ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली – नए दौर का आगाज तथा गति व क्षमता वृद्धि के साथ साथ समयबद्धता के लिए वरदान

ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली – नए दौर का आगाज तथा गति व क्षमता वृद्धि के साथ साथ समयबद्धता के लिए वरदान

June 11, 2023 Off By Samdarshi News

इस नई तकनीक से एक सेक्शन में एक साथ एक से अधिक ट्रेनें हो रही हैं परिचालित

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, बिलासपुर

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे निरंतर ही आधुनिक एवं सुविधायुक्त तकनीकी का उपयोग कर यात्री सुविधाओं के साथ अधिक से अधिक ट्रैफिक के लिए प्रयासरत है। इस आधुनिक एवं उन्नत तकनीक के अंतर्गत बेहतर परिचालन को सुनिश्चित करने के लिए परंपरागत सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड कर  आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में परिवर्तित किया जा रहा है । ऑटो सिग्नलिंग व्यवस्था बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रखरखाव के साथ ही ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने के व प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रेफिक को नियंत्रित करने में मदद करता है।

ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लगने से ट्रेनों को बेवजह कहीं भी खड़ी नहीं होना पड़ेगा। इसके चलते एक ही रूट पर एक के पीछे एक ट्रेन बिना लेट हुए आसानी से चल सकेगी।इसके साथ ही इसके कई लाभ हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में नागपुर से दुर्ग तक की सेक्शनल स्पीड बढ़ाकर राजधानी रूट के समकक्ष 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की जा चुकी है ।

ऑटोमेटिक सिग्नल से रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ सकेगी। वहीं कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। जो ट्रेन जहां रहेंगी, वहीं रुक जाएंगी।

पहले जहां दो स्टेशनों के बीच एक ही ट्रेन चल सकती थी वहीं ऑटो सिग्नलिंग के द्वारा दो स्टेशन की बीच दूरी के अनुसार 2, 3 या 4 ट्रेने भी आ सकती है। औसतन एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 12 से 15 किलोमीटर तक होती है। ट्रेन को यह दूरी तय करने में 15 मिनट का समय लगता है। पहले गई ट्रेन के पीछे 15 मिनट के बाद दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। रेलवे इस समय को कम कर सात से आठ मिनट करने जा रहा है। जिससे वर्तमान समय में चलने वाली ट्रेन दोगुनी ट्रेनें चलाई जा सकें। रेलवे इसके लिए दो स्टेशन के बीच ऑटोमेटिक सिग्नल स‍िस्टनम लगाने जा रहा है। बीच के सिग्नल को पार करते ही पीछे से दूसरी ट्रेन चला दी जाएगी। इससे 15 मिनट के स्थान पर सात से आठ मिनट में ही दूसरी ट्रेन चलाई जा सकती है।

दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के कलमना से दुर्ग (265कि.मी.), जयरामनगर – बिलासपुर – बिल्हा (32 कि.मी.) और बिलासपुर – घुटकू (16 कि.मी.) सेक्शन में ऑटो सिग्नलिंग प्रणाली अपनाया जा चुका है। निकट भविष्य में चांपा से गेवरारोड,जयरामनगर से अकलतरा एवं बिल्हा से निपनिया तक ऑटो सिग्नलिंग का प्रावधान किया जाएगा।

       उपलब्ध संसाधनों के आधार पर परंपरागत सिग्नलिंग सिस्टम तथा ट्रेन परिचालन के एबस्ल्युट ब्लॉक सिस्टम के स्थान पर विभिन्न सेक्शन में आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम लागू किए जाने का कार्य किया जा रहा है ।