समेकित कृषि प्रणाली द्वारा किसानों की दोगुनी आय विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न

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समदर्शी न्यूज़, जशपुर : भारत सरकार द्वारा प्रायोजित अनुसूचित जनजाति उपयोजना के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, कृषि प्रणाली का पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र, रांची, झारखंड द्वारा ष्समेकित कृषि प्रणाली द्वारा किसानों की दोगुनी आय विषय पर   12 से 14 मार्च 2024 तक कुनकुरी विकासखण्ड के ग्राम कनडोरा में आयोजित तीन दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

इस तीन दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के संचालक एवं छत्तीसगढ़ में चलाई जा रही अनुसूचित जनजाति उपयोजना के प्रभारी तथा अनुसंधान केंद्र, राँची के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बाल कृष्ण झा ने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली से दोगुनी आय पर यह प्रशिक्षण किसानों के लिए काफी लाभदायक है एवं उन्होंने कृषि की वैज्ञानिक तकनीक को अपनाकर अपनी आमदनी दोगुनी करने की वचन बद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि किसानों को इस प्रशिक्षण के पश्चात परंपरागत कृषि से निकलकर वैज्ञानिक विधि से जुड़ने की आवश्यकता है जिससे कृषि व्यवसाय उनके जीविकोपार्जन में सार्थक साबित होगा। इस प्रशिक्षण की अवधि में किसानों को प्रोजेक्टर के माध्यम से समेकित कृषि प्रणाली से संबंधित वैकल्पिक आय अर्जन हेतु मशरूम उत्पादन की विधि, मधुमक्खी पालन, वर्मीकंपोस्ट निर्माण, सब्जियों की पौधशाला तैयार करने की प्रो ट्रे द्वारा प्रायोगिक विधि, बकरीपालन, मुर्गीपालन एवं बत्तखपालन की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।

इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में कुल 12 वक्ताओं ने व्याख्यान दिया जिसमें किसानों को समेकित कृषि प्रणाली, टपक विधि सिंचाई द्वारा आधुनिकतम खेती तथा जल संचयन की तकनीक, खाद्यान्न एवं मोटे अनाज आधारित समेकित कृषि, जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव एवं उपाय, फसलों में लगने वाली कीट एवं व्याधियां तथा उनका नियंत्रण आदि विषयों पर जानकारी प्रदान की गई। इस प्रशिक्षण में किसानों को पशु आधारित, बागवानी आधारित समेकित कृषि तकनीक एवं इसके लाभ पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।

प्रशिक्षण में कुनकुरी विकासखंड के भुरसा, रायकेरा, गिरिडीह, गरडीपा, कनडोरा, भुमरा, सरनाटोली एवं सलियाटोली गांवों के कुल 50 अनुसूचित जनजाति के किसान लाभान्वित हुए। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में किसानों को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र के साथ अनुसंधान केन्द्र, राँची द्वारा विकसित सब्जियों -टमाटर, नेनुआ, झींगी के उन्नत किस्म के बीज तथा गरमा फसलों की खेती हेतु मूंग, उरद, बोदी के बीज प्रदान किए गए।

प्रशिक्षण समापन समारोह के मुख्य अतिथि डा. ए. के. मारकाम, उप निदेशक, पशुपालन विभाग, जशपुर ने किसानों को राज्य सरकार के पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने हेतु योजनाओं को विस्तार से बताया। इस क्रम में पशुपालन विभाग, जशपुर के पशु चिकित्सक डा. पटेल ने किसानों को पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया। कार्यक्रम

के मुख्य अतिथि ने किसानों को प्रमाणपत्र एवं मिनी किट वितरित किया। केन्द्र की वैज्ञानिक डा. रीना कुमारी कमल ने किसानों पशुओं मे लगने वाले रोग एवं उनके निदान पर विस्तृत जानकारी प्रदान की एवं किसानों का आह्वान किया कि उन्नत नस्लों के पशुओं का पालन करें एवं अपनी आय को दोगुनी करें। कार्यक्रम में कृषि विभाग के कमलेश कुमार पेंकरा, वरिष्ठ कृषि विकास पदाधिकारी ने जशपुर ने किसानों को कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से जुड़ने का आह्वान किया।

प्रशिक्षण के दौरान किसानों ने काफी प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इस प्रकार का प्रशिक्षण आज तक इस गाँव में आयोजित नहीं हुआ और इसके लिए उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अनुसंधान संस्था एवं भारत सरकार द्वारा प्रायोजित अनुसूचित जनजाति उपयोजना का विशेष आभार प्रकट किया। इस कार्यक्रम में केन्द्र के अनुसंधान सहायक श्री सौम्य सुंदर तिवारी ने भी किसानों को समेकित कृषि प्रणाली की जानकारी दी।

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