मानसिक परेशानी कई तरह से मानव विकास पर असर डालती है – आर. श्रीनिवास मूर्ति

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के मनोरोग विभाग एवं इंडियन एसोसिएशन फॉर सोशल साइकिएट्री के संयुक्त तत्वावधान में 30 वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन एनसीआईएएसपी 2023 (नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडियन एसोसिएशन फॉर सोशल साइकिएट्री) का आयोजन चिकित्सा महाविद्यालय के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार (ऑडिटोरियम) में किया जा रहा है। 24 नवंबर से प्रारंभ होकर 26 नवंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन में सामाजिक मनोचिकित्सा (सोशल साइकिएट्री) के विविध पहलुओं पर मंथन करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से विशेषज्ञ शामिल हुए हैं। ”मानसिक स्वास्थ्य में लोक स्वास्थ्य दृष्टिकोण (पब्लिक हेल्थ एप्रोचेस इन मेंटल हेल्थ)“ विषय पर पूरा सम्मेलन केन्द्रित है। शुक्रवार को इस सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति (वाइस चांसलर) डॉ. ए. के. चंद्राकर एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय की अधिष्ठाता (डीन) डॉ. तृप्ति नागरिया के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।

चिकित्सा महाविद्यालय में मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार साहू ने बताया कि यह सम्मेलन वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ सामाजिक मनोविज्ञान को संदर्भित करते हुए मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, भविष्य की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से उबरने पर केन्द्रित है।

मनोरोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरभि दुबे ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य (मेंटल हेल्थ) एक समाज, परिवार और व्यक्ति सभी की जिम्मेदारी है। जब सभी वर्ग साथ मिलकर काम करेंगे तो दिमाग और मन दोनों स्वस्थ रहेगा। किसी भी मानसिक रोग का निदान समग्र प्रयास (होलिस्टिक एप्रोच) से ही संभव है जिसमें दवाईयों के साथ-साथ समाज का योगदान, समाज का दृष्टिकोण, मानसिक रोग के प्रति और रोगी के साथ लोगों का अच्छा व्यवहार करना शामिल है। 

सम्मेलन के वैज्ञानिक सत्र में आयोजित कार्यशाला में डॉ. नितिन गुप्ता ने भारतीय परिदृश्य में मनोचिकित्साः व्यक्तिगत गतिशील मनोचिकित्सा के मूल्यांकन और संचालन की प्रक्रिया पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि मनोचिकित्सा विभिन्न प्रकार के उपचारों को संदर्भित करता है। मनोचिकित्सा की मदद से मानसिक स्वास्थ्य समस्या जैसे – अवसाद, चिंता, भय, मादक द्रव्यों के सेवन से पीड़ित लोगों को अपनी समस्याओं से उबरने में मदद मिलती है।

मानसिक स्वास्थ्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोणः अवलोकन और प्रासंगिकता, मानसिक स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक-वर्तमान स्थिति और साक्ष्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य और मनोचिकित्सा में अनुसंधान के लिए दायरा और प्रशिक्षण, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मानसिक स्वास्थ्य – परिप्रेक्ष्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण जैसे विषयों पर आयोजित संगोष्ठी को राकेश के. चड्ढा, रॉय अब्राहम कल्लीवायलिल एवं इंदु पीएस ने संबोधित किया।

निम्हांस बैंगलोर से आये विशेषज्ञ आर. श्रीनिवास मूर्ति ने मानसिक स्वास्थ्य, कल्याण और मानव विकास विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि मानसिक परेशानी कई तरह से मानव विकास पर असर डालती है इसलिए आवश्यक है कि मानसिक स्वास्थ्य को फोकस के रूप में पहचानें। देखभाल केंद्रों को मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बदलकर, सभी व्यावसायिक प्रशिक्षणों में मानसिक स्वास्थ्य को शामिल करके, विशेष रूप से बीमार व्यक्तियों और उनकी देखभाल करने वालों के बीच भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए स्व-देखभाल (सेल्फ-केयर) का प्रसार करके तथा शिक्षा, श्रम विकास, मीडिया एवं अन्य संगठनों के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में बेहतर कार्य किये जा सकते हैं।

सम्मेलन में इंडियन एसोसिएशन फॉर सोशल साइकिएट्री के पदाधिकारी डॉ. उत्तम सी. गर्ग, डॉ. वर्गीज पी. पुन्नोस, प्रो. देबाशीष बसु, प्रो. ममता सूद, डॉ. नितिन गुप्ता, डॉ. जी. एस. कलोरिया शामिल हुए हैं। सम्मेलन के आयोजन समिति के अध्यक्ष चिकित्सा महाविद्यालय के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार साहू, आयोजन सचिव डॉ. दीपक घोरमोड़े एवं कोषाध्यक्ष डॉ. सुरभि दुबे हैं।

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