मुख्यमंत्री की घोषणाओं से बदल रही है बस्तर के नानगुर की तस्वीर! स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं से गुलजार हो रहा है बस्तर का नानगुर तहसील!

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बस्तर के विकास की कहानी बयां करता नानगुर क्षेत्र, भेंट-मुलाकात के दौरान माननीय मुख्यमंत्री ने की थी विकास की घोषणाएं

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जगदलपुर

जिला मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 25 किमी की दूरी पर स्थित है नानगुर क्षेत्र, जो कि अब नानगुर तहसील है। मई 2022 में माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नानगुर क्षेत्र को तहसील बनाने की घोषणा की थी। जिसे पूरा करते हुए 17 अक्टूबर 2022 को नानगुर तहसील अस्तित्व में लाया गया। नानगुर को तहसील बनाने से क्षेत्र के 45 हजार ग्रामीणों को लाभ मिल रहा है। साथ ही नानगुर क्षेत्र के लोगों का धन, समय और ऊर्जा की बचत भी हो रही है।। तहसील बनने के बाद यहां के ग्रामीणों को नामांतरण, सीमांकन, आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र जैसी जरूरतों के लिए जगदलपुर तक का सफर तय नहीं करना होगा। मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद नानगुर को तहसील बनाए जाने पर यहां की निवासी सोमनी बघेल कहती हैं – “पहले हमें तहसील के कामों से 20-25 किमी तक का सफर तय करके जगदलपुर तक जाना पड़ता था। अब हमारे गांव में ही सभी तरह की सुविधा मिल रही है। ये बहुत अच्छा हुआ है। मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहती हूं, कि उन्होंने नानगुर को तहसील बनाया।”

नानगुर के विकास की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती है। नानगुर में मौजूद 26 बेड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 114 गांवों के लोग स्वास्थ्य सुविधाएं ले रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उपलब्ध सभी चिकित्सकीय सुविधाओं के अलावा इस स्वास्थ्य केंद्र को 108 एंबुलेंस की जरूरत थी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपने बस्तर प्रवास के दौरान भेंट मुलाकात में 108 एंबुलेंस की घोषणा की थी। आज नानगुर के अलावा आस-पास के जरूरतमंद लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 108 एंबुलेस का लाभ उठा पा रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, के बीएमओ डॉ जयंतीलाल दरियो ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए एंबुलेंस की सुविधा से स्वास्थ्य सुविधाओं में और तेजी आई है। मरीजों को लाने ले जाने से लेकर रिफर करने तक यह एंबुलेंस काफी मददगार साबित हुआ है। 

स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा शिक्षा हमारी बुनियादी जरूरतों का आधार है और इसी आधार को मजबूत किया है, स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल योजना ने, जिसका लाभ नानगुर के बच्चे भी ले रहे हैं। दरअसल नानगुर में संचालित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल की सुविधा से दूरस्थ वनांचल के बच्चे भी अंग्रेजी जैसे अनिवार्य विषयों को पढ़ पा रहे हैं। साथ स्कूल में दी जा रही एक्स्ट्रा एक्टिविटी और साइंस लैब भी बच्चों के बौद्धिक व रचनात्मक विकास को बढ़ावा दे रही है।

नानगुर के आत्मानंद में पढ़ने वाली नव्या का कहना है कि उसे अपना स्कूल बेहद पसंद है। उसे अंग्रेजी सीखना था और अब वो अंग्रेजी पढ़ती भी और बात भी कर लेती है। इसके अलावा नव्या को साइंस लैब भी काफी पसंद है। नव्या कहती है कि उसे बड़ा होकर आईएएस अफसर बनना है।

शिक्षा और स्वास्थ्य जीवन का आधार है तो आर्थिक उन्नति जीवन की धुरी। जीवन के इन सभी मापदंडों को पूरा करता नानगुर क्षेत्र विकास के सभी पैमानों पर खरा उतरता है। इसका प्रमाण प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति की महिलाएं दे रही हैं। प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति की भाग्येश्वरी निर्मलकर का कहना है कि इस वर्ष से कोसा का संग्रहण शुरू हुआ है। जो कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की कोसा खरीदी केंद्र की घोषणा के बाद शुरू की गई है। सरकार के इस कदम से स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिलेगा। पहले व्यापारी कम दाम में कोसा खरीदकर लाभ कमाते थे। लेकिन अब स्वसहायता समूह की महिलाओं के द्वारा कोसा संग्रहण का कार्य किया जा रहा है। जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक मजबूती की तरफ अग्रसर होता नानगुर क्षेत्र आज विकास की नई कहानी गढ़ रहा है।

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