पीएससी चयन पर सवाल उठाना कुंठित भाजपाइयों के हताशा और निराशा का प्रमाण है, संवैधानिक संस्थानों को पार्टी कार्यालय के रूप में चलाना भाजपा का चरित्र है, पीएससी में कांग्रेस सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं – सुरेंद्र वर्मा

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रमन राज में 2003 और 2005 में पीएससी भर्ती गड़बड़ी और भ्रस्टाचार के आरोप न्यायालय में प्रमाणित हुए हैं, अब वही पाप इन्हें याद आ रहे हैं

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

पीएससी चयन सूची पर भाजपा नेताओं की अनर्गल बयानबाजी पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य लोकसेवा आयोग एक संवैधानिक एजेंसी है, यह एक स्वायत्तशासी संस्था है। कांग्रेस सरकार में हमेशा से ही संवैधानिक संस्थानों की मर्यादा और गरिमा के अनुरूप उनकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखने की जिम्मेदारी, सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। भर्ती, परीक्षा और चयन प्रक्रिया में राज्य सरकार का सीधे तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं रहा है। संवैधानिक संस्थानों, केंद्रीय जांच एजेंसियों और राजभवन तक का राजनीतिक उपयोग भारतीय जनता पार्टी का चरित्र है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने रमन राज में 15 साल के कुशासन को भी भोगा है। रमन सरकार के दौरान 2003 और 2005 में पीएसी भर्ती घोटाला भी सर्वविदित है। 2003 के मामले में अभ्यर्थियों के शिकायत पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि रमन सरकार के दौरान उक्त भर्ती में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी साफ दिख रही है, जांच और स्कैलिंग में षडयंत्र पूर्वक किए गए गड़बड़ी को लेकर उच्च न्यायालय ने कड़े कमेंट किए और उस सूची को निरस्त कर मानव विज्ञान की कॉपीयों को पुनः जांचने और फिर से स्कैलिंग कर नई सूची जारी करने का आदेश दिया था। रमन सरकार के दौरान उक्त भर्ती की जांच में यह भी पाया गया कि किसी अभ्यर्थी को 50 नंबर के पूर्णांक के आधार पर तो किसी को उपकृत करने 75 नंबर के पूर्णांक के आधार पर कापियां जांची गई थी। वर्ष 2005 के पीएससी भर्ती के मामले में सभी चयनित अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था।पीएसी के तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी सस्पेंड हुए, बिलासपुर हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने पूरी नियुक्ति सूची को ही निरस्त कर दिया था, लेकिन रमन सरकार की मिलीभगत से सुप्रीम कोर्ट से वह सूची बहाल करा दी गई। आज भी 2005 का मामला न्यायालय में लंबित है स्थानीय युवाओं के हक और हित का गला घोट ना रमन सरकार का चरित्र था।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि किसी अधिकारी या नेता का परिजन होना या उनका रिश्तेदार होना ना कोई अपराध है और ना ही भर्ती में अपात्रता। पीएससी में यह नियम है कि ऐसे प्रतिभागी जिनके परिजन पदाधिकारी हैं तो, ऐसे पदाधिकारी उस इंटरव्यू बोर्ड में नहीं बैठ सकते जिसमें उनके परिजन या कोई निकट संबंधी अभ्यर्थी के रूप में शामिल हो रहा हो। वर्तमान सरकार के दौरान की गई सभी भर्तियों में इस नियम का पालन हुआ है। 170 में से अधिकांश बच्चे सामान्य परिवारों से सेलेक्ट हुए हैं। सिमगा के निकट जरौदा गांव से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का बेटा डीएसपी बना है। तिल्दा के पास का ग्रामीण युवा और भाटापारा क्षेत्र का एक ग्रामीण युवा भी डीएसपी बना है। बस्तर की बेटी का चयन भी बीएसपी के रूप में हुआ है मध्यम वर्ग और साधारण परिवार के चयनित अभ्यर्थियों की बहुतायत है। रमन सिंह के कुशासन में 15 साल में 6 बार पी एस सी की भर्ती निरस्त हुई केवल 9 बार ही भर्ती कर पाए। युवाओं के सरकारी नौकरी में रोजगार के अधिकार को आउटसोर्सिंग करके भाजपा की सरकार बेचती रही और आज जब भूपेश सरकार में सरकारी नौकरी में नियमित पद पर भर्ती के अवसर मिल रहे हैं, युवाओं में उत्साह है तो मुद्दा विहीन भाजपाई केवल राजनैतिक लाभ के लिए अनर्गल बयानबाजी करके संवैधानिक संस्थानों को भी बदनाम करने नहीं चूक रहे हैं।

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