सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाने किया गया मंथन : अनुच्छेद 5.3 के प्रति जन-जागरूकता लाने और राज्य में क्रियान्वयन किए जाने हेतु राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत तंबाकू नियंत्रण नीतियों का राज्य में क्रियान्वयन किए जाने व तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेपों को रोकने हेतु “तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (WHO FCTC) के अनुच्छेद 5.3 के प्रावधानों को लागू किए जाने हेतु राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन गुरूवार को राजधानी के एक होटल में किया गया।  कार्यशाला में देशभर से आए विषय विशेषज्ञों ने एक ओर जहां राज्य के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि प्रतिभागियों को अनुच्छेद 5.3 के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं दूसरी ओर प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों को भी सविस्तार से बताया।

भारत में  तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी)  के अनुच्छेद 5.3 जो सरकारों द्वारा ” तंबाकू उद्योग के वाणिज्यिक और अन्य निहित स्वार्थों से” स्वास्थ्य नीति की रक्षा के लिए उपायों का आह्वान करता है, के संबंध में राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित हुई। स्वास्थ्य नीतियों में तंबाकू कंपनियों की दखल अंदाजी को देखते हुए आयोजित कार्यशाला में विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। साथ ही जन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जनजागरूकता के जरिए अनुच्छेद 5.3 के क्रियान्वयन पर जोर दिया।

स्वास्थ्य विभाग और ‘द यूनियन’ की और से आयोजित कार्यशाला में राज्य नोडल अधिकारी तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. कमलेश जैन ने राज्य में तंबाकू नियंत्रण की दिशा में किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा “तंबाकू नियंत्रण की दिशा में छत्तीसगढ़ में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुच्छेद 5.3 के संबंध में भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी कोड ऑफ कंडक्ट को सभी जिला नोडल अधिकारियों में पूर्व में पत्र जारी किया गया है। साथ ही राज्य तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ट (एसटीसीसी) की राज्य स्तरीय बैठक में भी इसकी चर्चा की गई है। जल्द ही शासन को इस संबंध में एक मसौदा सौंपा जाएगा।“

कार्यशाला में द यूनियन के सीनीयर टेक्नीकल एजवाइडर डॉ. अमित यादव ने अनुच्छेद 5.3 के बारे में प्रकाश डाला। तो वहीं इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ बेंग्लूरू के फैकल्टी एवं डीबीटी वेल्कम ट्रस्ट इंडिया एलाइंस फेलो के डॉ. उपेन्द्र भोजानी ने तंबाकू कंपनियों द्वारा तरह -तरह के विज्ञापन और प्रलोभन व्यापारियों को दिए जाने और इससे किस तरह से बचा जा सकता है, इस बारे में विस्तार पूर्वक बताया। वहीं एमपीवीएचआई के एज्युकेटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार सिन्हा ने मध्यप्रदेश में तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम एवं नीतियों के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। साथ ही अनुच्छेद 5.3 के संबंध में जन-जागरूकता को बढ़ाने, तम्बाकू उद्योग के साथ बातचीत को सीमित करने, उद्योगों की किसी भी माध्यम से भागीदारी को अस्वीकार करने पर जोर दिया।

इस दौरान राज्य तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ट की कानूनी सलाहकार ख्याति जैन, राज्य सलाहकार डॉ. नेहा साहू एवं द यूनियन संस्था के संजय नामदेव ने कार्यशाला के विषय के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दी। द यूनियन संस्था के राज्य पदाधिकारी विलेश राऊत एवं प्रकाश श्रीवास्तव ने राज्य में अनुच्छेद 5.3 की स्थिति पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में  मुख्य रूप से जिसमें शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग, अर्बन डेवलप्मेंट डिपार्टमेंट, खाद्य एवं औषधीय प्रशासन विभाग, कृषि विभाग, मेडिकल एजुकेशन आदि के पदाधिकारियों ने हिस्सा लेकर राज्य में भी तंबाकू कंपनियों के हस्तक्षेप पर लगाम लगाने डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी अनुच्छेद 5.3 का अनुपालन करने के लिए आचार संहिता को लागू और पालन करने पर जोर दिया। इस दौरान तंबाकू नियंत्रण में संस्थाओं की भूमिका और जिम्मेदारियां, तंबाकू कंपनियों के प्रभाव के साधन, तंबाकू नियंत्रण प्रयासों में बाधाओं और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही उपरोक्त अनुच्छेद 5.3 को शासन स्तर पर अनुमोदित कराए जाने के लिए प्रमुख बिंदुओं पर भी विषय विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला।

उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) का अनुच्छेद 5.3 और इसके दिशानिर्देश एक रोडमैप प्रदान करता है। एफसीटीसी को मई 2003 में विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया था और भारत ने देश में तंबाकू के निर्विवाद खतरे को स्वीकार करते हुए 10 सितंबर, 2003 को एफसीटीसी पर हस्ताक्षर किए ।

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