जिला राजनांदगांव में नेशनल लोक अदालत सम्पन्न : वर्चुअल और भौतिक उपस्थिति मोड में लगभग 17299 प्रकरण से अधिक मामले निपटाए गए

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, राजनांदगांव

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के तत्वाधान, छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन एवं माननीय जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशन में नेशनल लोक अदालत का 11 फरवरी 2023 को वर्चुअल और भौतिक उपस्थिति मोड में आयोजन किया गया।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिये आज राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में लोक अदालत आयोजित हो रही है। जिला राजनांदगांव, नवीन जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी एवं जिला खैरागढ़-छुईखदान -गण्डई में केप्रकरणों को निराकरण के लिये चिन्हित किया गया है। शुक्रवार को जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष माननीय श्री विनय कुमार कश्यप के नेतृव्व में लोक अदालत के आयोजन की सभी तैयारी पूर्ण कर ली गयी थी।

नेशनल लोक अदालत आयोजित करने के लिए कुल 43 खंडपीठों का गठन किया गया था। इस लोक अदालत में 17299 मामलों का सफलतापूर्वक निपटान किया गया। निपटान किए गए मामलों में कुल 14721 मामले प्री-लिटिगेशन चरण के थे और 2578 मामले ऐसे थे जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित थे, निपटान राशि लगभग 11722672 रुपये थी।

मामलेलंबितप्री-लिटिगेशनकुल
सुनवाई किये गये31263988743,013
निपटान किये गये25781472117,299
निपटान मूल्य (रुपये में)499021467324581,17,22,672

उपरोक्त नेशनल लोक अदालत में आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट से संबंधित मामले अर्थात् चेक से संबंधित मामले, वैवाहिक विवाद के मामले, श्रम विवाद के मामले, बैंक ऋण वसूली वाद, रूपया वसूली वाद, विद्युत बिल एवं टेलीफोन बिल के मामले, भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले, राजस्व न्यायालय के मामले एवं अन्य राजीनामा योग्य वाद आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई।

5 वर्ष पुराने मामले का नेशनल लोक अदालत में हुआ निपटारा

पीठासीन अधिकारी श्रीमति अंजली सिंह के निरंतर प्रयासो से 5 वर्ष पुराने प्रकरण का अंतिमतः नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारों के मध्य राजीनामा के आधार पर निराकरण किया गया।

प्रकरण में पक्षकारों ने, विशेष रूप से आहत ने न्यायालय के समक्ष यह कथन किया कि वे स्वेच्छया तथा बिना किसी डर दबाव के राजीनामा के आधार पर प्रकरण को समाप्त करना चाहते है। और इस प्रकार हस्तगत प्रकरण का खुशनुमा निराकरण हुआ। इस तरह के मामले सटीक उदाहरण है कि यदि न्यायालय तथा अधिवक्तागण सकारात्मक रूप से प्रयास करें और लोक अदालत जैसे मंच आते रहे, तो उसका परिणाम निश्चित ही न्यायालय तथा पक्षकारों के समय की बचत होगी।

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