आयुष पद्धति द्वारा ईलाज से मिल रहा गंभीर बीमारी से निजात: त्वक रोग ग्रस्ति 78 वर्षीय बुजुर्ग को उपचार पश्चात् खुजली और जलन से मिली काफी राहत

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अब तक 3019 रोगियों का निः शुल्क उपचार व औषधि दिया गया है

हाट.बाजार एवं सियान जतन क्लीनिक से 266 रोगी  हुए हैं लाभान्वित

आयुष हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर में 136 को योगाभ्यास एवं 164 हितग्राहियों को काढ़ा वितरण किया गया

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

जिला में आयुष विभाग के अंतर्गत कुल 58 संस्थाएं जैसे-आयुष पॉलीक्लीनिक आयुर्वेद स्पेशलाइज्ड थेरेपी सेंटर, आयुर्वेद ,होम्योपैथी औषधालय, सीएचसी,पीएचसी में आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी संस्था संचालित है और आयुर्वेद दवाइयों से लोगों को गंभीर बीमारी से निजात मिल रहा है। जिससे लोग आयुर्वेद दवाइयों का उपयोग कर स्वस्थ हो रहें है और काफी खुश है।

जिला आयुर्वेद कार्यालय जशपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत सप्ताह तक कुल 3019 रोगियों को औषधि वितरण कर निःशुल्क उपचार किया गया। साथ ही पंचकर्म क्रिया नाड़ी स्वेद, सर्वांद स्वेद, नस्य एवं शिरो धारा के द्वारा कुल 50 रोगियों की जांच कर ईलाज किया गया। विभाग द्वारा मुख्य रूप से जीर्ण वात व्याधि, ज्वर, संधिवात, त्वक विकार, पाददाह, गृध्रसी, जीर्ण श्वास रोग, दौर्बल्यता, जीर्ण काश रोग एवं उदर रोग की सफलता पूर्वक ईलाज किया गया। हाट-बाजार एवं सियान जतन क्लीनिक के माध्यम से कुल 266 रोगियों को लाभान्वित किया गया है। जिले में कुल 03 आयुष  हेल्थ  एण्ड वेलनेस सेंटर  संचालित है। जहां संस्थाओ द्वारा कुल 136 हितग्राहियों को योगाभ्यास कराया गया, साथ ही 164 हितग्राहियों को काढ़ा वितरण कराया गया। इसके साथ ही सूचना, शिक्षा एवं संचार के माध्यम से पाम्पलेट द्वारा भी लोगो को अधिक संख्या में आयुष चिकित्सा पद्धति द्वारा उपचार के लिए जागरूक किया जा रहा है।

इसी कड़ी में शासकीय आयुर्वेद औषधालय सरईपानी में पदस्थ डॉ. नवीन होता आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के द्वारा चर्म रोग का सफलता पूर्वक ईलाज किया गया। संबंधित संस्था में कुछ समय पूर्व 78 वर्षीय बुजुर्ग द्वारा त्वक रोग से संबंधित शिकायत लेकर संस्था में सम्पर्क किया गया। रोगी के हाथ और पैर में खुजली के साथ जलन की शिकायत थी। जिसके लिये उन्होने कई जगह से ईलाज एवं मेडिसिन लिया फिर भी ज्यादा फायदा नहीं हो पाया। इसके पश्चात् उन्होने आयुर्वेद की औषधि लेने का निर्णय किया। जिस हेतु उन्होने शासकीय आयुर्वेद औषधालय सरईपानी पदस्थ डॉ. नवीन होता आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क किया और डॉ. नवीन होता के द्वारा उनकी जानकारी लेकर जीर्ण त्वक रोग से ग्रसित बताया और आयुर्वेद पद्धति से ईलाज प्रारम्भ किया। जिसमें रोगी को हरिद्राखण्ड 6 ग्राम सुबह-शाम सीरप, त्रिषोधक 15 मिली. सुबह-शाम, कैशोर गुग्गुल 2-2 गोली सुबह-शाम, मरिच्यादि तेल स्थानीय प्रयोगार्थ हेतु साथ ही महामंजिष्ठादि क्वाथ का सेवन करवाना प्रारंभ किया। लगभग 15 दिवस की चिकित्सा के पश्चात् रोगी को काफी अच्छा महसूस हो रहा है। खुजली और जलन में काफी राहत है। वर्तमान में रोगी को 01 महिने तक सम्पूर्ण औषधि नियमित एवं संतुलित आहार के साथ सेवन करने के निर्देश दिये गये हैं।

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