पुलिस अधिकारियों द्वारा आरक्षक परिवार की महिलाओं पर लाठीचार्ज मामले में पूर्व मंत्री व राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने की प्रेस वार्ता कहा भूपेश बघेल इस पूरे घटनाक्रम को संभालने में पूरी तरह फेल साबित हुए

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर, यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि इतनी बड़ी संख्या में पुलिस बल अपने हथियार जमा कर आंदोलन में बैठी और अपने घर लौट गई।

इसमें विषय यह है कि सहायक आरक्षको के परिजन 6 दिसंबर से वेतन,   नियमितीकरण, अनुकंपा नियुक्ति सहित अन्य मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे और उन्होंने जब पुलिस मुख्यालय घेराव की घोषणा की तब सरकार के आदेश पर पुलिस अधिकारियों द्वारा आरक्षक परिवार की महिलाओं पर लाठीचार्ज कराया गया। अपने परिवार के अपमान से व्यथित लगभग 1400 आरक्षकों  ने अपने हथियार थानों में जमा करा दिए और आंदोलन पर उतर गए।

एक महत्वपूर्ण गंभीर बात है कि यह घटना देश के सबसे बड़े आंतरिक समस्या नक्सलवाद के गढ़ धुर नक्सली इलाके बीजापुर की है। भूपेश बघेल इस पूरे घटनाक्रम को संभालने में पूरी तरह फेल साबित हुए हैं। आज भी उन्हें इस घटना से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश का चुनाव लग रहा है।

भूपेश जी इतने गंभीर मामले को सही समय सुलझाने की कोशिश नहीं की।  वह इस मामले में कतई गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।  उन्होंने इस मामले को त्वरित सुलझाने की जगह, इस पर एक कमेटी  गठित कर दी। कांग्रेस सरकार से अनुरोध है कि वह कमेटी कमेटी ना खेले क्योंकि यह सरकार जब से बनी है, तब से ना जाने कितनी कमेटियां और एसआईटी,  कब गठित करती है  और कब  वह खत्म हो जाता है वह पता नहीं चलता।

सरकार की कमेटी बनाने के बाद आरक्षक अभी बैरक में नहीं लौट कर अपने घरों को चले गए हैं और उन्होंने चेतावनी दी है कि 1 महीने के अंदर अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। नक्सली क्षेत्रों में यह सहायक आरक्षक पुलिस व सेना के लिए  सबसे बड़ा सहायक साबित होते हैं क्योंकि उन्हें स्थानीय भौगोलिक स्थिति और भाषा की जानकारियां होती है।

एक बड़ा मामला इन जवानों की सुरक्षा का भी है लगातार नक्सली विरोधी अभियान में शामिल होने के कारण यह हिटलिस्ट में भी रहते हैं। विभिन्न समाचार पत्रों से ज्ञात हो रहा है कि लगातार नक्सली भी इन सहायक आरक्षक को अपील करते रहे हैं कि वह हथियार छोड़कर वापस लौट आए। जो गंभीर मामला है।

यह धुर नक्सली बीजपुर क्षेत्र का मामला न केवल छत्तीसगढ़ का मामला है।  अपितु देश की आंतरिक सुरक्षा का भी बड़ा गंभीर मामला है। अगर  कांग्रेस सरकार इस पर त्वरित  कार्यवाही नहीं करती है । तो भाजपा इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्री तक लेकर जाएगी।

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