गायत्री ने बदली अपनी किस्मत : जैविक खेती और कृषि सखी बनकर बनीं लखपति दीदी, खेतों में चला रही ट्रैक्टर,  परिवार की बनी मजबूत ढाल

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समदर्शी न्यूज़ बिलासपुर, 15 सितंबर / राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की बिहान योजना के जरिए स्व सहायता समूहों से जुड़कर महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बन रही हैं। बिल्हा ब्लॉक के ग्राम उमरिया की श्रीमती गायत्री महर समूह से जुड़कर न केवल जैविक खेती कर लाभ कमा रही है , बल्कि कृषि सखी का कार्य कर दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रही है। मिलने वाले मानदेय से अब अपनी उच्च शिक्षा भी पूरी कर रही हैं। गायत्री का चयन छत्तीसगढ़ विजन डॉक्यूमेंट में विचार रखने के लिए भी किया गया था।

बिल्हा के उमरिया गांव की रहने वाली श्रीमती गायत्री महर स्व सहायता समूह से जुड़ने के बाद मिली जानकारी से अब स्वयं जैविक खेती करती है, अपने खेतों में ट्रैक्टर चलाकर बुआई और खेती के अन्य काम करती है। इसके साथ ही गांव में कृषि सखी का कार्य भी कर रही है। गायत्री बताती हैं कि वह अन्नपूर्णा स्व सहायता और हरियाली आजीविका समूह से जुड़ी हैं। समूह से जुड़ने से पहले उनके भीतर इतना आत्म विश्वास नहीं था ,स्वयं की कोई पहचान भी नही थी लेकिन अब कृषि सखी के रूप में उन्हें पूरा गांव जानता है।

स्व सहायता समूह के माध्यम से छत्तीसगढ़ विजन डॉक्यूमेंट के लिए अपने विचार रखने का भी अवसर मिला जो उनके लिए गौरव की बात हैं। शादी के 7 वर्ष के बाद अब वह अपने कृषि सखी के रूप में कार्य के मानदेय के पैसों से अपना ग्रेजुएशन भी पूरा कर रही है। गायत्री कहती हैं कि बिहान योजना हम ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव ला रही है। योजना से जुड़कर अब मैं लखपति दीदी भी बन गई हूं।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की योजना बिहान गांवो की महिलाओं के लिए वरदान बन रही है,जहां महिलाएं स्व सहायता समूहों के माध्यम से विभिन्न आजीविका गतिविधियों से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं।

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