मसाले की खेती में पल्वराइजर का लगा तड़का, दोगुनी आमदनी से बढ़ा खुशहाली का स्वाद…

Advertisements
Advertisements

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

शासकीय मदद पर आधी कीमत में मिली पल्वराइजर मशीनों ने रायपुर जिले के 70 से अधिक मसाला उत्पादक किसानों की आय में दोगुनी आमदनी का तड़का लगा दिया है। किसानों की आय बढ़ने से उनके परिवार सहित जीवन में भी खुशहाली का स्वाद आ गया है। पहले तो राज्य के उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने इन किसानों को हल्दी, मिर्च, धनिया जैसे दैनिक उपयोग के मसालों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। उन्हें इन मसालों की खेती के लिए शासकीय योजनाओं से हर संभव मदद तथा मार्गदर्शन दिया गया। फसल उत्पादन अच्छा रहा परंतु खड़े मसाले को थोक के भाव बेचने से किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा था।

मसालों की खेती करने वाले किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए फिर उद्यानिकी विभाग ने मसालों की प्रोसेसिंग की योजना बनाई। राज्य शासन की लघु एवं सूक्ष्म प्रोसेसिंग यूनिट को प्रोत्साहन देने की योजना के तहत इन किसानों को मसाला प्रसंस्करण के लिए पल्वराईजर मशीनें शासकीय सहायता पर दी गई। अब यह 70 किसान अपने खेतों में उगाई हल्दी, मिर्च, धनिया को पीसकर बेहतर प्रोसेसिंग के बाद स्थानीय बाजार में दोगुने से अधिक दामों पर बेच रहे हैं। थोक व्यापारी भी अब सीधे इन किसानों तक पहुंचने लगे और प्रोसेस्ड मसालों को सीधे किसानों की यूनिट से ही खरीद रहे हैं।

रायपुर जिला के धरसीवां विकासखंड के ग्राम मंगसा निवासी किसान श्री अजय कुमार वर्मा के पास 7 हेक्टेयर से अधिक जमीन है। वे इस भूमि पर हल्दी, मिर्च, धनिया जैसी मसाला फसलों की खेती करते है। श्री वर्मा बताते है कि उन्हें 50 प्रतिशत छूट पर लघु प्रसंस्करण संयंत्र पल्वराइजर मिला है। इस मशीन की वास्तविक लागत एक लाख 20 हजार रूपये है जो आधी सरकारी छूट पर उन्हें केवल साठ हजार रूपये में मिल गई है।

श्री वर्मा ने बताया कि लगभग पांच एकड़ खेत में हल्दी का फसल लगाई थी। उन्हें प्रति एकड़ में 12 से 15 क्विंटल हल्दी का उत्पादन मिला है। उन्होंने बताया कि पहले वे हल्दी को 60 रूपये प्रति किलो के हिसाब से थोक बाजार में बेच देते थे। सरकारी मदद पर उद्यानिकी विभाग से पल्वराइजर मशीन मिलने के बाद अब हल्दी को सूखाकर पिसाई कर थोक में एक सौ रूपये प्रति किलो एवं स्थानीय बाजार में फुटकर रूप से एक सौ बीस रूपये प्रति किलो में बेचते है। श्री वर्मा ने बताया कि मशीन से पिसाई के बाद हल्दी का दाम दोगुना हो गया है। इससे उन्हें डबल मुनाफा हो रहा है। उन्होंने बताया कि गांव में और भी किसान उन्हीं की तरह हल्दी, मिर्च, धनिया की पिसाई कर थोक बाजार में बेचकर मुनाफा कमाया रहें है।

श्री वर्मा ने अपने खेत में हरी मिर्च और धनिया भी लगाई थी। उनके खेत में प्रति एकड़ लगभग 4 से 5 क्विंटल मिर्च का उत्पादन हुआ है। लोकल बाजार में हरी मिर्च की अधिकतम कीमत 50 से 60 रूपये किलो थी। इसी मिर्च को सूखाकर पल्वराइजर मशीन में पीसने के बाद उन्होंने उसे 180 रूपये किलो की दर से बेचा है।  जिससे उन्हें कच्ची मिर्ची की तुलना में पिसी मिर्च से 4-5 गुना अधिक आमदनी हुई है। इसी तरह श्री वर्मा ने एक एकड़ में 3 क्विंटल से अधिक धनिया की पैदावार ली है। पहले धनिया की कीमत 80 से 100 रूपये प्रति किलो थी, लेकिन पल्वराइजर मशीन मिलने के बाद वही धनिया पीसकर दुगुने कीमत में बेचकर लाभ कमा रहे है।

श्री वर्मा ने बताया कि उद्यानिकी विभाग की योजना से मसाला प्रसंस्करण कर उनकी आय 2 गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है तथा उनकी आर्थिक स्थिति तेजी से और बेहतर होती जा रही है। उद्यानिकी विभाग के उप संचालक ने बताया कि जिले में अब तक 70 से अधिक किसानों को सरकारी अनुदान पर पल्वराइजर मशीन दी गई है। पल्वराइजर मशीन का उपयोग ठोस पदार्थों को चूर्ण बनाने के लिए किया जाता है। जिले के धरसीवां और आरंग विकासखण्डों में 17-17, तिल्दा और अभनपुर विकासखण्ड में 18-18 किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर पल्वराइजर मशीनों का वितरण किया गया है। मसाला उत्पादक किसान इन मशीनों से मसालों को पीसकर ऊंचे दामों पर थोक और स्थानीय बाजार में बेच रहे है।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!