दर्द ने छुड़ाया स्कूल, रेडियोलॉजी विभाग ने लौटाई स्कूल जाने की आस : सीलिएक प्लेक्सस ब्लॉक से क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस बीमारी के दर्द से मिली राहत

दर्द ने छुड़ाया स्कूल, रेडियोलॉजी विभाग ने लौटाई स्कूल जाने की आस : सीलिएक प्लेक्सस ब्लॉक से क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस बीमारी के दर्द से मिली राहत

April 21, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के रेडियोलॉजी विभाग में बिना चीर-फाड़ के क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस की बीमारी में सीलिएक प्लेक्सस ब्लॉक की सफल प्रक्रिया/प्रोसीजर इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे एवं टीम के द्वारा की गई। डॉ. विवेक पात्रे के अनुसार संभवतः यह छत्तीसगढ़ राज्य में बच्चों के क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस की बीमारी में दर्द को खत्म करने के लिये किया गया पहला सफल प्रोसीजर है। प्रोसीजर के बाद बच्ची को दर्द से राहत मिल गई है। बच्ची के घरवालों के अनुसार प्रक्रिया से पहले बच्ची बहुत ज्यादा दर्द से पीड़ित थी जिससे अब पूर्णतः राहत मिल गई है। स्वस्थ्य होने के बाद बच्ची दूसरे बच्चों की तरह स्कूल जाकर आगे की पढ़ाई पूरी करने की इच्छुक है।

डॉ.(प्रो.) विवेक पात्रे बताते हैं कि, एक 12 साल की बालिका को क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस हो गया था। जो कि सामान्यतः बच्चों में नहीं होता। इस बीमारी के कारण वह असहनीय पीड़ा से गुजरती थी। इस दर्द से निज़ात दिलाने के लिए घरवालों ने दुर्ग में 2 से 3 बार ऑपरेशन कराने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। दुर्ग से डीकेएस रेफर किया गया। डीकेएस में पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. जीवन पटेल एवं टीम के द्वारा पैंक्रियाटिक डक्ट को जेजुनम(मध्यान्त्र) से जोड़कर (पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी) किया जिससे उसकी बीमारी से राहत मिले। इसके बाद दर्द के इलाज हेतु डॉ. पात्रे से संपर्क करने की सलाह दी। डॉ. पात्रे ने मरीज की हिस्ट्री का अध्ययन कर एवं बच्ची की लगातार 3 साल से असहनीय पीड़ा को देखते हुए, बिना चीर-फाड़ वाले जटिल प्रक्रिया को करने का निर्णय लिया, जिसमें जरा सी चूक होने पर मरीज की जान तक जा सकती थी। घरवालों की सहमति से जोखिम उठा कर डॉ. विवेक पात्रे द्वारा इस जटिल प्रक्रिया को करने में सफलता प्राप्त की गई। इस प्रक्रिया के लिए बायोकेमिस्ट्री विभाग के डॉ. देवप्रिय रथ द्वारा विशेष केमिकल  फिनोल (दर्द निवारक गुणों वाली दवा) का निर्माण किया गया जिसे महाधमनी एवं महाशिरा के बीच बिना चीरफाड़ के नीडल के माध्यम से इंजेक्ट किया गया। प्रक्रिया के सफल हो जाने के बाद बच्ची को दर्द से राहत मिल गई।

इस प्रक्रिया में प्रमुख रूप से डॉ.  प्रतिभा जैन शाह (विभागाध्यक्ष निश्चेतना), डॉ. मधुमिता, डॉ. रसिका, डॉ. किशोर, डॉ.प्रियंका, सिस्टर ऋचा, आकाश एवं तकनीशियन अब्दुल का विशेष सहयोग रहा। बच्ची का इलाज डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना से निःशुल्क हुआ।

बच्ची के सफल उपचार के संबंध चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. एस. बी. एस. नेताम कहते हैं कि चिकित्सालय में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर हमारी यह कोशिश रहती है कि मरीजों को बेहतर से बेहतर उपचार मिल सके। बच्ची का उपचार सफल रहा इसके लिए पूरी टीम को बधाई।

मस्तिष्क को संदेश भेजती हैं नसें

सीलिएक प्लेक्सस नसें पाचन तंत्र के अंगों जैसे पित्ताशय, आंत, यकृत, अग्न्याशय और पेट के माध्यम से, मस्तिष्क को दर्द का संकेत भेजती हैं। सीलिएक प्लेक्सस ब्लॉक, इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाने वाला दर्द निवारक उपचार है जिसमें ब्लॉक लगा देने के पश्चात् नसों के माध्यम से मस्तिष्क को दर्द का संदेश नहीं पहुंचता।

ऐसे की जाती है बिना चीरा वाली प्रक्रिया

डॉ. विवेक पात्रे बताते हैं कि सीलिएक प्लेक्सस ब्लॉक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ऊपरी पेट से दर्द की संवेदना को मस्तिष्क तक ले जाने वाली नसें (सीलिएक प्लेक्सस) में सीटी स्कैन मशीन की मदद से इंजेक्शन के जरिए फिनोल को डाला जाता है। फिनोल को डालते हुए इसका असर तुरंत आ जाता है एवं मरीज को फौरन दर्द से राहत मिल जाती है। रीढ़ की हड्डी और किडनी के बीचों-बीच से आगे जाते हुए, महाशिरा और महाधमनी के बीच से सीलिएक प्लेक्सस तक पहुंचकर दवाई डालना बहुत जोखिम भरा रहता है।

पैंक्रियास और क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस

पैंक्रियास या अग्न्याशय पेट में बाईं ओर स्थित छोटा सा अंग एवं शरीर की महत्वपूर्ण अंतः स्त्रावी एवं बहिस्त्रावी ग्रंथि है। ये इंसुलिन, ग्लुकागोन, व सोमाटोस्टाटिन जैसे कई ज़रूरी हार्माेन बनाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथि है और साथ ही यह अग्न्याशयी रस निकालने वाली एक बहिःस्रावी ग्रंथि भी है। इसका मुख्य कार्य कुछ पाचन एंजाइम और हार्माेन का स्त्रावण करना है। क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस, अग्न्याशय (पैंक्रियास) में होने वाली सूजन है जो ग्रंथि (ग्लैंड) को खराब करने का कारण बनता है। इससे ग्रंथि (ग्लैंड) की स्थायी क्षति हो सकती है। परिणामस्वरूप अग्न्याशय में पथरी और अल्सर विकसित हो सकते हैं, जो आंत में पाचन रस को प्रवाहित करने वाली नली को बंद कर देते हैं। जो बाद में गंभीर समस्या का रूप ले लेती है।