छत्त्तीसगढ़ में बीते तीन सालों में शिक्षा के क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति, “स्कूली शिक्षा की राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे छदम आंकड़ेबाजी का दस्तावेज“

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प्रधानमंत्री ने जशपुर के शिक्षक और नीति आयोग ने समय-समय पर राज्य में शिक्षा में हो रहे उत्कृष्ट कार्यों को सराहा

बीजापुर और सुकमा में वर्षों से बंद लगभग 200 स्कूल छत्तीसगढ़ सरकार की विशेष पहल पर फिर से प्रारंभ हुए

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

कोरोना महामारी के बावजूद छत्तीसगढ़ में विगत तीन वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने “मन की “बात“ में छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के शिक्षक विरेन्द्र भगत की प्रशंसा की है। नीति आयोग ने समय-समय पर सुकमा, दंतेवाड़ा, जशपुर आदि जिलों में शिक्षा में हो रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की है। बीजापुर एवं सुकमा जिलों में पूर्व में माओवादियों द्वारा बंद कराये गये लगभग 200 स्कूलों को राज्य सरकार के विशेष प्रयासों से फिर से खोला गया हैं। छत्तीसगढ़ के ऑनलाईन शिक्षा पोर्टल “पढ़ाई तुंहर दुआर“ पर 25 लाख से अधिक विद्यार्थियों तथा 2 लाख से अधिक शिक्षक पंजीकृत हैं और लगातार शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में जारी की गई स्कूली शिक्षा की राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे की रिपोर्ट पर शिक्षाविदों ने अनेक प्रश्नचिन्ह लगाए हैं। यह सर्वेक्षण ऐसे समय पर आयोजित किया गया था, जब कोरोना महामारी के कारण स्कूल दो वर्षों से भी अधिक समय से बंद थे। इतना ही नहीं सर्वेक्षण में बच्चों की उपलब्धि ओ.एम.आर. शीट भरवाकर मापी गई है। कक्षा तीन और पांच के छोटे बच्चों को ओ. एम. आर. शीट भरना ठीक प्रकार से नहीं आता, इसलिये इस प्रक्रिया से उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों का मापन करना संभव नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस सर्वेक्षण में बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धियों को न मापकर ओ.एम.आर. शीट भरने के कौशल की माप की गई है।

इस सर्वेक्षण के कुछ आंकड़े बहुत चौकाने वाले हैं। उदाहरण के लिये- कक्षा तीन में भाषाई कौशल में 323 के राष्ट्रीय औसत के विरूद्ध जहां छत्तीसगढ़ को 301 अंक प्राप्त हुये हैं वहीं राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली को भी केवल 302 अंक प्राप्त हुये हैं। इसी प्रकार गणित में 306 के राष्ट्रीय औसत की तुलना में छत्तीसगढ़ को 283 अंक और दिल्ली को 282 अंक ही मिले हैं। राजधानी दिल्ली की उपलब्धि राष्ट्रीय औसत से इतना कम होना सर्वे की विश्वसनियता पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। इसी प्रकार एनएएस तथा यूडीआईएसई के आंकड़ों में भारी अंतर है। उदाहरण के लिये एनएएस के अनुसार छत्तीसगढ़ के केवल 51 प्रतिशत स्कूलों में पुस्तकालय है, जबकि यूडीआईएसई के अनुसार 96.98 प्रतिशत स्कूलों में पुस्तकालय है। छत्तीसगढ़ राज्य की “स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय“ योजना को सर्वत्र प्रशंसा मिली है। केन्द्र सरकार का यह सर्वेक्षण गलत समय पर किया गया गलत आंकड़ों से परिपूर्ण सर्वेक्षण प्रतीत होता है।

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