सफल ऑपरेशन से दिव्यांग डोमार भारती की आखों को मिली नई रोशनी, जीवन हुआ आसान

September 28, 2021 Off By Samdarshi News

दिव्यांग के दोनों आंखों में हो गया था मोतियाबिंद,डॉ.भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर के  नेत्र विभाग में हुआ सफल उपचार

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो

रायपुर. दोनों आंखों से मोतियाबिंद से पीड़ित आमनेर, अभनपुर निवासी 43 वर्षीय दिव्यांग डोमार भारती के सफल ऑपरेशन से आंखों की रोशनी वापस आ गई। दिव्यांग डोमार भारती का ऑपरेशन डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के नेत्र रोग विभाग में हुआ। नेत्र रोग विभाग के रेटिना सर्जन डॉ. संतोष सिंह पटेल के नेतृत्व में हुए ऑपरेशन के बाद मरीज सामान्य लोगों की तरह देख सकता है। उसकी दोनों आंख की दृष्टि अब बिल्कुल ठीक है।

 हालांकि चिकित्सालय में मोतियाबिंद का ऑपरेशन एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन 43 वर्षीय डोमार भारती के लिए यह ऑपरेशन इसलिए विशेष रहा क्योंकि जन्मजात दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बाद वे दूसरों पर आश्रित होकर अपना जीवन-यापन कर रहे थे परंतु एक समय ऐसा आया कि उनकी दोनों आंखों की नेत्र ज्योति मोतियाबिंद के कारण जाती रही। नेत्र ज्योति के चले जाने से हालात और भी मुश्किलों वाले हो गये। ऐसे में मरीज के छोटे भाई कामता भारती और अभनपुर के नेत्र सहायक रोशन साहू की मदद से अम्बेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में पहुंचे और यहां डॉक्टरों ने सभी प्रकार की जांच करने के बाद बिना देरी किए मरीज का ऑपरेशन किया। नेत्र रोग विभाग में भर्ती होने से लेकर ऑपरेशन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक अम्बेडकर अस्पताल के नेत्र सहायक अधिकारी संजय शर्मा ने मरीज डोमार भारती का हरसंभव सहयोग किया।

 दिन-ब-दिन हालात बिगड़ रहे थे

मरीज के भाई कामता भारती कहते हैं कि जन्मजात दोनों पैर से दिव्यांग भाई डोमार भारती चलने-फिरने में पूरी तरह से असक्षम थे। अपनी ट्राइसाइकिल की मदद से किसी तरह से जीवन-यापन कर रहे थे। धीरे-धीरे दोनों आंखों की रोशनी भी जाती रही।  ऐसे समय में अभनपुर के नेत्र सहायक रोशन साहू हमारे लिए मददगार साबित हुए। उन्होंने मेरे भाई की स्थिति देखी और तुरंत डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के नेत्र सहायक अधिकारी संजय शर्मा से संपर्क किया। संजय शर्मा की मदद से 15 सितंबर को अस्पताल में भर्ती किया गया और 16 सितंबर को दायीं आंख तथा 23 सितंबर को बायीं आंख का ऑपरेशन हुआ। सफल ऑपरेशन के बाद शनिवार 25 सितंबर को हमें डिस्चार्ज भी कर दिया गया।

 समय रहते ऑपरेशन नहीं होता तो पूर्ण अंधत्व की संभावना हो सकती थी

रेटिना सर्जन एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष सिंह पटेल के अनुसार मरीज का कैटरेक्ट (मोतियाबिंद), मैच्योर कैटरेक्ट था। मोतियाबिंद इतना ज्यादा पक गया था कि ज्यादा देर करने पर लेंस की झिल्ली भी कमजोर हो जाती। मोतियाबिंद के अत्यधिक पक जाने के कारण ऑपरेशन के दौरान झिल्ली के फटने का डर भी रहता है। ऐसी स्थिति में हमने जल्द से मरीज के ऑपरेशन की योजना बनाई। चूंकि मरीज को दिव्यांगता के अलावा कोई दूसरी बीमारी की हिस्ट्री नहीं थी ऐसे में दूसरे ही दिन हमने दायीं आंख का फेको पद्धति से ऑपरेशन किया उसके बाद बायीं आंख का भी समय रहते ऑपरेशन किया। यदि समय पर मरीज का ऑपरेशन नहीं होता तो वह पूर्ण अंधत्व का शिकार हो जाता। डॉ. संतोष सिंह पटेल के साथ इस ऑपरेशन में डॉ. रेशु मल्होत्रा, डॉ. राजेश साहू, डॉ. विवेक, डॉ. क्षमा और एनेस्थेटिस्ट डॉ. साक्षी भी टीम में शामिल रहीं।