आंगनबाड़ी में मिले पौष्टिक आहार से चुकेश्वरी को एनिमिया से मिली मुक्ति, हीमोग्लोबीन स्तर 9 ग्राम से बढ़कर हुआ 12 ग्राम, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से महिलाए भी हो रही सुपोषित

आंगनबाड़ी में मिले पौष्टिक आहार से चुकेश्वरी को एनिमिया से मिली मुक्ति, हीमोग्लोबीन स्तर 9 ग्राम से बढ़कर हुआ 12 ग्राम, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से महिलाए भी हो रही सुपोषित

July 11, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, गरियाबंद

प्रदेश में महिलाओं और बच्चों को कुपोषण और एनिमिया से मुक्ति दिलाने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत महिलाओं और बच्चों में कुपोषण को दूर करने आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से पौष्टिक आहार के साथ आवश्यक स्वास्थ्य सलाह भी दिया जा रहा है। योजना से लाभान्वित होकर महिलाएं एवं बच्चे कुपोषण एवं एनिमिया से मुक्त हो रहे हैं। इसी योजना के फलस्वरूप विकासखण्ड फिंगेश्वर अंतर्गत ग्राम सरकड़ा की रहने वाली चुकेश्वरी बरिहा एनिमिया से मुक्त हो गई है। योजना अंतर्गत चुकेश्वरी को गर्भावस्था के दौरान आंगनबाड़ी में गर्म भोजन दिया गया। साथ ही उन्हें पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य सलाह भी दिया गया। इसके अलावा आंगनबाड़ी केन्द्र में प्रतिमाह टीकाकरण एवं स्वास्थ्य जांच भी किया गया। आंगनबाड़ी में मिले पौष्टिक आहार और आवश्यक स्वास्थ्य सलाह के फलस्वरूप चुकेश्वरी एनिमिया से मुक्त हो गई।

महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि चुकेश्वरी का हीमोग्लोबीन पहले 9 ग्राम था, जो कि आंगनबाड़ी में गर्म भोजन और पौष्टिक आहार मिलने के कारण 12 ग्राम हो गया। सुपोषित आहार के नियमित सेवन से चुकेश्वरी को उनके प्रसव के समय स्वास्थ्यगत समस्याएं नहीं हुई। उन्होंने 3.200 किलोग्राम के बच्चे को जन्म दिया। इस दौरान मां और बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहे। प्रसव के बाद भी चुकेश्वरी का हीमोग्लोबीन 12 ग्राम बना रहा। प्रसव के उपरांत भी उनको रेटी-टू-ईट के प्रयोग, आयरन, कैल्सियम गोली के नियमित सेवन, स्वच्छता का ध्यान रखने, तथा अपने भोजन में हरी सब्जियों एवं पौष्टिक आहार का नियमित सेवन करने की सलाह दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने गृह भेंट के दौरान उनके पति और उनकी सास को भी यह सब बाते बताई। साथ ही बच्चे के नियमित टीकाकरण के बारे में भी जागरूक किया गया। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत चुकेश्वरी को गर्भावस्था और प्रसव के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा दिये गये आवश्यक सलाह एवं देखभाल के तरीकों के कारण उन्हें एनिमिया से मुक्ति मिली। साथ ही उनके बच्चे को भी स्वास्थगत परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा।