जशपुर में डॉक्टरों की एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन, सांप काटने के लक्षण एवं बचाव के संबंध में दी गई जानकारी

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सांप काटने पर बैगा गुनिया के पास न जाकर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्रों में जाकर ईलाज कराने पर दिया गया जोर

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

जशपुर विकासखण्ड के जायका होटल में आज संगवारी एनजीओ के सहयोग से जिले के सभी खंड चिकित्सा अधिकारी, प्रभारी अधिकारी का स्नेक बाइट एवं एपिडेमिक प्रिपरेशन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में संयुक्त संचालक डॉक्टर पी. एस. सिसोदिया, सीएमएचओ डॉक्टर रंजीत टोप्पो, मास्टर ट्रेनर डॉक्टर चैतन्य मलिक संगवारी एनजीओ संर्पदंश के लक्षण, बचाव एवं उपाय के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।

कार्यशाला में डॉक्टरों को सांप के काटने से बचाव के लिए एहतियाती उपायों और सांप के काटने की स्थिति में क्या करें और क्या न करें के संबंध में कार्ययोजना बनाकर जिसका व्यावहारिक प्रदर्शन किया गया। इस दौरान संयुक्त संचालक डॉक्टर पी एस सिसोदिया ने इलाज के लिए स्थानीय तांत्रिक, बैगा गुनिया के पास जाने के बजाय किसी उचित अस्पताल या चिकित्सा केंद्र में जाने पर अतिरिक्त जोर दिया गया। इसके अलावा, सांप काटने की घटनाओं, सांप के काटने की स्थिति में उचित उपचार प्रक्रिया के संबंध में जानकारी दी गई।

कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के पहल से जिले में पंचायत स्तर पर समिति गठित कर बैठक के माध्यम से सांप काटने से बचाने के लिए बैगा गुनिया को समझाईश दी जा रही है। साथ ही लोगों को बैगा गुनिया से ईलाज न कराकर सीधे नजदीकी अस्पताल में जाकर इलाज कराने हेतु जागरूकता किया गया है।

कार्याशाला में जहरीले बनाम गैर जहरीले सांप के काटने की पहचान के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही साँप के काटने से संबंधित जटिलताओं को पहचानें और उनका प्रबंधन करने के संबंध में बताया गया। भारत में प्रमुख रूप से क्रेट, कोबरा, रसेल का वाइपर और स्केल्ड वाइपर जहरीला साँप में शामिल है।

साँप के काटने के बाद के लक्षण

किसी भी साँप के काटने के बाद लोगों में चिंता, धड़कन, अस्वस्थता एवं झुनझुनी के लक्षण दिखाई देते है। किन्तु जहरीले सांप के कांटने से पेट में दर्द और उल्टी के लक्षण सामने आते हैं।

कार्यशाला में सांप के काटने पर सांप काटने का दावा करने वाले हर मरीज को एंटिसनेक वेनॉम देने से पहले जांच करने की सलाह दी गई। जिससे की जहर का कोई लक्षण न हो तो एंटिसनेक वेनॉम न दी जाए। ताकि एनाफिलेक्सिस का खतरा एवं दुर्लभ संसाधन की बर्बादी न हो। यदि जहर का कोई लक्षण न हो तो रोगी की बारीकी से निगरानी करने,  हर 1 घंटे में सूजन का बढ़ने की जांच, न्यूरोपैरालिसिस, पीटोसिस, एकल सांस गिनती और कम से कम 24 घंटे तक निगरानी में रखने के संबंध में बताया गया।

साँप के काटने के बाद रोगी का प्राथमिक उपचार एवं परिवहन

काटने से चरम सीमा को स्थिर रखने की सलाह दी गई। साथ ही परिवहन करते समय प्रभावित अंग को हृदय के स्तर से नीचे रखने, टाइट टॉर्निकेट का प्रयोग न करने, घाव को न काटें और न ही चूसें सहित स्थानीय एएसवी न देने के लिए कहा गया है।

सांप के काटने से मरीजों के शरीर में जहर पाए जाने की लक्षण दर्शित होने पर एंटिसनेक वेनॉम देने के संबंध में बताया गया है। एंटिसनेक वेनॉम जहर को निष्क्रिय करता है। बच्चों के लिए यह खुराक वयस्कों के समान ही है। गर्भावस्था सहित, एएसवी के लिए कोई अंतर्विरोध नहीं। 

संर्पंदश से बचने के लिए आवश्यक सुझाव देते हुए लोगों को फर्श पर सोने से बचें, मच्छरदानी लगाकर होने, रात में बाहर निकलते समय टॉर्च का प्रयोग सहित जूतों का प्रयोग  करने के लिए कहा गया।

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