सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वाले 15 लाख लोगों पर लगा जुर्माना : धूम्रपान मुक्त नियमों की 2 अक्टूबर को मनाई गई15 वीं वर्षगांठ

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर/दिल्ली

2 अक्टूबर 2008 को लागू हुए धूम्रपान मुक्त नियमों के पंद्रह साल बाद, वर्ष 2019-22 के दौरान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में धूम्रपान निषेध नियमों का उल्लंघन करने पर 15 लाख, 07 हजार, 637 लोगों पर जुर्माना लगाया गया है। भारत में जानलेवा तम्बाकू उत्पादों से लोगों को बचाने के लिए समय पर की गई पहल के लिए सरकार की सराहना करते हुए, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, डॉक्टरों और धूम्रपान से पीड़ितों ने चिन्हांकित धूम्रपान कक्षों को हटाकर देश को 100% धूम्रपान मुक्त बनाने की अपील की है।

छत्तीसगढ़ की बात करें तो राज्य में तंबाकू नियंत्रण अधिनियम कोटपा के तहत 2023-24 में वर्तमान में 1732 लोगों पर चालानी कार्रवाई हुई है और 2,73,425 रूपया का चालान काटा गया है। sइस संबंध में प्रोग्राम मैनेजर, वीएचएआई (VHAI) बिनॉय मैथ्यू, का कहना है कि “धूम्रपान निषेध नियमों का कार्यान्वयन तंबाकू नियंत्रण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।  हालांकि वर्तमान में कोटपा 2003,निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों के रूप में कुछ सार्वजनिक स्थानों जैसे – (रेस्तरां, होटल और हवाई अड्डों) में धूम्रपान की अनुमति देता है।

हमें 100% धूम्रपान मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने के लिए होटलों और रेस्तरांओं और यहां तक कि हवाई अड्डों में भी सभी निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों को समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि इनमें से अधिकांश निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्र कोटपा में निर्दिष्ट नियमों के अनुरूप नहीं हैं। जिसकी वजह से आम जनता सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आकर अनायास ही स्वास्थ्यगत परेशानियां झेल रही हैं।“

लंबे संघर्ष के बाद, 2 अक्टूबर 2008 से भारत में सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध और व्यापार का विनियमन और वाणिज्य उत्पादन, आपूर्ति और वितरण अधिनियम ) COTPA 2003 की धारा (4) के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंध है। जिसमें बाजार, कार्यस्थल, हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, होटल, रेस्तरां, सिनेमा हॉल, थिएटर आदि शामिल हैं। हालांकि, डीएसए (DSA) क्रमशः 30 से अधिक कमरों और 30 बैठक क्षमता वाले होटलों,रेस्तरां और हवाई अड्डों  में यह निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्र की अनुमति देता है।

पैसिव स्मोकिंग की शिकार कैंसर पीड़िता सुश्री नलिनी सत्यनारायण ने भी धूम्रपान के कारण धूम्रपान नहीं करने वालों की पीड़ा की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए अपनी आपबीती व्यक्त की। उनका कहना है कि “पैसिव धूम्रपान की वजह से हजारों धूम्रपान नहीं करने वालों का जीवन भी सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने से खतरे में पड़ जाता है। होटल, रेस्तरां, बार, हवाई अड्डों में धूम्रपान के लिए चिन्हांकित क्षेत्र सिगरेट के धुएं को धूम्रपान नहीं करने वालों तक पहुंचने की अनुमति देता है, जिससे लोगों में धुएं के संपर्क में आने से फेफड़ों का कैंसर और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। नलिनी ने आगे बताया कि उन्हें  8 साल पहले गले के कैंसर का पता चला था। कारणों की खोज करते हुए उनका इलाज कर रहे डॉक्टर ने उन्हे बताया कि यह उनके पति के धूम्रपान के कारण सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने के कारण हो सकता है।“ इसलिए नलिनी ने अपील करते हुए कहा कि ”किसी भी परिसर में धूम्रपान की अनुमति न देने और सार्वजनिक स्वास्थ्य के सर्वोत्तम हित में इसे पूरी तरह से धूम्रपान मुक्त बनाने के लिए कोटपा अधिनियम 2003 में संशोधन की आवश्यकता है।”

भारत का राष्ट्रीय कानून, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA) कुछ क्षेत्रों में प्रभावी रहा है, अभी भी कई ऐसे पहलू भी हैं जिन्हें संशोधित और मजबूत करने की आवश्यकता है। इस तरह के संशोधन तंबाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन (FCTC) के तहत हमारी वैश्विक प्रतिबद्धताओं के साथ भारत की आबादी को तंबाकू के उपयोग के खतरों से अधिक प्रभावी ढंग से बचाएंगे।

मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर के अध्यक्ष डॉ. हरित चतुर्वेदी कहते हैं “बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों वाले परिवार उन रेस्तरां में भोजन करना ज्यादा पसंद करते हैं जिन्होंने अपने परिसर में ‘तंबाकू धूम्रपान’ पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। जिन प्रतिष्ठानों ने अपने परिसर में डीएसए के साथ या इसके बिना सिगरेट, बीड़ी और हुक्का पीने की अनुमति दी है, वे पारिवारिक ग्राहकों को खो देते हैं। हालांकि इसके अलावा कई होटल और रेस्तरां ऐसे हैं जो (DSA) धूम्रपान क्षेत्र को बनाए रखने और धूम्रपान क्षेत्र को साफ करने के लिए पैसा भी खर्च कर रहे हैं।“

मुख्य रूप से सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की खपत को हतोत्साहित करने और गैर-धूम्रपान करने वालों को सेकेंड हैंड धुएं से बचाने के लिए ही 2003 में COTPA अधिनियम पूरे देश में लागू हुआ था। भारत में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 72% लोग मानते हैं कि सेकेंड हैंड धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है और 88% लोग इस खतरे से निपटने के लिए वर्तमान तंबाकू नियंत्रण कानून को मजबूत करने का पुरजोर समर्थन भी करते हैं।

तम्बाकू का उपयोग विश्व स्तर पर बीमारियों और समय से पहले होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। भारत में हर साल 13 लाख से अधिक लोग तम्बाकू सेवन से संबंधित बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। भारत में 26 करोड़ से अधिक तंबाकू उपयोगकर्ता हैं। 2017-18 में तंबाकू उत्पादों की वार्षिक आर्थिक लागत 177,341 करोड़ रुपये आंकी गई, जो भारत की जीडीपी का 1% है।

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