक में एक आदिवासी महिला को सिरदर्द और पैरों में सूजन की शिकायत मिली और उसे एनीमिया के प्रथम चरण होने का पता चला और उसे मुफ्त दवा दी गई। नियमित दवाइयों के सेवन और डॉक्टरी परामर्श से अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। वहीं उन्होंने जिले के गीदम गांव में रहने वाली 32 सप्ताह की गर्भवती महिला का अनुभव उसी की जुबानी बताया, जो इस तरह है – “मैं हाट-बाजार क्लिनिक में अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाती हूं, मेरे लिए यह बहुत सुविधाजनक है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता मेरे रक्तचाप की जांच करते हैं और अन्य जरूरी चीजों की निगरानी करते हैं। मुझे यहां अपनी कोविड टीकाकरण की खुराक भी मिली।” और उसने बताया कि उसे इस योजना का बेहद लाभ मिल रहा है।

एक अन्य हाट-बाजार क्लीनिक का उल्लेख डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में किया गया है, जिसमें बताया गया कि हाट-बाजार क्लीनिक में दांत दर्द से पीड़ित रोगी की डॉक्टर द्वारा प्राथमिक जांच में, समस्या की जांच की जाती है और जांच उपरांत उसे आवश्यक उपचार दिया जाता है। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना दुर्गम क्षेत्रों में साप्ताहिक बाजारों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है ताकि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और जरूरत पड़ने पर उच्च स्तर की देखभाल के लिए रेफरल की सुविधा बढ़ाई जा सके। गौरतलब है कि 2019 से अब तक छत्तीसगढ़ में 25 लाख से अधिक लोगों ने हाट-बाजार क्लीनिकों में स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया है। वनांचलों में रहने वाले आदिवासी समुदाय मलेरिया से प्रभावित सबसे कमजोर समूहों में से हैं। मलेरिया-मुक्त बस्तर अभियान की ओर बढ़ते हुए इस क्षेत्र में हाट-बाजार क्लीनिक योजना के जरिए शीघ्र पहचान और उपचार करने में मदद मिल रही है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक उन लोगों को स्वस्थ रखने की पहल है, जो परंपरागत रूप से दुर्गम या सुदूर क्षेत्रों में होने की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था के दायरे से बाहर रह गए हैं। नारायणपुर जिले में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा अच्छे स्वास्थ्य की निगरानी और कुपोषण के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने के लिए सोनपुर हाट बाजार क्लिनिक में नियमित रूप से बच्चे का वजन किया जाता है। जांच उपरांत गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) वाले बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करवाया जाता है। स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बच्चे के उचित पोषण, अच्छे स्वास्थ्य और विकास के लिए माताओं को स्तनपान और नियमित टीकाकरण के बारे में जानकारी और सलाह भी दिया जाता है। जिले के ओरछा गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सबसे दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचाया जाता है। जन-जन तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बनाने और उन्हें स्वास्थ्य व्यवस्था की मुख्य धारा में शामिल करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

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