जशपुर जिले में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए बनी सहायक, कुपोषित बच्चों के वजन में हो रही है निरंतर वृद्धि

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ग्राम पंचायत रेंगले के सरपंच ने दो गंभीर कुपोषित बच्चों को गोद लेकर पोषण स्तर में सुधार हेतु प्रदाय कर रहे प्रत्येक सप्ताह दूध, अण्डा, केला, फल्लीदाना

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

जिले में कुपोषण के स्तर में कमी लाने, 0-5 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने, जनभागीदारी को बढ़ावा देने और एनिमिया मुक्त अभियान को सफल बनाने सुपोषण चौपाल कार्यक्रम का आयोजन जिला स्तर पर किया जा रहा है। कुपोषण स्तर में कमी  एवं बेहतर क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति का गठन किया गया है जो स्वास्थ्य जागरूकता में सुधार और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए समुदाय की पहुंच, विशिष्ट स्थानीय जरूरतों को पूरा करने और समुदाय आधारित योजना और निगरानी के लिए एक तंत्र के रूप में कार्य करने का एक मंच है।जो गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए बना मददगार साबित हो रहा है। कुपोषण को दूर करने के  अधिकारियों द्वारा अपने चिन्हाकित गांव में जाकर सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधियों, पर्यवेक्षक, एएनएम, मितानिन एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की उपस्थित में सुपोषण चौपाल लगाकर बच्चों के पालकों को जागरूक किया जा रहा है। जिसमें सरपंच, पंच , स्थानीय प्रतिनिधि अपनी सहभागिता निभा रहे है।

ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति के तहत विकासखण्ड बगीचा के ग्राम पंचायत रेंगलें के सरपंच द्वारा गंभीर कुपोषित बच्चों को गोद  लेकर उनके पोषण स्तर में सुधार हेतु सराहनीय प्रयास किया जा रहा है।  ग्राम पंचायत रेंगले में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति की बैंठक में सरपंच दिलीप टोप्पो द्वारा दो गंभीर कुपोषित बच्चों को गोद लिया गया और सरपंच द्वारा बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हेतु प्रत्येक सप्ताह दूध, अण्डा, केला, फल्लीदाना प्रदान किया जा रहा है। सरपंच द्वारा स्वयं बच्चों के अभिभावकों से गृह भेंटकर सामग्री वितरित किया जा रहा है। सरपंच द्वारा गृह भेंट के दौरान बच्चों के पोषण स्तर की जानकारी लेना, घर में स्वच्छता  रखने जैसे परामर्श  दिये जा रहे है। जिसका सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहा है कुपोषित बच्चों के वजन में  वृद्धि हुआ है और बच्चों के पोषण स्तर में  सुधार हो रहा है। पंचायत की कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं द्वारा भी कुपोषण को कम करने के लिए प्रयास किया जा रहा है।  कुपोषित बच्चों के घर गृह भेंट कर उनका वजन लेना, उचित खान-पान, स्वच्छता आदि संबंधी सलाह देकर अभिभावकों को मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

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