छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित आरक्षण संशोधन विधेयक पर सरकार की बयानबाजी को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को घेरा, कवासी लखमा के बयान पर किया पलटवार

छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित आरक्षण संशोधन विधेयक पर सरकार की बयानबाजी को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को घेरा, कवासी लखमा के बयान पर किया पलटवार

December 19, 2022 Off By Samdarshi News

राज्यपाल को क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए…ये अब कवासी लखमा तय नहीं करेंगे: बृजमोहन अग्रवाल

राज्यपाल को कोई बाध्य नहीं कर सकता : बृजमोहन अग्रवाल

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित आरक्षण संशोधन विधेयक अब राज्य सरकार और राजभवन के बीच मामला अटका हुआ है। इसी बीच राज्य सरकार की तरफ से हो रही बयानबाजी को लेकर पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार जमकर हमला बोला। दरअसल, भाजपा राज्य सरकार के इस विधेयक को भानुप्रतापपुर उपचुनाव का दिखावा बता रही थी और अब ये विधेयक मात्र दिखावा ही बनकर रह गया है। प्रदेश सरकार के इस जल्दबाजी वाले विधेयक के कारण प्रदेश के तीन लाख युवाओं का भविष्य अधर में अटका हुआ है। अनिर्णय के कारण नई नियुक्तियां और प्रवेश रुक गए हैं। विभिन्न वर्ग के लोग राजभवन पहुंचकर प्रस्तावित आरक्षण विधेयक को लेकर आपत्तियां जता रहे हैं।

कवासी लखमा के बयान पर बृजमोहन अग्रवाल ने दी प्रतिक्रिया

कवासी लखमा के आरक्षण को राज्यपाल द्वारा लटकाए जाने वाले बयान पर बृजमोहन अग्रवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, राज्यपाल को क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए…ये अब कवासी लखमा तय नहीं करेंगे। राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और वो संविधान के अनुरूप ही अपने कार्यों का निर्वहन करेंगी।

राज्यपाल को कोई बाध्य नहीं कर सकता : बृजमोहन अग्रवाल

बृजमोहन जी ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी का एक ही काम बचा है, जब वह सत्ता में रहती है तो मनमानी करती है और जब सत्ता में नही रहती तो संविधान को तोड़ने की कोशिश करती है। राज्यपाल जी संविधान के अनुसार ही काम करेंगी, उनको कोई बाध्य नहीं कर सकता। कांग्रेस के लोग …इस बिल को लौटा दें या हस्ताक्षर करके दें….जैसी बातों से वे संविधान का उल्लंघन करने की कोशिश कर रहे हैं।

राज्यपाल का आरक्षण पर बयान

राज्यपाल ने स्वयं कहा था कि हमने तो केवल आदिवासियों के आरक्षण को लेकर अध्यादेश या विधेयक लाने के लिए सुझाव दिया था। सरकार ने सभी वर्गों का आरक्षण बढ़ाकर 76 प्रतिशत कर दिया। राज्यपाल ने चिंता प्रकट की थी कि जब हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण को ही असंवैधानिक बता दिया तो 76 प्रतिशत आरक्षण का खाका कहां सफल हो पाएगा।