आम जनता के बजाय कॉरपोरेट हितैषी है केंद्रीय बजट : संसदीय सचिव यू. डी. मिंज

आम जनता के बजाय कॉरपोरेट हितैषी है केंद्रीय बजट : संसदीय सचिव यू. डी. मिंज

February 1, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय आम बजट 2023-24 प्रस्तुत की है जो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट है। 2023-24 का आम बजट कैसा होना चाहिए इस पर मीडिया के माध्यम से सुझाव भी लिया गया था। जिसमें ज्यादातर सुझाव दिखने को मिला था कि यह आम बजट आम जनता के हित में हो जिससे मेहनतकश मजदूर किसानों और मध्यम वर्ग को बढ़ती महंगाई, रोजगार की असुरक्षा से मुक्ति मिल सके अति अमीर लोगों के आय पर ज्यादा कर की वृद्धि हो जैसा कि हमने देखा कि कोरोना काल में भारतीय अर्थव्यवस्था भारी गिरावट पर थी लेकिन कुछ मुठ्ठीभर पूंजीपतियों की आमदनी में बेतहाशा वृद्धि हुई है आज भी रिपोर्ट कहता है कि तीन प्रतिशत पूंजीपतियों के पास देश का 70 प्रतिशत पूंजी है इस पर कर की प्रतिशत बढ़ाकर भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि किया जा सकता था।

केंद्रीय बजट 2023-24 पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये संसदीय सचिव यू. डी. मिंज ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है। कोरोनकाल में जहां भारत की अर्थव्यवस्था ऋणात्मक रूप से 23 प्रतिशत नीचे चला गया था वहाँ भारतीय कृषि का योगदान अर्थव्यवस्था में धनात्मक 3 प्रतिशत थी। वही अति अमीर कॉरपोरेट मुनाफा बटोरने में लगे रहे। अर्थव्यवस्था में कृषि की योगदान को देखते हुए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में वृद्धि किया जाना चाहिए था, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने की योजना शामिल की जानी चाहिए थी इसके बजाय कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप के माध्यम से इसे डुबाने की कोशिश की जा रही है।

वही रोजगार के क्षेत्र में हम देखे तो निजी -जन- भागीदारी (PPP) के जरिये निजीकरण को बढ़ावा दिया गया है जबकि भारतीय स्टार्ट अप ने 21000 कर्मचारियों की छटनी और फिलिप्स कंपनी 6000 कर्मचारियों की छंटनी करने का फैसला हाल ही में कर लिया है इसका मतलब रोजगार मिलने के बजाय रोजगार से वंचित हो रहे हैं। मूल्य स्थिरीकरण कोष का बजट 1500 करोड़ रुपये था जिसे ज्यादा बढोत्तरी करते हुए बढ़ती महंगाई पर रोक लगाया जा सकता है।

इस बजट से आम जनता के लिए आवश्यक वस्तुओं की महंगाई कम होने के स्थान पर दाम बढ़ेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा के विकास में स्पष्टता नहीं है। निजी निवेश को बढ़ाया जा रहा है जो कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने वाली कदम है। 50 नए एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव उसी का एक हिस्सा है। इससे बैंक, बीमा, रेलवे , हवाई अड्डे आदि सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण किया जाएगा जो अडानी जैसे डूबने वाले कॉरपोरेट को जीवनदान देने का कदम है। टैक्स अदा करने वालो को 7 लाख रुपये छूट दे गई है परंतु 15 लाख से अधिक आय वालो को केवल 30 प्रतिशत ही देना पड़ेगा। बल्कि इस स्लैब को बढ़ाया जाना चाहिए था।