प्रदेश में इस साल दूसरी बार वीसीए कम होने से सस्ती हुई बिजली की दर, 2023 में लगातार दूसरी बार 35 पैसे प्रति यूनिट की कमी, अगले महीने कम आएगा बिल.

प्रदेश में इस साल दूसरी बार वीसीए कम होने से सस्ती हुई बिजली की दर, 2023 में लगातार दूसरी बार 35 पैसे प्रति यूनिट की कमी, अगले महीने कम आएगा बिल.

April 12, 2023 Off By Samdarshi News

कुशल प्रबंधन से राज्य की दरें कम, केंद्रीय उपक्रम से अभी भी मिल रही महंगी बिजली

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

रायपुर : छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा इस वर्ष 2023 में लगातार दूसरी बार वीसीए में कमी के कारण बिजली की दरें कम की गई हैं। अप्रैल-मई के आगामी बिजली बिल में वीसीए (वेरिएबल कॉस्ट एडजेस्टमेंट) 43 पैसे प्रति यूनिट लगेगा। इसके पहले फरवरी-मार्च के लिए वीसीए को 1.10 से घटा कर 78 पैसे प्रति यूनिट किया गया था। इस तरह प्रदेश में बिजली की दरें दो बार में कुलमिलाकर 67 पैसे प्रति यूनिट सस्ती हो गई हैं।

गौरतलब है कि एक तरफ इस वर्ष राज्य विद्युत नियामक आयोग ने जहां विद्युत टैरिफ में किसी तरह की वृद्धि नहीं की है, वहीं दूसरी ओर वीसीए चार्ज भी कम हो गया है। इससे विद्युत उपभोक्ताओं को पर्याप्त राहत मिलेगी।

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग व्दारा अधिसूचित बहुवर्षीय टैरिफ सिद्धांतों के अनुरूप विनियम 2021 की कंडिका-93 में निहित प्रावधानों के अनुपालन में वर्ष 2022-23 के व्दैमासिक अवधि अर्थात् अप्रैल-मई 2023 के दौरान वेरियेबल कॉस्ट एडजेस्टमेंट का निर्धारण किया गया है। जिसके तहत वीसीए चार्ज 43 पैसे प्रति यूनिट निर्धारित किया गया है। यह फरवरी-मार्च 23 के बिल में 78 पैसे तथा दिसंबर 22-जनवरी 23 के बिल में 1.10 पैसे प्रति यूनिट था। इस तरह दो बार में बिजली की दरों में 67 पैसे प्रति यूनिट की कमी आई है।

गौरतलब है कि वीसीए चार्ज छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी व्दारा क्रय की गई बिजली की लागत के आधार पर तय होती है। छत्तीसगढ़ शासन के ऊर्जा संयंत्र छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी से क्रय की गई बिजली सस्ती दर पर मिली है, जिसमें आयोग व्दारा निर्धारित लागत की तुलना में 34.93 करोड़ एवं जल व सौर स्त्रोतों से 10.13 करोड़ रुपए सस्ती बिजली मिली है, जबकि एनटीपीसी से विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित दर की तुलना में 288 करोड़ रुपए की राशि अधिक देनी पड़ रही हैं। विद्युत उत्पादन हेतु कोयला एवं तेल की आवश्यकता मुख्य रूप से ईंधन के रूप में विद्युत गृहों में होती है। इन दोनों प्रमुख घटकों की कीमत बाजार मूल्य के अनुरूप प्रत्येक दो माह में घटती-बढ़ती रहती है।