ससुराल और मायके में समान व्यवहार और तालमेल से चलता है परिवार, महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाना ही हमारी पहली प्राथमिकता  – डॉ. किरणमयी नायक

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मानव तस्करी के दो प्रकरण को आयोग ने पुलिस अधीक्षक जांजगीर-चांपा को जांच के लिए सौपा.

सुनवाई के दौरान ससुर अपने बहू एवं पोती को साथ रखने हुआ तैयार तथा बहु को भरण पोषण राशि तीन हजार रुपये प्रतिमाह देना किया स्वीकार.

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, जांजगीर-चांपा

जांजगीर-चांपा : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण सुश्री शशिकांता राठौर, श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोग के समक्ष महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने अपने कार्यकाल की आज 147 वीं जनसुनवाई की। जांजगीर-चांपा की आज 5 वीं जनसुनवाई में कुल 30 प्रकरण रखे गये थे। इनमें से 17 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गए, 2 प्रकरण रायपुर सुनवाई करने के लिए स्थानांतरित तथा 3 प्रकरणों में आयोग की सदस्य सुश्री शशिकांता राठौर द्वारा निगरानी की जाएगी। शेष प्रकरण को आगामी समय में सुनवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने कहा कि महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाना ही हमारी पहली प्राथमिकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ससुराल और मायके में समान व्यवहार और तालमेल रखने से परिवार को बेहतर रूप से चलाया जा सकता है।

आज जनसुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका की पुत्री का विवाह 2019 में अनावेदक के साथ हुआ था, जों कि लापता है। यह प्रकरण अत्यंत गंभीर प्रकृति का होने और मानव तस्करी का मामला होने के कारण सुनवाई में उपस्थित थाना प्रभारी के माध्यम से इस प्रकरण से संबंधित दस्तावेज को पुलिस अधीक्षक जांजगीर-चांपा को दिया गया। इस प्रकरण पर आयोग की सदस्य सुश्री शशीकांता राठौर लगातार जानकारी लेती रहेंगी, जिससे आवेदिका की पुत्री का सकुशल बरामदगी कराया जा सकेगा। इसी तरह एक आवेदिका ने सुनवाई के दौरान अपनी बेटी के लापता होने का आवेदन दिया है। आयोग द्वारा तत्काल इस आवेदन को भी पुलिस अधीक्षक को दिया गया है।

एक प्रकरण में आवेदिका के ससुर अपने बहू एवं पोती को साथ रखने तैयार है। इस संबंध में सदस्य सुश्री शशीकांता राठौर और जिला संरक्षण अधिकारी नवा बिहान पामगढ़ को 06 माह तक निगरानी रखने कहा गया तथा अनावेदक को 3000/-रुपए प्रतिमाह आवेदिका के खाते में डालने के निर्देश दिए गए, साथ ही आवेदिका को भी सास-ससुर की सेवा माता-पिता के समान करने कहा गया। आयोग की सदस्य सुश्री शशीकांता राठौर द्वारा दोनों के मध्य शपथ-पत्र  में समझौता निष्पादन करेंगी, इसके साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक प्रकरण में आवेदिका एन.जी.ओ. के अंतर्गत कार्यरत् थी और अनावेदक ने उसे कार्य से निकलवाया है, जिसकी  शिकायत का आवेदन आवेदिका द्वारा आयोग में दिया गया था। आर्थिक अनियमितता को आयोग द्वारा संरक्षण नही दिया जा सकता, इस स्तर पर प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक प्रकरण में दोनों पक्ष बिजली विभाग में कार्यरत् है। दोनों पक्ष एक-दुसरे के विरूद्ध सूचना का अधिकार लगा कर परेशान है। यह प्रकरण आयोग से संबंधित नही होने पर उन्हे  संबंधित विभाग में आवेदन प्रस्तुत कर निराकरण करवाने के निर्देश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक प्रकरण संपत्ति विवाद का मामला होने पर दोनों पक्ष को न्यायालय में निराकरण की समझाईश के साथ प्रकरण को आयोग से नस्तीबद्ध किया गया। एक प्रकरण जो दोनों पक्षों के मध्य वर्ष 1999 का मामला है तथा आवेदिका के पास जमीन खरीदने का वैधानिक दस्तावेज नहीं है। 05 रूपये का स्टाम्प पर खरीदफरोक्त करने का लेख है, जिस पर दिवानी न्यायालय में ही निराकरण हो सकता है। इस प्रकरण को आयोग द्वारा नस्तीबद्ध किया गया। एक प्रकरण में दोनो पक्षों के मध्य विभागीय कार्य को लेकर आपसी रंजीश सा प्रतीत होना पाया गया। दोनो पक्षों को आयोग की ओर से समझाइश दिया गया। आयोग द्वारा दोनों को एक-दुसरे का मतभेद समाप्त करने के निर्देश दिए हैं, इसके साथ इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

इसी प्रकार एक प्रकरण में आवेदिका के पुत्र आपसी रजामंदी से तलाक देने तैयार है। दोनों प़क्ष की ओर से तलाक की प्रक्रिया के लिए आयोग की सदस्य सुश्री शशीकांता राठौर को अधिकृत किया गया, जिसमें सदस्य दोनों पक्षों का तलाकनामा कार्यवाही अपनी निगरानी में कराएंगी। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। इसी प्रकार आयोग द्वारा अन्य विभिन्न प्रकरणों पर भी आवश्यक कार्रवाई किया गया है।

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