स्मार्टफोन के ब्लास्ट होने से गंभीर रूप से घायल 11 वर्षीय मासूम को नेत्र रोग विभाग में मिला त्वरित एवं सफल उपचार
February 25, 2023डॉक्टरों के मुताबिक, स्मार्टफोन के फटने से हुए गंभीर हादसे के कारण एक आंख की रोशनी लौट पाना अब मुश्किल
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर
स्मार्टफोन/ मोबाइल के फटने से गंभीर रूप से घायल 11 वर्षीय मरीज आयुष खेस के आंखों के कॉर्निया में आयी चोट को पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय-डाॅ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित नेत्र रोग विभाग में डाॅ. संतोष सिंह पटेल के नेतृत्व में त्वरित ऑपरेशन करते हुए डाॅ. रेशु मल्होत्रा, डाॅ. सुशील, डाॅ. मोनिका, डाॅ. वैभव, डाॅ. साधना, डाॅ. अंशु एवं डाॅ. मधु ने ठीक किया। डाॅ. संतोष सिंह पटेल के अनुसार स्मार्टफोन या मोबाइल का ब्लास्ट इतना ज्यादा ख़तरनाक रहा कि आंख की कॉर्निया की चोट को ऑपरेशन पश्चात ठीक किया गया परंतु गंभीर आंतरिक चोट के कारण एक आंख की रोशनी आ पाना अब बहुत मुश्किल है। गंभीर हादसे के कारण एक आंख की रोशनी ही बचायी जा सकी।
नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं रेटिना सर्जन डाॅ. संतोष सिंह पटेल केस के संबंध में आगे की जानकारी देते हुए बताते हैं कि आयुष खेस एक 11 वर्षीय लड़के को उसके माता- पिता स्मार्टफोन विस्फोट की हिस्ट्री के साथ डाॅ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के नेत्र रोग विभाग में लेकर आए। परिजनों के मुताबिक घटना उस समय घटी जब बच्चा 2 घंटे से ज्यादा समय तक फोन पर गेम खेल रहा था और और फोन चार्ज हो रहा था। उसके पिता ने जो मोबाइल खराब हो गया था उसको खेलने के लिए दे दिया था। मोबाइल पहले स्थानीय बाजार से खरीदा था, हालाँकि, वह मोबाइल फोन या उसकी बैटरी के निमार्ता के बारे में नहीं जानते हैं। मरीज सीतापुर सरगुजा का रहने वाला है। घर पर 10 बड़े और 3 बच्चे हैं। किसान परिवार में सभी साथ रहते हैं। मोबाइल ब्लास्ट की घटना के समय बच्चा अकेला था और लम्बे समय तक मोबाइल फोन को चार्ज में लगाकर गेम खेल रहा था। 12.02.2023 की शाम को 5 बजे की घटना के बाद उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीतापुर ले जाया गया। वहां प्रायमरी उपचार के बाद मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर रिफर कर दिया गया। वहां से डीकेएस अस्पताल रायपुर रिफर किया गया। वहां उपचार के पश्चात् चूँकि आंखों में चोट आई थी तो डिपाटर्मेंट ऑफ़ आॅप्थेल्मोलाॅजी (नेत्र रोग विभाग) में 20.02.2023 को भेजा गया। मरीज के सीने, पेट, चेहरे और दाहिने हाथ में कई चोटे आई थीं इसलिए उन्हें तुरंत ऑपरेशन रूम में ले जाया गया।
कॉर्निया की चोट को ऑपरेशन पश्चात ठीक किया गया परन्तु गंभीर आंतरिक चोट के कारण एक आंख की रोशनी आ पाना अब बहुत मुश्किल है। हालांकि एक आँख की ही रोशनी बचायी जा सकी। मरीज इस तरह से एक आंख और एक हाथ को खो चुका है। उसकी एक हाथ की कुछ उंगलियां ब्लास्ट में कट चुकी हैं।
मोबाइल ब्लास्ट’ या ’बॉम्बाइल’ क्यों फट रहे हैं मोबाइल फोन?
डाॅ. पटेल के अनुसार स्मार्टफोन के फटने या आग लगने का मुख्य कारण स्मार्टफोन का अत्यधिक गर्म होना है। ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से स्मार्टफोन ज्यादा गरम हो सकते है। अत्यधिक गेमिंग और बहु कार्यण (मल्टीटास्किंग) के बाद स्मार्टफोन गर्म हो सकते हैं। कई जगहों से मोबाइल फोन के अचानक हाथ में या जेब में या कॉल रिसीव करने के बाद फटने की खबरें आती हैं इसे ही ’मोबाइल ब्लास्ट’ या ’बॉम्बाइल’ कहते हैं जिससे रोगी, परिवार के सदस्यों और समाज दोनों पर शारीरिक और मानसिक रूप से विनाशकारी परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
तकनीक के आधुनिक दौर में मोबाइल ब्लास्ट हाथ में चोट लगने का एक नया तरीका बनकर उभर रहा है। यह घाव के एक विस्तृत स्पेक्ट्रम का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें एक साधारण घाव से लेकर अंगच्छेदन तक विनाशकारी शारीरिक आघात और जटिलताएं होती हैं इसलिए, मोबाइल सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करके रोकथाम हमेशा बेहतर होती है। हाथ की ब्लास्ट इंजरी के प्रबंधन में पोस्ट-ऑपरेटिव फिजियोथेरेपी के साथ प्रारंभिक डेब्रिडमेंट और घाव कवरेज की ओर ध्यान देना है। इन चरणों में हम मोबाइल गरम होने से बचाव एवं ब्लास्ट होने से बचाव कर सकते हैं – 1ः शारीरिक नुकसान से बचने के लिए फ़ोन केस का उपयोग करना, 2ः अत्यधिक बाहरी तापमान से बचना, 3ः फ़ोन को उस स्थान पर चार्ज करना जहाँ से आप दूर हो 4ः बैटरी अच्छी हो हमेंशा चेक करें फूलने पे तत्काल बदल देवें। 5ः अपने फ़ोन को हमेशा 30-80 प्रतिशत बैटरी जीवन (बैटरी लाइफ) के बीच चार्ज करना 6ः कंपनी द्वारा अनुशंसित चार्जर केबलों का उपयोग करना चाहिए ।
फोन ब्लास्ट होने से पहले क्या होता है?
फ़ोन फटने से पहले कोई विशिष्ट चेतावनी देते हैं, हालाँकि, कुछ फुफकारने या चटकने की आवाज़ें हो सकती हैं, या प्लास्टिक या रसायनों के जलने की गंध आ सकती है। इन संकेतों को फोन के क्षतिग्रस्त होने और फटने से सावधान रहने के रूप में नोट किया जाना चाहिए।
डॉ. पटेल के अनुसार, बच्चों को मोबाइल से दूर रखें, इससे आँखों में मायोपिया होने का ख़तरा कोविड/कोरोना के बाद बहुत ज़्यादा हो गया है। पढ़ाई के लिए किताब या डेस्कटॉप का उपयोग करें। रही बात मनोरंजन की तो इसके लिए टेलीविजन ही सही है।