सफलता की कहानी : वन भूमि में काबिज लोगों को मालिकाना हक मिलने से वनवासियों की बदल रही जिंदगी, अब ग्रामीण निश्चिंत होकर अपने काबिज जमीन पर जीवन यापन के लिए कर रहे खेती किसानी, जमीन का स्वामित्व मिलने से नही रहा बेदखली का डर- किसान हेरमोन

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अब तक 17 हजार 170 लोगों को व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टा एवं 2677 सामुदायिक वन अधिकार पट्टा किया गया वितरित 

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

जशपुर. प्रदेश सरकार द्वारा वन भूमि में वर्षाे से काबिज वनवासियों को उनकी जमीन का मालिकाना हक देने के सराहनीय पहल से अनेक आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की जिंदगियां बदल रही है। अब ग्रामीण निश्चिंत होकर काबिज जमीन पर खेती कर अपना जीवन यापन कर रहें हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रहे है।

उल्लेखनीय है कि जिले में 17 हजार 170 लोगों को लगभग 7261.214 हेक्टेयर भूमि का व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा प्रदान किया गया है। साथ ही  2677 सामुदायिक वनाधिकार पट्टे के तहत लगभग 90063.719 हेक्टेयर भूमि लोगों को प्रदान की गई है। इसी प्रकार 75167.248 हेक्टेयर भूमि का 357 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र भी वितरित किया गया है।

इसी कड़ी में कुनकुरी विकासखण्ड के नगरीय क्षेत्र डुगडुगिया निवासी श्री हेरमोन पन्ना को वनाधिकार पत्र मिलने से उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया है। श्री पन्ना ने बताया कि उनके पूर्वज दादा परदादा अपने समय से ही इस जमीन पर खेती करते थे। इसी 0.022 हेक्टेयर भूमि का वनाधिकार पत्र उन्हें प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार मंे उनकी पत्नी सहित 2 पुत्र है जिनका भी जीवन निर्वाह उनके ऊपर निर्भर है। रोजगार के अन्य साधन न होने के कारण वे अपने जीवन यापन के लिए मजदूरी एवं खेती पर ही निर्भर है।

श्री पन्ना ने बताया कि पहले उन्हें काबिज भूमि से बेदखली का डर रहता था परंतु अब जमीन का मालिकाना हक मिलने से उन्हें बेदखली का डर नही है। अब वे बिना चिंता के वे उस जमीन पर खेती कर रहे हैं। साथ ही उनके द्वारा उक्त जमीन पर छोटा सा मकान भी बनाया गया है एवं मकान के साथ लगे जमीन पर उनके द्वारा आधुनिक तरीके से खेती भी किया जा रहा है। वे धान के साथ ही मौसमी सब्जियों का उत्पादन भी कर रहे है। जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष उन्हें लगभग 30 से 40 हजार की आमदनी प्राप्त हुई है।

श्री हेरमोन ने प्रदेश सरकार द्वारा छोटे किसानों के हितों को ध्यान में रखकर में किये जा रहे संवेदनशील कार्यों के प्रति आभार प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं जिला प्रशासन को सहृदय धन्यवाद दिया। उन्हांेने कहा कि पूर्वजों के काबिज जमीन का उन्हें स्वामीत्व अधिकार मिलने उनके परिवार के भरण-पोषण की चिंता अब नहीं रह गई है।

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