पशुओं को लम्पी स्कीन रोक से बचाने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी, जशपुर जिला स्तरीय नोडल अधिकारी की नियुक्ति तथा कण्ट्रोल रूम का किया गया है गठन

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

पशुओं को लम्पी स्कीन रोग से बचाव के लिए संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं छत्तीसगढ़ ने इस रोग के नियंत्रण एवं बचाव के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने निर्देश जारी किए है। देश के राजस्थान और गुजरात सहित 10 अलग अलग राज्यों के पशुओं में लम्पी स्कीन रोग फैलने की जानकारी प्राप्त हुई है। राज्य के सभी जिलों में लम्पी स्कीन रोग नियंत्रण हेतु सतर्कता अनिवार्य है।

लम्पी स्कीन रोग विषाणुजनित संक्रमित रोग है। जो रोगी पशु से स्वस्थ पशु में फैलता है। इसका संक्रमण मुख्य रूप से मच्छरों, मक्ख्यिों, जू आदि से इसके अलावा पशुओं के सीधे संपर्क में आने से भी फैलता है। इस रोग में तेज बुखार के साथ पूरे शरीर पर चकते व छोटी-छोटी गुठली बन जाती है, जो बाद में घाव में तब्दील हो जाती है। लम्पी स्कीन रोग संक्रमण से दूधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता में कमी आना, भूख कम लगना, वजन कम होना, पैरों में सूजन और लंगड़ापन आना, लार बहना और आंख, नाक से पानी आना सहित भार वाहक पशुओं की कार्य क्षमता एवं कम उम्र के पशुओं के शारीरिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। परिणाम स्वरूप पशु पालकों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।

कलेक्टर श्री रितेश कुमार अग्रवाल के निर्देशानुसार लम्पी स्कीन रोग के नियंत्रण एवं रोकथाम हेतु पशुधन विकास विभाग द्वारा विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए है। इस रोग से बचाव के लिए रोग से प्रभावित पशु को अन्य पशुओं से तुरंत अलग रखने,  पशु का जू किलनी से बचाव हेतु नाशक दवा का छिडकाव करने, पशु की मृत्यु होने पर शव खुला न छोड़ने एवं  पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर न ले जाने के निर्देश दिए गए है। साथ ही जिले में लम्पी स्कीन रोग के प्रतिकूल प्रभाव की रोकथाम हेतु नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है। इस हेतु डॉ. पी.के. कोसरिया मोबाईल नंबर 9754595814 को जिला नोडल अधिकारी एवं नियंत्रण कक्ष प्रभारी नियुक्त किया गया है। जिले के सीमावर्ती ग्रामों में अन्य राज्यों से पशुओं के आवागमन पर नियंत्रण हेतु चेकपोस्ट स्थापित कर नियमित चेकिंग का कार्य किया जा रहा है। पशुपालन विभाग द्वारा पशु मेला का आयोजन पर प्रतिबंध कर पशु बिचौलियों पर निगरानी रखी जा रही है। साथ ही पशुओं में विभाग द्वारा टीकाकरण का कार्य युध्द स्तर पर किया जा रहा है। अभी तक जिले के 22000 पशुओं को टीकाकरण किया जा चुका है।

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