जल, जंगल और जमीन के दुश्मनों का शासन जनजातियों के लिए काला कालखंड, चार साल में जनजातीय विकास हुआ अवरुद्ध – विकास मरकाम

जल, जंगल और जमीन के दुश्मनों का शासन जनजातियों के लिए काला कालखंड, चार साल में जनजातीय विकास हुआ अवरुद्ध – विकास मरकाम

December 16, 2022 Off By Samdarshi News

आवास मिला न पेयजल, ठेकेदारों के साथ मिलकर आदिवासियों को लूटा गया – विकास मरकाम

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

रायपुर : अनुसूचित जनजाति मोर्चा, प्रदेश अध्यक्ष, विकास मरकाम ने भूपेश सरकार के 4 वर्ष के कार्यकाल को आदिवासियों की बदहाली और बर्बादी का कार्यकाल बताते हुए जमकर हमला किया। विकास मरकाम ने कहा भूपेश सरकार का कार्यकाल का एक-एक दिन जनजातीय समाज के लिए किसी बुरे स्वप्न के लिए कम नही है। आरक्षण से लेकर शिक्षा तक, पेयजल से लेकर सड़क और आवास तक प्रदेश आदिवासियों के साथ सौतेला और दोयम दर्जे का व्यवहार कर कांग्रेस ने समस्त जनजाति समाज का विकास बाधित कर दिया है।

आदिवासियों के अधिकार और भविष्य पर चोट

विकास मरकाम ने तर्कपूर्वक अपने बातों के साथ प्रमाण देते हुए कहा 2005 से आदिवासियों को पदोन्नति में आरक्षण मिल रहा था, उसे इस भूपेश सरकार ने आदिवासियों से छीन लिया। इससे जनजातीय समाज के लोग उच्च पदों पर कम से कम जाएंगे। नीति निर्माण में आदिवासियों की कम से कम हिस्सेदारी होगी, इससे आदिवासियों का विकास बुरी तरह अवरुद्ध होगा। स्थानीय भर्ती का अधिकार, जनजातीय युवाओं की नियुक्तियों और आरक्षण को लेकर अभी भी पूरे समाज को अनिश्चितता में डालकर रखा गया है।

जल, जंगल और जमीन के दुश्मन

भूपेश सरकार के राज में वनवासियों को अपने जल, जंगल जमीन पर निर्णय लेने का हक प्रदान करने वाली संसद के पेसा कानून 1996 के मूल अधिकारों में भी बदलाव किया गया। अन्य राज्य में जहां पेसा कानून के तरह जल, जंगल और जमीन पर अतिक्रमण के पूर्व ग्रामसभा से अनिवार्य सहमति की आवश्यकता पड़ती है, वहीं छत्तीसगढ़ में यह अनिवार्यता छीन ली गई है। धड़ल्ले से पेड़ काटे जा रहे है। हसदेव अरण्य हो या बस्तर के साल वन कांग्रेस जंगल का नक्शा बिगाड़ने में तुली है। विकास ने कहा एक ओर लगातार पेड़ काटकर जंगल खत्म कर रहे, दूसरी ओर लघुवनोपज खरीदी का झूठा दावा करते है। विकास मरकाम ने भूपेश सरकार से पूछते हुए कहा क्या केवल विज्ञापन से आदिवासियों का भला हो जायेगा ? जो तेंदूपत्ता खरीद का सीजन भाजपा के शासन काल में 10 से अधिक दिनों तक चलता था उसे आपने केवल 1 से 2 दिन का कर दिया, ताकि खरीदी से बचकर भाग सको। खुज्जी, मोहला मानपुर समेत कई क्षेत्रों में तो आज तक कई सालों का तेंदूपत्ता खरीदी का भुगतान तक नहीं हुआ है। ये आदिवासियों की आजीविका पर भीषण चोट नही तो क्या है ?

जनजातियों को पीने का साफ पानी भी नहीं उपलब्ध

विकास मरकाम ने भूपेश सरकार को आईना दिखाते हुए कहा एक ओर जहां भारत आजादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। वही दूसरी ओर कांग्रेस राज में आदिवासियों को साफ पेयजल भी मयस्सर नहीं। बस्तर के 400 से अधिक गांवों में अभी नल जल योजना का लाभ नहीं पहुंचा है। ग्रामीण आर्सेनिक, फ्लोराइड जैसे जहरीले पानी को पीने पर मजबूर है। बस्तर, सरगुजा क्षेत्र में ठेकेदारों के साथ मिलकर पेयजल घोटाला तो कांग्रेस कर रही है, लेकिन उसका कड़वा घूंट जनजाति समाज को पीना पड़ रहा है। भाजपा सरकार ने PMGSY और स्टेट हाइवे का जाल आदिवासी क्षेत्रों में बिछाया। सुदूर अंचलों को विकास से जोड़ा, लेकिन भूपेश सरकार के चार साल के शासनकाल में उनका मरम्मत तक नहीं हो पाया। विकास से जोड़ने वाली सड़कों पर भूपेश सरकार के नाकामी के गड्ढे ने बुरी तरह से जनजातीय क्षेत्रों का विकास अवरूद्ध कर दिया है।

आदिवासियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के कई उदाहरण

बीमारी से जूझता बस्तर बारिश के महीनो में अज्ञात बीमारी से काल के ग्रास बन गए। स्वास्थ्य मंत्री कहते है मुझे कुछ पता ही नही। कल ही कोरिया में आयुष्मान योजना से 1 करोड़ घोटाला करने की खबर, अंबिकापुर में नवजात शिशुओं की मौत, छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक में स्वास्थ्य बदइंतजामी के चलते कई आदिवासियों की मौत हुई। ये आदिवासियों के जीवन से खिलवाड़ के पर्याप्त प्रमाण नही तो क्या है ?

मंत्री के इस्तीफा के बाद भी नहीं बने घर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर गरीब आदिवासी के सिर पर पक्का छत हो, इसलिए प्रधानमंत्री आवास योजना जारी किया गया। लेकिन राज्यांश जारी करने में भूपेश बघेल की सरकार कोताही बरत रही है। कुछ महीने पहले ही पंचायत मंत्री ने 18 लाख हितग्राहियों के आवास लंबित करने की नीति से खिन्न होकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया, उसके बाद भी आप नींद से नहीं जागे। हर बात के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराने की नीति का अनुसरण करने वाली भूपेश सरकार के राज में आदिवासियों का जीवन 4 साल से एक बुरे स्वप्न के समान बीत रहा है।