सहकारी संघवाद और चुनी हुई राज्य सरकारों के खिलाफ मोदी सरकार के अधिनायकवादी षडयंत्र को सुप्रीम कोर्ट का करारा तमाचा – प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा

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संवैधानिक संस्थानों, केंद्रीय जांच एजेंसियों और राजभवन तक को भी पार्टी कार्यालय के रूप में संचालित करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं भाजपाई.

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

रायपुर : महाराष्ट्र में शिंदे सरकार के गठन की प्रक्रिया और दिल्ली में प्रशासन चलाने की शक्तियों के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि आज सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर संघीय ढांचे पर लगातार चोट पहुंचाने वाली मोदी सरकार के अधिनायकवादी चेहरे को उजागर किया है। गैर भाजपा शासित चुनी हुई राज्य सरकारों के खिलाफ मोदी सरकार के द्वारा किए जा रहे षड्यंत्र सर्वविदित हैं। मणिपुर, गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जिस प्रकार से बलपूर्वक तख्ता पलट में राजभवन की संलिप्तता रही। संवैधानिक संस्थानों, केंद्रीय जांच एजेंसियों और धनबल का दुरूपयोग करके लोकतंत्र का गला घोंटा गया। आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में शिंदे सरकार के गठन की प्रक्रिया पर तीखी टिप्पणी करते हुए महाराष्ट्र के राजभवन को भी कटघरे में खड़ा किया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल ने कानून के तहत काम नहीं किया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि तत्कालीन राज्यपाल ने निष्कर्ष निकालने में गलती की थी। यह पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार ने राजभवन को दबावपूर्वक संचालित करने का प्रयास किया हो, इससे पूर्व भी मोदी सरकार के दबाव में महाराष्ट्र में आधी रात को राष्ट्रपति शासन खत्म कर दिया गया था और भोर होने से पहले अल्पमत के भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई गई थी। विगत 9 वर्षों से मोदी राज में लगातार संवैधानिक संस्थानों, केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ ही राजभवन तक को भी भाजपाई पार्टी कार्यालय के रुप में संचालित करने का कुत्सित प्रयास करते रहे हैं। आज सर्वोच्च न्यायालय का फैसला षड्यंत्रकारी भाजपाइयों के मुंह पर करारा तमाचा है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि देश में जहां पर भी भाजपा विपक्ष में है, वहां ये राजभवन की आड़ में राजनीति कर रहे हैं। गैर भाजपा शासित राज्यों में विधानसभा से पारित महत्वपूर्ण विधेयकों को भी जबरिया रोके जाने के सैकड़ों उदाहरण है। छत्तीसगढ़ में नवीन आरक्षण विधेयक 2 दिसंबर 2022 से लंबित है। इसी तरह का विशेष सत्र बुलाकर सर्वसम्मति से पारित झारखंड का आरक्षण विधेयक आज तक लंबित है, लेकिन कर्नाटक में आरक्षण विधेयक पर तत्काल हस्ताक्षर ? आंध्रा, तेलंगाना सहित गैर भाजपा शासित राज्यों के सैकड़ों महत्वपूर्ण विधेयक राजभवन में रोक रखा गया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र की मोदी सरकार को आईना दिखाया है। सीजेआई ने कहा है कि चुनी हुई राज्य सरकारों को प्रशासन चलाने की शक्तियां मिलनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता तो यह संघीय ढांचे के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। हमारे देश में सहकारी संघवाद है। भारत राज्यों का संगठन है और राज्यों को कमजोर करके सक्षम राष्ट्र की कल्पना नहीं किया जा सकता है। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार लगातार राज्यों के हक और अधिकारों के खिलाफ अपने अधिनायकवादी निर्णय थोप रही है।

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